Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 09:30 AM
गैस कंपनियों की दादागिरी अब नहीं चलने वाली। हर उपभोक्ता को उसका पूरा अधिकार मिलेगा। प्रिंसीपल सैक्रेटरी फूड सिविल सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स पंजाब द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित एक मीटिंग में इस संबंधी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए। मीटिंग में मुख्य रूप...
जालंधर (अमित): गैस कंपनियों की दादागिरी अब नहीं चलने वाली। हर उपभोक्ता को उसका पूरा अधिकार मिलेगा। प्रिंसीपल सैक्रेटरी फूड सिविल सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स पंजाब द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित एक मीटिंग में इस संबंधी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए। मीटिंग में मुख्य रूप से एल.पी.जी. कनैक्शन पोर्टेबिलिटी को लेकर जनता द्वारा दी गई शिकायत के साथ-साथ एल.पी.जी. एजैंसियों व सप्लाई आदि को लेकर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। पंजाब केसरी ने इस मुद्दे को बड़ी प्रमुखता से उठाया था कि कैसे पिछले कुछ समय से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तर्ज पर एल.पी.जी. कनैक्शन पोर्टेबिलिटी की मांग उठ रही थी, जिसके उपरांत भारत सरकार द्वारा एल.पी.जी.कनैक्शन पोर्टेबिलिटी को अपनी स्वीकृति प्रदान की गई थी ताकि हर उपभोक्ता को अपनी मर्जी से अपना मनपसंद डीलर चुनने का अधिकार प्राप्त हो सके। मगर मौजूदा समय के अंदर यह सुविधा केवल नाम की बनकर रह गई थी और किसी भी उपभोक्ता को इसका सही लाभ मिल ही नहीं पा रहा था। देश में गैस सिलैंडर की आपूर्ति करने वाली 3 मुख्य कंपनियां आई.ओ.सी., बी.पी.सी.एल. और एच.पी.सी. की तरफ से उपभोक्ताओं की इस सुविधा का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा था, जिससे देश के करोड़ों गैस-उपभोक्ताओं से उनका यह अधिकार जबरदस्ती छीना जा रहा था।
मीटिंग में किस-किस बात का लिया गया फैसला
मीटिंग में सबसे पहले इस बात को साफ किया गया कि देश में गैस सिलैंडर की आपूर्ति करने वाली 3 मुख्य कंपनियां आई.ओ.सी., बी.पी.सी.एल. और एच.पी.सी. द्वारा की जा रही है। मगर कोई भी कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को किसी प्रकार के लाभ की गारंटी नहीं देती। मौजूदा समय के अंदर मंत्रालय की तरफ से नए गैस कनैक्शन नहीं दिए जाते, मगर उपभोक्ता अपने किसी भी नजदीकी डीलर से कनैक्शन ले सकता है। 2002 में जालंधर उपभोक्ता फोरम के एक आदेश जिसमें साफ किया गया था कि कोई भी कंपनी उपभोक्ता की मर्जी के बिना उसका कनैक्शन किसी भी डीलर के पास ट्रांसफर नहीं कर सकती और अगर कोई कंपनी ऐसा करती है, तो उसे सॢवस में कोताही माना जाएगा। कुछ अन्य पहलुओं पर विचार करने के पश्चात 2016 में तत्कालीन सैक्रेटरी के आदेश, जिसे बाद में एक मीमो जारी कर रद्द कर दिया गया था, उसे पुनर्बहाल किया जाता है। इस बात को लेकर आमराय बनी कि अगर किसी भी उपभोक्ता का कनैक्शन बिना उसकी मर्जी के किसी दूसरे डीलर के पास ट्रांफसर किया जाता है तो उस सूरत में उपभोक्ता को बिना किसी कसूर के परेशानी झेलनी पड़ती है। इसलिए जब तक उपभोक्ता अपनी मर्जी से लिखित रूप में आवेदन नहीं देता है, तब तक उसका कनैक्शन ट्रांसफर नहीं किया जा सकता।
फैसला सराहनीय, गैस कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकार हनन पर लगेगी रोक : सुदेश विज
सीनियर कांग्रेसी लीडर सुदेश विज ने कहा कि सरकार का उक्त फैसला बेहद सराहनीय है और इस फैसले के लागू होने से गैस कंपनियों द्वारा किए जा रहे उपभोक्ताओं के अधिकार हनन पर भी रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि गैस कंपनियों द्वारा केवल अपने निजी मुनाफे को मुख्य रखा जा रहा था, क्योंकि जब किसी इलाके में नया डीलर बनाया जाता था, तो उसके कारोबार में मदद करने के उद्देश्य से उसे किसी पुराने डीलर के पास मौजूद उपभोक्ताओं के कनैक्शनों को अपने दफ्तर में बैठे-बैठे ही नए डीलर के पास ट्रांसफर कर दिया जाता था। जबकि कनैक्शन ट्रांसफर करते समय उपभोक्ता की मर्जी जानना अनिवार्य है। नए आदेश से उपभोक्ताओं की परेशानी खत्म होगी और उनका सरकार के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अब सबसे जरूरी है कि प्रदेश के सारे डिप्टी कमिश्नर इस आदेश को सही मायनों में लागू करवाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाएं ताकि इस आदेश का जमीनी स्तर पर भी पालन सुनिश्चित किया जा सके।
क्यों है एल.पी.जी. कनैक्शन पोर्टेबिलिटी जरूरी
आज के जमाने में शायद ही कोई रसोई होगी जो गैस सिलैंडर के बिना चलती हो। चाहे किसी गरीब का घर है या फिर किसी करोड़पति का घर, हर किसी के घर में खाना एल.पी.जी.सिलैंडर पर ही बनता है। देश में बहुत कम घर ऐसे हैं, जहां पर कैरोसिन या किसी अन्य साधन से खाना पकाया जाता है। कई बार कुछ डीलर उपभोक्ताओं को गैस सिलैंडर आपूर्ति सही ढंग से नहीं कर पाते या फिर किसी अन्य कारण से उपभोक्ता को कोई परेशानी उठानी पड़ती है। तो उस सूरत में वह एल.पी.जी. कनैक्शन पोर्टेबिलिटी सुविधा का इस्तेमाल कर सकता है, जिसके अंतर्गत कोई भी उपभोक्ता अपनी मर्जी से अपने डीलर को कभी भी बदल सकता है।