वजूद तलाश रहा नगर कौंसिल हरियाना का पुस्तकालय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 02:08 PM

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महान संगीत सम्राट तानसेन के गुरु हरिदास के हरियाना आने पर कस्बे का नामकरण होने से लेकर आज तक कस्बा हरियाना अपने आप में बीते कल की बेशुमार यादें संजोए बैठा है। देश को आजादी दिलाने के लिए कस्बे के कई महानायकों ने गोरी हुकूमत के विरुद्ध जाकर मौत के जाम...

हरियाना(राजपूत): महान संगीत सम्राट तानसेन के गुरु हरिदास के हरियाना आने पर कस्बे का नामकरण होने से लेकर आज तक कस्बा हरियाना अपने आप में बीते कल की बेशुमार यादें संजोए बैठा है। देश को आजादी दिलाने के लिए कस्बे के कई महानायकों ने गोरी हुकूमत के विरुद्ध जाकर मौत के जाम पिए थे।

]देश के आजाद होने के बाद सन् 1954 में कस्बे के स्थायी निवासी और समाज सुधारक पंडित बेली राम ने बहुत प्रयत्नों से युवा पीढ़ी को सुशिक्षित करने के मकसद से होशियारपुर रोड पर पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष का निर्माण करवाया था जिसका शिलान्यास उस समय के डिप्टी कमिश्नर एस.एस. ग्रेवाल द्वारा प्रभावशाली समागम  दौरान किया गया था, जिसके रख-रखाव की जिम्मेदारी पार्षद कमेटी को सौंपी गई थी, परंतु आज के संदर्भ में नगर कौंसिल हरियाना के पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष का अस्तित्व समाप्त होकर इतिहास के पन्नों में सिमट गया है। 

अंधेरे से उजाले की ओर ले जाती हैं पुस्तकें
पुस्तकें सदैव मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं, जो मनुष्य को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाती हुईं सही रास्ता दिखाने का काम करती हैं। बुद्धिजीवी, समाज सेवी औैर शिक्षा प्रेमियों ने जिला प्रशासन और पंजाब सरकार से पुरजोर मांग की है कि नगर कौंसिल हरियाना के पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष को जल्द जनता के लिए खोलकर अलग-अलग भाषाओं का साहित्य उपलब्ध करवाया जाए।

सरकार व प्रशासनिक उदासीनता का शिकार
नगर निवासियों को पढऩे में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए नगर कौंसिल हरियाना के पुस्तकालय में सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल थीं। स्कूल, कालेज से संबंधित किताबों के साथ ही हिंदी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य की पुस्तकालय में भरमार थी, परंतु धीरे-धीरे रखरखाव की कमी और सरकार व प्रशासनिक उदासीनता के चलते पुस्तकों में भारी गिरावट आने लगी। परिणामस्वरूप आज पुस्तकालय में शिलान्यास को छोड़कर एक भी पुस्तक मौजूद नहीं है।

जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन को करनी होगी पहल
नगर कौंसिल हरियाना का पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष लम्बे समय से देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुका है। इसके फर्नीचर को नगर कौंसिल द्वारा अपने कार्यों के लिए ही प्रयोग में लाया जा रहा है। इसके उद्धार के लिए समाज-सेवी संस्थाओं, समूह नगर कौंसिल कमेटी और प्रशासनिक अधिकारियों को आगे आकर पहल करनी होगी, जिससे पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष की दशा और दिशा में जल्द सुधार हो सके। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी के लिए स्थायी लाइब्रेरियन की नियुक्ति करनी चाहिए।

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