सिविल अस्पताल में उपचार करवाना है तो दवाई बाहर से लाओ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 01:14 PM

civil hospital jalandhar

इन दिनों आप सिंविल अस्पताल में यदि उपचार के लिए आने की सोच रहे हैं तो आपके लिए यह खबर जरूरी है कि अस्पताल में एमरजैंसी वार्ड से लेकर मेल सर्जिकल वार्ड, मेल-फीमेल वार्ड आदि वार्ड में मरीजों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले फ्री टीके, ग्लूकोज आदि अस्पताल...

जालंधर(शौरी): इन दिनों आप सिंविल अस्पताल में यदि उपचार के लिए आने की सोच रहे हैं तो आपके लिए यह खबर जरूरी है कि अस्पताल में एमरजैंसी वार्ड से लेकर मेल सर्जिकल वार्ड, मेल-फीमेल वार्ड आदि वार्ड में मरीजों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले फ्री टीके, ग्लूकोज आदि अस्पताल के स्टॉक में खत्म हो चुके हैं। हालात तो यहां तक पहुंच चुके हैं कि कुछ मरीजों को एमरजैंसी वार्ड में दाखिल होने से पहले ही स्टाफ उनके परिजनों के हाथों में पर्ची थमा कर बाहर जन औषधि से टीके, ग्लूकोज मंगवा रहा है। लोग इस बात को लेकर कई बार स्टाफ से बहस तक करत हैं कि सरकार तो सिंविल अस्पताल में फ्री दवाइयां, टीके उपलब्ध कराने का दावा करती है, लेकिन उल्टा उन्हें बाहर से यह सामान लाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में टी.टी., डिक्लोफेनाक, डेक्सामेथासोन, ट्रामाडोल, एसिंलाक, इंटोफिलाइन इंजैक्शन आदि के अलावा आर.एल., एम.एक्स.ग्लकूोज अस्पताल स्टॉक से एमरजैंसी वार्ड से लेकर बाकी वार्ड में सप्लाई होती है। मरीजों को फ्री में मिलने वाले इंजैक्शन अब अस्पताल स्टॉक में खत्म हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो स्टॉक पीछे से अस्पताल में सप्लाई नहीं हो रहा। 


एमरजैंसी स्टाफ ने तो जेब से डाले पैसे और मंगवाए टीके 
बेशक सरकार से दवाइयों की आपूर्ति न हो रही हो, लेकिन सिंविल अस्पताल के एमरजैंसी वार्ड के नॄसग स्टाफ ने इंसानियत दिखाते हुए अपनी जेब से पैसे डालकर कुछ जरूरी टीके बाजार से मंगवाए और मरीजों को उन्हें फ्री में लगा कर सेवा कर रहा है। पता चला है कि नॄसग स्टाफ ने करीब 1100 रुपए जेब से देकर टी.टी. के 50 टीके, ग्लूकोज की पेटी व डिक्लोफेनाक टीके मंगवाए और उन्हें एमरजैंसी में आने वाले जरूरतमंद मरीजों को लगा रही है। कुछ स्टाफ नर्सों ने बताया कि एसिंलाक टीकों का स्टाक 10 दिन से खत्म है, डेक्सामेथासोन टीके भी खत्म हो चुके हैं बाकी के कुछ इंजैक्शन तो करीब 2 माह से अस्पताल के स्टॉक में आ ही नहीं रहे। इस बाबत उन्होंने लिखित में मैडीकल सुपरिंटैडैंट डा. बावा को भी बार-बार कहा है। कई बार अज्ञात मरीज के साथ अस्पताल कोई नहीं होता, ऐसे मरीजों के पास न तो पैसे होते हैं और न ही कोई केयरटेकर, उक्त मरीज रोजाना & या 4 के हिसाब से अस्पताल आ ही जाते हैं। स्टाफ की कोशिश होती है कि खुद पैसे डालकर ऐसे मरीजों को टीके लगाकर उनकी जान बचाई जा सके। इसके अलावा अस्पताल में काम करने वाली सेवा समिति समाजसेवी संस्था की मदद लेकर कुछ इंजैक्शन वार्डों में सप्लाई हो रहे हैं।

लोग बोले, इसका हल कब निकालेगी सरकार?
अस्पताल में उपचाराधीन सौरव निवासी खांबरा ने बताया कि छाती की दर्द के कारण वह बीमार हुआ और बीती रात सिंविल अस्पताल में दाखिल हुआ। उसके परिजनों से टीके वार्ड से मिलने के स्थान पर बाहर से मंगवाए गए। इसके अलावा विनोद निवासी फोकल प्वाइंट, पिंकी निवासी बस्ती बावा खेल, रंजीत सिंह निवासी लोहिया, छिदो निवासी आदमपुर के परिजनों को भी खुद की जेब खर्च कर टीके व गूलकोज बाहर से लाने पड़े।

कौन से टीका क्या करता है काम
एसिंलाक का टीका पेट की गैस दूर करने में काम आता है, टीका डिक्लोफेनाक शरीर में अधिक दर्द होने पर लगता है। जब मरीज को सांस लेने में मुश्किल आ रही हो तो मरीज को इंटोफिलाइन टीका लगाया जाता है। ग्लूकोज मरीज को इंफैक्शन होने पर या फिर खाने-पीने की हालत में मरीज न हो तो भी उसे ग्लूकोज लगाया जाता है। 

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