Edited By Updated: 26 Sep, 2015 02:28 PM
भले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के कारण सभी राज्यों में संगठन चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं,
जालंधरः भले ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के कारण सभी राज्यों में संगठन चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, मगर पार्टी नेतृत्व की खास निगाह मिशन 2017 से जुड़े तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब पर टिकी है। इन तीनों ही राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए अभी से माथापच्ची शुरू हो चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि पंजाब में पार्टी ने फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए प्रदेश सचिव तरुण चुघ, महासचिव राकेश राठौर और तीक्ष्ण सूद के नाम पर विचार विमर्श किया है।
उत्तर प्रदेश की कमान इस बार राज्य से जुड़े किसी पुराने चेहरे को नहीं दी जाएगी। पार्टी नेतृत्व की पहली प्राथमिकता ब्राह्मण बिरादरी का युवा नेता है। अध्यक्ष पद के लिए आलाकमान की अंतिम पसंद पूरे प्रदेश को चौंका सकता है।
उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी पार्टी नेतृत्व की योजना नया नेतृत्व उभारने की है। इस सूबे में भी इस पद के लिए पहली पसंद ब्राह्मण बिरादरी ही है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि चिंतन के पहले दौर में यह पाया गया कि विधानसभा की उन सीटों पर जहां ब्राह्मण बिरादरी निर्णायक भूमिका में हैं, वहां पार्टी नहीं हारती। कलाढूंगी और यमनेश्वर जैसे ब्राह्मण बहुल विधानसभा में पार्टी आज तक नहीं हारी। पहाड़ के 10 जिलों में ब्राह्मणों की आबादी 30 फीसदी है।
इस पद के लिए फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत, राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी और प्रतिपक्ष के नेता अजय भट्ट के नामों पर विचार हुआ है। इनमें रावत दो बार चुनाव हार चुके हैं, जबकि बतौर प्रतिपक्ष के नेता भट्ट रावत सरकार को घेर नहीं पाए हैं। बलूनी की शीर्ष नेतृत्व में मजबूत पकड़ है, मगर उनकी उपस्थिति दिल्ली में ही ज्यादा रहती है।
तृत्व बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न होते ही वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रहे इन राज्यों में नया चेहरा तय कर देना चाहता है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में पार्टी नेतृत्व की पहली इच्छा ब्राह्मण बिरादरी के किसी युवा नेता को संगठन की कमान देने की है।
उत्तर प्रदेश में जाट बिरादरी के किसी नेता को संगठन की कमान दे कर इस बिरादरी पर अपना पकड़ मजबूत बनाने के विकल्प पर भी सोच रही है। पंजाब में सिख बिरादरी की राजनीति करने वाले पहले से कई दलों के होने और कुछ नए दलों के उभरने के कारण वह हिंदू वोट बैंक को सहेजने की जुगत में है।
हालांकि इस प्रदेश में सिख बिरादरी के क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को संगठन की कमान देने की बात कही जा रही थी, मगर केंद्रीय नेतृत्व के एक धड़े की सलाह है कि सिद्धू के इतर पार्टी को हिंदु मतों के ध्रुवीकरण की नीति अपनानी चाहिए।