Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 10:03 AM
केंद्र सरकार साल 2018 के बजट की तैयारियों में जुटी हुई है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आ रहे इस बजट के जनता हित में जाने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में इस बजट में सरकार का फोकस आम आदमी को कई मोर्चों पर राहत देने पर हो सकता...
जालंधर(रविंदर) : केंद्र सरकार साल 2018 के बजट की तैयारियों में जुटी हुई है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आ रहे इस बजट के जनता हित में जाने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में इस बजट में सरकार का फोकस आम आदमी को कई मोर्चों पर राहत देने पर हो सकता है। सबसे बड़ा फैसला प्रापर्टी को लेकर लिया जा सकता है। केंद्र सरकार का फोकस होगा कि प्रापर्टी को जी.एस.टी. के दायरे में लाया जाए। पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेतली खुद इसका संकेत भी दे चुके हैं। अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को मकान खरीदना सस्ता पड़ सकता है।
इसकी संभावना इसलिए भी प्रबल है क्योंकि अब कंस्ट्रक्शन मैटीरियल पर बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रैडिट मिल जाता है। ऐसे में सरकार न सिर्फ रीयल एस्टेट को जी.एस.टी. के तहत शामिल कर सकती है बल्कि स्टांप ड्यूटी में भी कुछ राहत दे सकती है। हर साल 1 करोड़ रोजगार देने का वायदा कर भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, मगर नोटबंदी और जी.एस.टी. ने सबसे बुरा असर रोजगार पर डाला है। युवाओं को बड़ी-बड़ी डिग्री के बाद भी नौकरी नहीं मिल पा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो यह 2019 में सरकार के लिए सैटबैक होगा। इससे उभरने के लिए इस बजट में मोदी सरकार का फोकस देश में रोजगार बढ़ाने पर भी होगा। इसके लिए सरकार बजट में राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा कर सकती है। इस नीति से देश में नौकरियां पैदा करना आसान किया जाएगा। इस रोजगार नीति में आर्थिक, सामाजिक और श्रम नीतियां शामिल होंगी। यह नीतियां देश में रोजगार पैदा करने का रोडमैप तैयार करेंगी।
रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए सरकार कारोबारियों को प्रोत्साहन दे सकती है। कंपनियों को आकॢषत करने के लिए जरूरी सुधार के साथ ही छोटे और मंझौले कारोबारियों की स्थिति सुधारने पर ध्यान दिया जा सकता है। कृषि विकास का लगातार गिरता ग्राफ भी केंद्र सरकार के लिए ङ्क्षचता का विषय बना हुआ है। इसलिए किसानों की हालत सुधारने पर भी सरकार का पूरा फोकस हो सकता है। पिछले कुछ समय में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट घटा है। इसमें वित्त वर्ष 2016-17 में 21 फीसदी की गिरावट आई है। दरअसल जब एक्सपोर्ट की स्थिति बेहतर होती है तो देश में कृषि उत्पादों की कीमतें भी नियंत्रण में रहती हैं। ऐसे में सरकार एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कुछ अहम फैसले बजट में ले सकती है। इसके अलावा किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य दिए जाने का इंतजाम किया जा सकता है। इसके साथ ही किसान कर्ज माफी पर भी कुछ अहम घोषणा हो सकती है।