Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 10:14 AM
परिवहन विभाग के अंदर बतौर बूट आप्रेटर काम करने वाली निजी कंपनी स्मार्ट चिप के कारनामे पूरे प्रदेश की जनता से छिपे नहीं हैं। इसमें काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले गोरखधंधे भी सदैव चर्चा में बने रहते हैं। जालंधर में तैनात कर्मचारी तो...
जालंधर (अमित): परिवहन विभाग के अंदर बतौर बूट आप्रेटर काम करने वाली निजी कंपनी स्मार्ट चिप के कारनामे पूरे प्रदेश की जनता से छिपे नहीं हैं। इसमें काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले गोरखधंधे भी सदैव चर्चा में बने रहते हैं। जालंधर में तैनात कर्मचारी तो पूरे प्रदेश में अपने बड़े-बड़े घोटालों को लेकर सुर्खियां बटोर चुके हैं। हाल ही में विजीलैंस द्वारा आर.टी.ए. दफ्तर के अंदर की गई रेड के बाद शुरू की गई चैकिंग में भी अधिकतर गोरखधंधों में निजी कंपनी के कर्मचारियों की कारगुजारी ही सामने आ रही है। निजी कंपनी के स्टाफ की एजैंटों के साथ सैटिंग कितनी तगड़ी है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जो काम आम जनता के बार-बार चक्कर काटने के बाद भी नहीं होते थे, वे काम एजैंटों के इशारे मात्र से ही हो जाते हैं।
स्मार्ट चिप कंपनी के पास ड्राइविंग लाइसैंस से संबंधित सारा कामकाज है। विजीलैंस इस तथ्य की जांच-पड़ताल कर रही है कि इन मुलाजिमों की एजैंटों के साथ क्या सैटिंग है, इसीलिए सब की कॉल डिटेल चैक की जानी है, ताकि एजैंटों से कनैक्शन का पता चल सके। विजीलैंस विभाग द्वारा निजी कंपनी के स्टाफ का एजैंट कनैक्शन जानने के लिए सारे कर्मचारियों के मोबाइल फोन नंबरों की लिस्ट मांगी गई थी, मगर निजी कंपनी के स्टाफ के काम कितने निराले हैं, इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद को बचाने के लिए स्टाफ ने अपने गलत नंबरों की लिस्ट विजीलैंस को सौंपी है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकतर स्टाफ के पास 2 से 3 मोबाइल नंबर हैं, जिनमें एक नंबर ऐसा है जो सिर्फ नैट यूज के लिए रखा गया है। स्टाफ ने बड़ी चालाकी के साथ अपने रूटीन नंबर देने की जगह नैट यूज वाले नंबर विभाग को दिए हैं, ताकि उनकी कॉल डिटेल में किसी एजैंट के साथ उनका कनैक्शन साबित ही न हो सके। ऐसा नहीं है कि सारे कर्मचारियों ने गलत नंबर दिए हैं, मगर बड़ी संख्या ऐसे स्टाफ की है जिन्होंने अपने जियो नंबर ही दिए हैं। ये वे नंबर हैं, जिनसे कॉलिंग होती ही नहीं है। ये नंबर इंटरनैट सॢवस के लिए इस्तेमाल होते हैं। कई मुलाजिमों के पास इन नंबर्स पर व्हॉट्सएप चल रहा है। सूत्रों की मानें तो विजीलैंस के पास भी इस बात की जानकारी पहुंच चुकी है, इसलिए अब आर.टी.ए. दफ्तर से दोबारा मोबाइल नंबर मांगने की तैयारी की जा रही है। मुलाजिमों से कहा जाएगा कि वे अपने रूटीन नंबरों की लिस्ट विभाग को सौंपें।