कैप्टन सरकार बैकफुट पर, खोने लगी जनता में साख

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 09:57 AM

captain amarinder singh

सरकार बनने के मात्र 9 महीने के बाद जनता की कचहरी में  कैप्टन सरकार घिरने लगी है। छोटे से कार्यकाल में ही  कैप्टन सरकार को झटके पर झटका लग रहा है। एक तरफ जनता के बीच कैप्टन सरकार की साख गिर रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल रहा है।...

जालंधर(रविंदर शर्मा): सरकार बनने के मात्र 9 महीने के बाद जनता की कचहरी में  कैप्टन सरकार घिरने लगी है। छोटे से कार्यकाल में ही  कैप्टन सरकार को झटके पर झटका लग रहा है। एक तरफ जनता के बीच कैप्टन सरकार की साख गिर रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल रहा है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले कुछ समय में कैप्टन का कुनबा बिखर भी सकता है। 

जमीनी स्तर पर काम करने वालों को नहीं किया एडजस्ट
कैप्टन सरकार से पार्टी के ही नेता व वर्कर खुश नजर नहीं आ रहे हैं। इन 9 महीनों में पार्टी के लिए घर-घर जाकर वोट मांगने व जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने वाले नेताओं को कहीं भी एडजस्ट नहीं किया गया।  एडजस्टमैंट विधायकों को कैबिनेट व अन्य कमेटियों में करने और अन्य नेताओं को चेयरमैनियां व अन्य विभागों में अहम पद देने की थी, मगर 9 महीने से हर नेता के हाथ खाली हैं। इससे  पार्टी के भीतर कैप्टन के खिलाफ आक्रोश पनप रहा । कैप्टन ने सरकार बनने के बाद अपनी मनमर्जी से अपने खासमखासों को ही एडजस्ट करने की नीति पर काम किया । सरकार बनने के बाद कैप्टन आॢथक स्थिति ठीक न होने की बात कहते हुए न तो कैबिनेट का विस्तार कर पाए थे और न ही अन्य नेताओं को कहीं एडजस्ट किया था, मगर अपनी खास जुंडली के लिए उन्होंने नियमों से बाहर जाते हुए कई पद सृजित कर लिए थे। रिटायरमैंट के बाद नए पद सृजित करते हुए किसी को चीफ पिं्रसीपल सैक्रेटरी, किसी को सिक्योरिटी चीफ तो किसी को सलाहकार नियुक्त कर दिया था। 


राणा गुरजीत सिंह व सुरेश कुमार के मुद्दे पर घिरी सरकार 
कैप्टन के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती मिली थी और हाईकोर्ट ने भी माना कि चीफ पिं्रसीपल सैक्रेटरी के पद पर सुरेश कुमार की नियुक्ति सही नहीं थी। वहीं कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह मामले में भी कैप्टन सरकार लगातार घिरती नजर आ रही है। रेत खनन मामले व बेटे के ई.डी. के शिकंजे में आने के बाद जिस तरह से विपक्ष ने अपना घेरा कसा है, उससे कैप्टन सरकार बैकफुट पर दिखाई दे रही है। दूसरी तरफ राणा गुरजीत सिंह के इस्तीफे को पार्टी हाईकमान या रा’यपाल के पास भेजने की बजाय 1& दिन से अपनी जेब में रखने के कैप्टन के फैसले की भी चारों तरफ आलोचना हो रही है। 2 दिन के घटनाक्रम को लेकर जिस तरह से पूरा मुद्दा उछला है, उससे कैप्टन सरकार की छवि जनता के दिलों में काफी गिरी है।  दूसरी तरफ कैप्टन सरकार के कामकाज से जहां राज्य के वर्कर व नेता परेशान हैं, वहीं हाईकमान भी कैप्टन सरकार के कामकाज से खासी खफा है। आने वाले दिनों में हाईकमान से कैप्टन को सख्त दिशा-निर्देश मिल सकते हैं। 

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