Edited By Updated: 15 Jun, 2016 02:26 PM
गुरुओं, पीरों की धरती पंजाब में लंगर और छबील लगाने की परम्परा पिछले समय से चली आ रही है पर अब यह भी
जालंधर (धवन): गुरुओं, पीरों की धरती पंजाब में लंगर और छबील लगाने की परम्परा पिछले समय से चली आ रही है पर अब यह भी आसान नहीं होगी क्योंकि अगर अब राज्य में छबील लगानी है तो पहले स्वयंसेवी संगठनों और पुलिस प्रशासन की इजाजत लेनी होगी और इसके साथ अब पंजाब सरकार पैसे भी कमाएगी।
दरअसल, लुधियाना में संत रणजीत सिंह ढडरियां वाले के काफिले पर छबील के निकट की गई फायरिंग की घटना के बाद पंजाब सरकार ने छबील लगाने वाले स्वयंसेवी संगठनों के लिए पुलिस व प्रशासन से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह लंगर और छबील की परम्परा वाले पंजाब में इसे अपनी कमाई का जरिया बना रही है। इसके लिए अब स्वयंसेवी संगठनों को 800 रुपए तक अदा करने होंगे। बड़े महानगरों जैसे जालंधर, अमृतसर व लुधियाना में डी.सी.पी. द्वारा मंजूरी दी जाएगी।
छबील लगाने की मंजूरी के लिए पहले स्वयंसेवी संगठनों को सुविधा सैंटर में आवेदन करते समय 300 रुपए अदा करने होंगे। उसके बाद पुलिस क्लीयरैंस के बाद 500 रुपए और अदा करने होंगे। स्वयंसेवी संगठनों का दूसरी तरफ कहना था कि इससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी क्योंकि अब उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में इससे हाहाकार मच जाएगी तथा सरकार को अपने फैसले पर पुन: विचार करना चाहिए।