Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 08:47 AM
वैसे तो भाजपा के लोग सत्तापक्ष के खिलाफ आवाज उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन पंजाब भाजपा की छत्रछाया तले मौका होने पर भी भाजपा के लोग कांग्रेस के खिलाफ मुंह खोलने से कतराने लगे हैं। शायद यही कारण है कि कांग्रेस की 10 माह की कारगुजारी के खिलाफ...
जालंधर (पाहवा): वैसे तो भाजपा के लोग सत्तापक्ष के खिलाफ आवाज उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन पंजाब भाजपा की छत्रछाया तले मौका होने पर भी भाजपा के लोग कांग्रेस के खिलाफ मुंह खोलने से कतराने लगे हैं। शायद यही कारण है कि कांग्रेस की 10 माह की कारगुजारी के खिलाफ रोष जताने के लिए आज जिला स्तर पर भाजपा के 25 लोग भी नहीं जुटे हालांकि अखबारों में कांग्रेस के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करने वाले पार्टी नेता जिले में 1 लाख वर्कर बनाने का दावा करते नहीं थकते। रोषस्वरूप भाजपा ने आज जिलाधीश को एक ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम रखा था, लेकिन पार्टी की तरफ से बहुत कम लोग आए।
जिलाध्यक्ष रमेश शर्मा के नेतृत्व में भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधीश वरिंद्र शर्मा से मिला तथा उन्हें ज्ञापन सौंपा। शर्मा ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार को 10 महीने पूरे हो गए हैं, परंतु इन 10 महीनों में पंजाब की हालत हर महीने बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि अपने चुनावी वायदे के मुताबिक न तो कांग्रेस सरकार ने किसानों का कर्जा माफ किया और न ही पंजाब को नशामुक्त किया। शर्मा ने कहा कि हर तरफ अराजकता फैली हुई है। अपने विरोधियों को पीटना, राजनीतिक बदलाखोरी, गैंगवार, लूटपाट, दलितों पर अत्याचार हर ओर दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि जनता से किए हुए सभी वायदे पूरे किए जाने चाहिएं।
गायब रहे पूर्व विधायक,पूर्व मेयर व आला नेता
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कांग्रेस के खिलाफ आयोजित रोष कार्यक्रम में पूर्व विधायक के.डी. भंडारी, मनोरंजन कालिया व मङ्क्षहद्र भगत, पूर्व मेयर इत्यादि तो गायब रहे ही, साथ ही जिला स्तर के कई नेता भी नहीं पहुंचे। इस बारे में जिला अध्यक्ष रमेश शर्मा का कहना है कि कुछ नेताओं की अन्य जिलों में ड्यूटी लगी होने के कारण वे लोग इस कार्यक्रम में नहीं आ सके।
भाजपा धीरे-धीरे पंजाब में अपना वजूद खोती जा रही
हैरानी की बात तो यह है कि पार्टी के फ्रंटल संगठन भी पार्टी से दूर होते जा रहे हैं। पार्टी की जिला स्तर पर हो रही ऐसी दुगर्ति की रिपोर्ट जिले से पार्टी के कुछ कर्मठ वर्कर हाईकमान तक पहुंचा चुके हैं। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इसकी गाज किस-किस नेता पर गिरती है। गाज चाहे जिस पर भी गिरे, मगर पार्टी धीरे-धीरे पंजाब में अपना वजूद खोती जा रही है और इसका खमियाजा पार्टी को 2019 लोकसभा चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है।