Edited By Updated: 12 Jul, 2016 05:04 PM
श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन करके वापस लौटे हजारों की संख्या में श्रद्धालु बालटाल में फंस कर रह गए हैं क्योंकि ..
जालन्धर(धवन): श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन करके वापस लौटे हजारों की संख्या में श्रद्धालु बालटाल में फंस कर रह गए हैं क्योंकि हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद बालटाल में फंसे हजारों श्रद्धालुओं पर अब नर्इ मुसीबत आ गर्इ है। बताया जा रहा है कि उपद्रवियों द्वारा श्रीनगर को जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं, जिससे उन्हें खाने और ठहरने के भी लाले पड़े हुए हैं।
बालटाल से विजय ढींगरा ने बताया कि लगभग 6 हजार से अधिक श्रद्धालु वापस जाने के इंतजार में बैठे हुए हैं परन्तु उन्हें ठहरने व भोजन के लाले पड़े हुए हैं। कुछ श्रद्धालुओं ने तो लंगर संस्थाओं के टैंटों में शरण ले ली है। उन्होंने बताया कि किसी भी वाहन को बालटाल से श्रीनगर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है क्योंकि रास्ते में उपद्रवियों द्वारा ईंटें व पत्थर फैंके जा रहे हैं। पिछले 5 दिनों से अनेकों श्रद्धालु टैंटों में शरण लिए हुए हैं। उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी लंगर संस्थाओ ने की हुई है।
ढींगरा ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने तो श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए कोई आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई। लोगों के भोजन की व्यवस्था भी सरकार को करनी चाहिए थी जिसमें वह असफल हुई है। उन्होंने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर में हालात खराब हुए हैं तो उसके लिए श्रद्धालुओं का क्या दोष है। श्रद्धालुओं को सुविधाएं दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि वह स्वयं बटाला के श्री विजय प्रभाकर द्वारा लगाए गए टैंटों में रह रहे हैं। प्रशासन के अधिकारियों से रास्ता खुलने के बारे में जब भी कोई सवाल पूछा जाता है तो वह अपने हाथ खड़े कर देते हैं।
राज्य सरकार को श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। श्रद्धालुओं में भय पाया जा रहा है। यहां तक कि सरकार ने सुरक्षा के उचित प्रबंध नहीं किए हैं। सरकार को चाहिए कि वह अद्र्धसैनिक बलों की सुरक्षा के घेरे में अमरनाथ यात्रियों को बालटाल से श्रीनगर के लिए भेजने का प्रबंध करें। कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों के लिए भारी मुसीबतेें पैदा हो गई हैं। उन्हें कहा जाता है कि शाम को रास्ता खुल जाएगा परन्तु ऐसा सुनते-सुनते भी 5 दिन बीत चुके हैं। अभी भी यह पता नहीं है कि रास्ता कब खुलेगा।