पंजाब सरकार ने अस्थायी रूप से विज्ञापनों के टैंडर जारी करने की 31 मार्च तक दे रखी है मंजूरी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 10:40 AM

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नगर निगम ने विज्ञापनों से अपनी आय बढ़ाने के उद्देश्य से शहर में यूनीपोल लगाने के टैंडर निकाले हैं जो 8 जनवरी को खोले जा रहे हैं। गौरतलब है कि 2002 में आई कै. अमरेंद्र सिंह की सरकार के समय तत्कालीन लोकल बॉडीज मंत्री चौ. जगजीत सिंह तथा तत्कालीन मेयर...

जालंधर(खुराना): नगर निगम ने विज्ञापनों से अपनी आय बढ़ाने के उद्देश्य से शहर में यूनीपोल लगाने के टैंडर निकाले हैं जो 8 जनवरी को खोले जा रहे हैं। गौरतलब है कि 2002 में आई कै. अमरेंद्र सिंह की सरकार के समय तत्कालीन लोकल बॉडीज मंत्री चौ. जगजीत सिंह तथा तत्कालीन मेयर सुरेंद्र महे ने बी.ओ.टी. आधार पर शहर के सभी विज्ञापनों का ठेका अमृतसर की एक फर्म को 11 साल के लिए बहुत कम दामों पर दे दिया था जो उस समय बी.ओ.टी. घोटाले के रूप में काफी चर्चित रहा।

11 साल बाद अब जाकर अमृतसर की उस फर्म का कांट्रैक्ट खत्म हुआ है और उसने जालंधर में लगे सभी यूनीपोल उतार लिए हैं।इस दौरान पंजाब की सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने जालंधर नगर निगम को नए विज्ञापन टैंडर जारी करने पर रोक लगा दी थी जिस कारण निगम को शहर में विज्ञापनों से कोई आय नहीं हो पा रही थी और न ही शहर में कोई विज्ञापन लग रहा था। इसके मद्देनजर नगर निगम कमिश्नर ने सरकार को पत्र लिखकर विज्ञापनों के टैंडर लगाने की मंजूरी मांगी।निगम सूत्रों के मुताबिक पंजाब सरकार ने निगम को 31 मार्च तक अस्थायी रूप से विज्ञापनों के टैंडर जारी करने की मंजूरी दे दी है जिसके आधार पर निगम ने शॉर्ट टर्म टैंडर निकाले हैं। इन टैंडरों के आधार पर शहर में 54 स्थानों पर यूनीपोल लगाने की मंजूरी दी जाएगी। एक यूनीपोल की रिजर्व कीमत संभवत: 27,500 रुपए प्रति माह रखी गई है, उस पर विज्ञापन शुल्क अलग से लगेगा। 

कांग्रेसियों को रास नहीं आ रहा टैंडर
अब सत्तारूढ़ कांग्रेसियों द्वारा ही आरोप लगाया जा रहा है कि निगम प्रशासन ने मिलीभगत से उक्त टैंडर निकाला है ताकि उसी फर्म को यह काम दिया जा सके जिसने पहले ही 11 साल यही काम किया है। कांग्रेसियों द्वारा आज जारी एक प्रैस नोट में निगम प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि नए हाऊस के गठित होने से पहले ऐसे टैंडर जारी करना घोटाले को प्रदर्शित करता है। दूसरा आरोप यह लगाया गया है कि टैंडर के मुताबिक यूनीपोल फिक्स करने की अवधि 15 दिन निर्धारित की गई है जो सिर्फ पुरानी कम्पनी के वश की ही बात है क्योंकि उसके उतारे हुए यूनीपोल अभी सड़कों पर ही पड़े हुए हैं। दूसरी ओर निगम प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि कुछ कांग्रेसी बिना वजह इसे घोटाला बता रहे हैं जबकि उनकी अपनी कांग्रेस सरकार ने ही इस बाबत अनुमति प्रदान कर रखी है। 

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