Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Mar, 2018 10:19 AM
पंजाब में कै. अमरेन्द्र सिंह सरकार द्वारा नई आबकारी नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकारी हलकों से पता चला है कि सरकार द्वारा इस बार अपनी आबकारी नीति में छोटे ग्रुप बनाने को पहल दी जा सकती है। काफी लम्बे समय से शराब ठेकेदारों की ओर से छोटे ग्रुप...
जालंधर(धवन): पंजाब में कै. अमरेन्द्र सिंह सरकार द्वारा नई आबकारी नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकारी हलकों से पता चला है कि सरकार द्वारा इस बार अपनी आबकारी नीति में छोटे ग्रुप बनाने को पहल दी जा सकती है। काफी लम्बे समय से शराब ठेकेदारों की ओर से छोटे ग्रुप बनाने की मांग की जा रही थी।
छोटे ग्रुप बनाने में अगर सरकार कामयाब होती है तो इससे जहां सरकार को मिलने वाले राजस्व में बढ़ौतरी होगी, वहीं पर दूसरी तरफ शराब के दामों में भी कमी आ सकती है। 2018-19 के लिए नई आबकारी नीति संभवत: अगले सप्ताह पेश की जा सकती है। मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने शराब ठेकेदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए नई नीति बनाने के लिए कहा है। सरकार द्वारा नए वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित आबकारी नीति में लगभग 5600 करोड़ के राजस्व का लक्ष्य रखा जा सकता है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह राजस्व 10 प्रतिशत अधिक हो सकता है।
सरकारी हलकों ने बताया कि इस बार यह प्रस्ताव भी मुख्यमंत्री को दिया गया है कि कारटेल्स के आकार की आरक्षित कीमत 40 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ कर दी जाए। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा शराब कारोबार में आई गिरावट को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए कहा गया है। छोटे शराब कारोबारी पिछली गठबंधन सरकार के कार्यकाल में गायब ही हो गए थे तथा पूर्व सरकार बड़े ठेकेदारों पर मेहरबान रही जिस कारण शराब के कारोबार में भी एकाधिकार स्थापित हो गया था।
पूर्व गठबंधन सरकार के समय अनेक सियासी नेता शराब के कारोबार में मोटी कमाई करने के उद्देश्य से प्रवेश कर गए थे। सरकार चाहती है कि शराब कारोबार पर किसी प्रकार का कोई एकाधिकार नहीं होना चाहिए तथा अधिक से अधिक लोग इस कारोबार में आएं, जिससे राज्य में छोटे कारोबारियों को भी काम मिल जाएगा। इससे पहले भी 2002 से 2007 तक जब कैप्टन सरकार रही तो छोटे शराब के कारोबारियों को काफी काम मिलता रहा परन्तु बाद में शराब कारोबार पर एकाधिकार स्थापित हो गया।