Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Feb, 2018 10:40 AM
पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्व गठबंधन सरकार के कार्यकाल में कांग्रेसियों व अन्य पर दर्ज झूठे मामलों को लेकर बनाए गए जस्टिस गिल आयोग की सिफारिशों को सख्ती से लागू करने के कड़े निर्देश जारी कर दिए...
जालंधर(धवन): पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्व गठबंधन सरकार के कार्यकाल में कांग्रेसियों व अन्य पर दर्ज झूठे मामलों को लेकर बनाए गए जस्टिस गिल आयोग की सिफारिशों को सख्ती से लागू करने के कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। जस्टिस मेहताब सिंह गिल मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह को अभी तक 5 अंतरिम रिपोर्ट्स सौंप चुके हैं जिसमें अनेकों मामलों में पूर्व सरकार के कार्यकाल में दर्ज एफ.आई.आर. को रद्द करने की सिफारिश की गई है। मुख्यमंत्री के ध्यान में यह मामला लाया गया था कि कुछ डिप्टी कमिश्नरों द्वारा सिफारिशों को लागू करने में आनाकानी की जा रही है जिसका मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने गंभीर नोटिस लिया है।
जानकारी अनुसार गिल आयोग में गुरदासपुर के पूर्व एस.डी.एम. विजय सायल के विरुद्ध दर्ज एफ.आई.आर. को रद्द करने की सिफारिश की थी जिसने पूर्व सरकार के कार्यकाल में सुखबीर की ऑॢबट बसों को चुनौती देने का साहस किया था। जस्टिस मेहताब सिंह गिल ने अभी झूठे केसों के मामले में अपनी जांच को आगे भी जारी रखना है। गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कुछ डिप्टी कमिश्नरों ने इस संबंध में कुछ ऐतराज जताए थे परन्तु मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह गिल आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने के पक्ष में हैं। इसी तरह से गिल आयोग ने धार्मिक संत बलजीत सिंह दादूवाल के विरुद्ध नवम्बर 2015 में दर्ज की गई एफ.आई.आर. को रद्द करने की सिफारिश की थी। अक्तूबर 2015 में पुलिस थाना डेरा बाबा नानक में दर्ज मामलों को लेकर एक पूर्व अकाली मंत्री व एक एस.एच.ओ. के विरुद्ध भी कार्रवाई के लिए गिल आयोग अपनी सिफारिश कर चुका है।
गृह विभाग ने संबंधित डिप्टी कमिश्नरों से कहा है कि अगर किसी मामले में कानून केस को रद्द करने की अनुमति नहीं देता है तो उस संबंध में संबंधित डिप्टी कमिश्नर को लिखित तौर पर गृह विभाग को उसके कारणों का उल्लेख करना होगा। जिन अधिकारियों के इशारों पर झूठे केस दर्ज किए गए थे उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की प्रक्रिया कानून के अनुसार शुरू होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि सत्ता में आने से पहले कै. अमरेन्द्र सिंह ने कांग्रेसियों व अन्य के विरुद्ध दर्ज केसों को रद्द करने का मामला जोर-शोर से उठाया था।