Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 09:51 AM
एक जमाना था, जब सिक्कों की खनक कानों व आंखों को खूब सुहाती थी। समय बदला और सुरीली और सुकून भरी खनक वाले सिक्के अब बाजार में बेसुरा राग बनते जा रहे हैं। पिछले कई महीनों से बाजार में 2, 5 व 10 रुपए के सिक्कों की इतनी भरमार है कि हर कोई इन्हें लेने से...
जालंधर(रविंदर शर्मा): एक जमाना था, जब सिक्कों की खनक कानों व आंखों को खूब सुहाती थी। समय बदला और सुरीली और सुकून भरी खनक वाले सिक्के अब बाजार में बेसुरा राग बनते जा रहे हैं। पिछले कई महीनों से बाजार में 2, 5 व 10 रुपए के सिक्कों की इतनी भरमार है कि हर कोई इन्हें लेने से कतराने लगा है। मजबूर दुकानदार को ग्राहक से मन मारकर ही सिक्के लेना पड़ रहे हैं। उधर, बैंक भी इन्हें लेने में कम आनाकानी नहीं कर रहे। सिक्कों की अधिकता और इन्हें लेकर चलने वाली नित नई अफवाह इसकी सबसे बड़ी वजह है।
नोटबंदी के बाद अफवाहों ने बढ़ाई समस्या
रिजर्व बैंक आफ इंडिया की लाख कोशिशों और उनकी वैधता के बार-बार स्पष्टीकरण (एस.एम.एस. समेत अन्य माध्यमों से) देने के बाद भी सिक्के सहजता से स्वीकार नहीं किए जा रहे। सबसे ज्यादा परेशानी छोटे दुकानदारों की है। उन्हें सिक्के देने को सब तैयार हैं, लेकिन उनसे उनको लेने को कोई तैयार नहीं। जानकारों के मुताबिक नोटबंदी के बाद छोटे नोट या रेजगारी (खुल्ले) का संकट दूर करने के लिए बाजार में उतारे गए 2, 5 और 10 रुपए के नए सिक्के आने और पुराने सिक्कों के बंद होने की आधारहीन अफवाहों से समस्या लगातार बढ़ती गई। आर.बी.आई. के बार-बार ताकीद करने के बाद भी लोग इनके बंद हो जाने की अफवाह से प्रभावित होते रहे और सिक्के बढ़ते रहे।
दे तो रहे लेकिन लोग लेते नहीं सिक्के
वित्त विशेषज्ञों का अनुमान है कि करीब 200 करोड़ रुपए मूल्य के सिक्के मुद्रा संचय के कारण बाजार में नहीं थे, मगर नोटबंदी के कारण बाजार में आ गए। इमामनासिर स्थित किरयाना स्टोर के मालिक सतपाल गुप्ता का कहना है कि उनके पास लगभग 5 हजार रुपए के सिक्के जमा हैं। फुटकर के रूप में लोग सिक्के दे तो रहे हैं, मगर कई बार कहने के बाद भी 10 या 20 रुपए से ज्यादा के सिक्के नहीं लेते।
बैंक इंकार नहीं कर सकते मगर सीमा भी
सिक्कों की बड़ी संख्या में खपाने का एकमात्र जरिया बैंक हैं। सिक्कों को गिनने, उन्हें रखने में परेशानी की वजह से बैंक कर्मी इन्हें लेने में टालमटोल करते हैं। कानूनी वाध्यता के चलते वे इन्हें स्वीकार करने से मना नहीं कर सकते, मगर इसकी सीमा तय कर दी गई है। एक व्यक्ति एक दिन में एक हजार रुपए से अधिक के सिक्के जमा नहीं करवा सकता। बैंक अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई कारोबारी, यात्री वाहन के चालक और अन्य दुकानदार सिक्का लेने से मना करता है तो इसकी सूचना सीधे पुलिस को दी जा सकती है। सिक्का न लेने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान है।
समस्या गंभीर और आर.बी.आई. के पास ढेरों शिकायतें
आम जनता से जुड़ी यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि आर.बी.आई. ने 15 फरवरी को फिर एक गाइडलाइन जारी कर बैंकों को आगाह किया। इसमें जुलाई 2017 में जारी मास्टर सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा गया है कि बैंक की कोई भी शाखा छोटे नोट या सिक्के स्वीकार करने से इंकार नहीं कर सकती। आर.बी.आई. ने बैंकों को उपाय भी सुझाए हैं कि 1 और 2 रुपए के सिक्कों को गिनने में परेशानी हो तो वजन के हिसाब से लिए जा सकते हैं।
इसलिए खोटा लगता है सिक्का
-वजनदार।
-रखने, लेन देन में सहज नहीं।
-गिनने में वक्त लगता है।
-बहुत खरा है सिक्का
-कठोर, लंबे समय तक चलते हैं।
-लेन- देन में उपयुक्त।
-सिक्के दुर्लभ।
नोटबंदी ने यहां भी बदला तरीका
हर शहर में कुछ दुकानों पर ऐसे बोर्ड लगे होते थे जहां पुराने व कटे-फटे नोट बदले जाने की बात लिखी होती है। इनमें कमीशन पर छोटे नोट के बदले बड़े नोट और नोट के बदले सिक्के भी मिल जाते थे। पुराने नोट बदलने का धंधा करने वाले रमेश कुमार कहते हैं कि अब केवल 50 व 100 रुपए के नोट बदलवाने लोग आते हैं और वह भी बहुत कम। पहले जहां 100 रुपए के नोट के बदले 90 रुपए के सिक्के मिलते थे, अब सिक्के के बदले नोट मांगे जा रहे हैं।