लगातार तीसरी बार रद्द हुई पार्किंग और सुविधा कैंटीन के ठेकों की बोली

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 08:39 AM

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31 मार्च को जिला प्रशासनिक काम्प्लैक्स में तहसील परिसर में खत्म होने जा रहे पार्किंग और सुविधा कैंटीन के कामों के ठेकों के लिए खुली बोली का आयोजन आज ए.डी.सी. (जी) जसबीर सिंह की अध्यक्षता में उनकी अदालत कमरा नंबर 18 ग्राऊंड फ्लोर, डी.सी. दफ्तर में...

जालंधर(अमित): 31 मार्च को जिला प्रशासनिक काम्प्लैक्स में तहसील परिसर में खत्म होने जा रहे पार्किंग और सुविधा कैंटीन के कामों के ठेकों के लिए खुली बोली का आयोजन आज ए.डी.सी. (जी) जसबीर सिंह की अध्यक्षता में उनकी अदालत कमरा नंबर 18 ग्राऊंड फ्लोर, डी.सी. दफ्तर में करवाया गया, जिसमें एक भी आवेदक ने रुची नहीं दिखाई।ए.डी.सी. (जी) जसबीर सिंह ने बाद दोपहर तक इस बात के लिए इंतजार किया कि शायद कोई आवेदक बोली देने के लिए इच्छुक हो और वह उनके पास आ जाए, मगर शाम तक कोई भी नहीं आया। इस वजह से पहले दो बार रद्द हुई बोली के बाद लगातार तीसरी बार भी बोली रद्द करनी पड़ी। 

गौर हो कि पंजाब केसरी द्वारा इस मामले में पहले ही खुलासा कर दिया गया था कि इस बार अगर प्रशासन ने पार्किंग और सुविधा कैंटीन ठेके के लिए पहले से तय किया गया आरक्षित मूल्य कम नहीं किया, तो इस बार दोनों ठेकों को अलाट करना मुश्किल साबित हो सकता है। डी.ए.सी. में पिछले कुछ सालों से जहां रोजाना आने वाले वाहनों की गिनती घटी है, वहीं दूसरी तरफ डी.टी.ओ. दफ्तर का काम आधुनिक ट्रैक पर शिफ्ट होने की वजह से और सुविधा सैंटर बंद होने के कारण यहां आने वाले लोगों की गिनती भी कम हो गई है। मौजूदा बाजार के हालात और तहसील में छाई मंदी के दौर की वजह से इन दोनों ठेकों में कमाई केवल नाममात्र ही रह चुकी है। जिस वजह से पार्किंग और सुविधा कैंटीन का ठेका पहले जितनी राशि में लेना मुनाफे का सौदा नहीं रहा।

इन हालातों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर जल्दी ही प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता और दोनों ठेकों के तय किए गए आरक्षित मूल्य को कम करने की तरफ कोई कदम नहीं उठाया जाता , तो आने वाले समय में प्रशासन की मुसीबतें  बढ़ सकती हैं। यहां बताने लायक है कि पिछले साल भी प्रशासन ने पार्किंग का ठेका देते समय आरक्षित मूल्य कम नहीं किया था, जिसकी वजह से एक महीने के लिए प्रशासन को पार्किंग ठेका चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अगर &1 मार्च, 2018 से पहले पार्किंग का ठेका अलाट नहीं हो पाता, तो उस सूरत में या तो मौजूदा ठेकेदार को डेली-सिस्टम के आधार पर ठेका चलाने के लिए दिया जा सकता है या फिर प्रशासन को पार्किंग का ठेका खुद चलाना पड़ सकता है। दोनों ही स्थितियों में प्रशासन की साख को बट्टा लगेगा, इसलिए तय अवधि से पहले दोनों ठेकों को किसी भी तरह अलाट करने में ही बेहतरी है। 

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