Edited By Updated: 05 Oct, 2015 02:57 PM
घोर आर्थिक संकट से गुजर रहे पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों को त्योहारी सीजन में वेतन के लाले पड़ सकते हैं। पीयू के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं बचा है।
चंडीगढ़ःघोर आर्थिक संकट से गुजर रहे पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों को त्योहारी सीजन में वेतन के लाले पड़ सकते हैं। पीयू के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसा नहीं बचा है।
पीयू प्रशासन ने इस विषय में केंद्र को एक चिट्ठी लिखकर अगले वित्त वर्ष के बजट में से 150 करोड़ की एक अंतरिम किस्त जारी करने की गुहार लगाई है। अभी केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने पिछले वित्त वर्ष का बकाया 18 करोड़ रुपया रोक रखा है।
यह पैसा यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने एमएचआरडी द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की ओर से जारी निर्देशों पर रोका था। पीयू के एबीवीपी सहित कुछ छात्र संगठनों ने शिकायत दी थी कि हॉस्टल आदि के फंड में अनियमितताएं हो रही हैं और हॉस्टल फंड को बजट का हिस्सा नहीं दिखाया जा रहा है। कुलपति व पीयू प्रशासन इस शिकायत पर एमएचआरडी में जाकर सफाई भी दे चुके हैं। अब फिर 9 अक्तूबर को कुलपति प्रो. एके ग्रोवर एमएचआरडी के पास अंतरिम किस्त के तौर पर 150 करोड़ और पिछले साल का बकाया 18 करोड़ जारी कराने के लिए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पीयू ने एमएचआरडी की ओर से मांगी गई कंपलायेंस सीनेट-सिंडीकेट से पास कराकर 30 सितंबर को यूजीसी को भेज दी हैं। 2012 तक अकाउंट मैनुअल होने के चलते यह साफ नहीं था कि वार्डन आदि कितना खर्च करने की पावर रखते हैं। यूजीसी को आपत्ति थी कि वार्डन आदि के बजाय विभाग के हेड को ही पैसा खर्च करने की पावर हो। इसी के साथ अन्य जो भी कंपलायेंस यूजीसी ने मांगी थीं, वे पूरी कर दी गई हैं।
कुलपति प्रो. ग्रोवर ने कहा कि उनका कोई पर्सनल एजेंडा नहीं है, वे पीयू की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। वे चाहते हैं कि पीयू को ऐसे लोगों के हाथ में छोड़कर जाएं जो इसके विस्तार और इसकी तरक्की के बारे में चिंतित हों। उन्होंने कहा कि मंजूर हुई राशि को कोई रोक नहीं सकता। उनका प्रयास रहेगा कि वे अंतरिम किस्त के 150 करोड़ जारी करा लें और फिर जनवरी, 2016 में दोबारा बात करें।
याद रहे एमएचआरडी ने पिछले बजट का 18 करोड़ इसलिए रोका था कि पीयू ने अपनी इनकम छिपायी है और घाटा ज्यादा दिखाकर केंद्र से फालतू पैसा ले लिया है। केंद्र फिलहाल 90 फीसदी ग्रांट देता है जबकि 10 प्रतिशत हिस्सा पीयू को अपने आंतरिक स्रोतों से जुटाना होता है जबकि कुछ तय राशि पंजाब सरकार से मिलती है।