Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 09:52 AM
डिपार्टमैंट आफ रैवेन्यु, री-हैबलिटेशन एंड डिजास्टर मैनेजमैंट की तरफ से डिप्टी सैक्रेटरी रैवेन्यु ने कुछ दिन पहले एक पत्र जारी करते हुए प्रदेश के समूह सब-रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार को आदेश जारी किया था, जिसके बाद पूरे प्रदेश में बिना...
जालंधर (अमित): डिपार्टमैंट आफ रैवेन्यु, री-हैबलिटेशन एंड डिजास्टर मैनेजमैंट की तरफ से डिप्टी सैक्रेटरी रैवेन्यु ने कुछ दिन पहले एक पत्र जारी करते हुए प्रदेश के समूह सब-रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार को आदेश जारी किया था, जिसके बाद पूरे प्रदेश में बिना एन.ओ.सी. के रजिस्ट्रियों पर रोक लग गई थी। उक्त आदेश की पालना सुनिश्चित करते हुए सोमवार को सब-रजिस्ट्रार-1 और 2 में बिना एन.ओ.सी. के कोई भी रजिस्ट्री स्वीकार नहीं की गई। अधिकारियों का कहना था कि क्योंकि उनका प्लाट या मकान ऐसी कालोनी में है जो अनधिकृत है और उसके कालोनाइजर ने अपनी कालोनी को लेकर संबंधित अथारिटी से एन.ओ.सी. प्राप्त नहीं की हुई है जिस कारण सरकार से प्राप्त आदेशानुसार उनकी रजिस्ट्री करना संभव नहीं है। जालंधर में नगर निगम से संंबंधित 358 कालोनियों ऐसी हैं जो कि अनधिकृत हैं और इनकी बिना एन.ओ.सी. के रजिस्ट्री नहीं हो सकती। इसी प्रकार से जे.डी.ए. द्वारा जारी लिस्ट में कुल 251 कालोनियों में जालंधर में लगभग 150 कालोनियां अनधिकृत हैं।
कालोनाइजरों के किए की सजा भुगत रही आम जनता
अधिकारियों द्वारा एन.ओ.सी. के बावजूद रजिस्ट्री न करने पर सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में मौजूद कुछ लोगों ने अधिकारियों के बहसबाजी की और उनके रजिस्ट्री न करने का कारण पूछा। लोगों का कहना था कि अगर कालोनाइजर ने एन.ओ.सी. नहीं ली तो इसमें उनका क्या कसूर है, क्योंकि उन्होंने तो सरकार के पास पूरी फीस जमा करवाई है और बाकायदा तौर पर संंबंधित विभाग की तरफ से उनको एन.ओ.सी. भी जारी की गई है। ऐेसे में उनका प्लाट या मकान कैसे गलत हो सकता है। लोगों का कहना था कि किसी गलत कालोनाइजर के किए की सजा आम जनता को भुगतनी पड़ रही है। सरकार को इस तरफ तुरंत देना चाहिए ध्यान लोगों का मानना है कि सरकार को इस तरफ तुरंत ध्यान देना चाहिए और कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे आम जनता को बिना कसूर कोई तकलीफ न झेलनी पड़े, क्योंकि बड़ी गिनती में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की जमा-पूंजी लगाकर अपने घर का सपना पूरा किया है। ऐसे में अगर उनकी रजिस्ट्री नहीं होती है तो उन्हें आर्थिक नुक्सान के साथ-साथ मानसिक पीड़ा से भी गुजरना होगी।
ये कालोनियां हैं निगम की लिस्ट में?
निगम के अधीन आने वाली 358 अनधिकृत कालोनियों में बाबा मक्खन शाह लुभाना नगर, बैंक एन्क्लेव, बैंक एनक्लेव-फेका 2, बसंत एवेन्यु, बसंत विहार, बाम्बे नगर, बूटा मंडी, चीमा नगर, दशमेश एवेन्यु, चाणक्य विहार, गार्डन कालोनी, ग्रीन मॉडल टाऊन, इंदिरा पार्क, गुरमीत नगर, गुरु नगर, कुक्की ढाब कालोनी, न्यू जी.टी.बी. नगर, रविंदर नगर, शिव विहार, यू-कालोनी, बसंत एवेन्यू, गीता कालोनी, घई नगर, न्यू मॉडल हाऊस, न्यू विजय नगर, टावर एन्क्लेव, बाबू लाभ सिंह नगर, गुप्ता कालोनी, दिलबाग नगर, सतकरतार नगर आदि शामिल हैं।
क्या है रजिस्ट्री न होने का असली कारण
सरकार द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पंजाब अपार्टमैंट एंड प्रापर्टी रैगुरलेशन एक्ट 1995 की धारा 20 और सब-सैक्शन 3 में संशोधन किया है, जिसके अंतर्गत किसी भी सब-र’िास्ट्रार या ’वाइंट सब-रजिस्ट्रार द्वारा रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत किसी भी कालोनी, रिहायशी व कमर्शियल प्लाटों और इंडस्ट्रीयल प्लाटों से संबंधित कोई भी सेल-डीड या अन्य दस्तावेज रजिस्टर नहीं की जाएगी, अगर संबंधित अथारिटी से लाइसैंस नहीं लिया गया है।
एक्ट में साफ किया गया है कि किसी भी रजिस्ट्री के लिए संबंधित कालोनी की एन.ओ.सी. और प्लाट या मकान की एन.ओ.सी. दोनों का लगा होना अनिवार्य है, क्योंकि कालोनाइजर और प्लाट मालिक दोनों द्वारा कम्पाऊंडिंग फीस का जमा करवाना जरूरी है। अगर दोनों में से एक एन.ओ.सी. नहीं है, तो उस सूरत में रजिस्ट्री नहीं हो सकती । किसी भी प्लाट या मकान मालिक की तरफ से तो अपनी जायदाद के लिए बनती फीस जोकि केवल 10-20 हजार रुपए बनती थी, उसे जमा करवाकर एन.ओ.सी तो ले ली गई थी मगर बहुत से कोलानाइजरों द्वारा अपनी कालोनी को अप्रूव नहीं करवाया गया और न ही संबंधित विभाग के पास, फीस जोकि लगभग 20-30 लाख रुपए या उससे भी ऊपर बनती थी जमा ही नहीं करवाई गई, जिस वजह से ऐसी कालोनियों पर शिकंजा कसा गया है।