Edited By Updated: 20 May, 2016 09:57 AM
इराक के समुंदर में हर तरफ पानी ही पानी न कोई बात सुनने वाला, न कोई मददगार। मुझे तीन महीने तक शिप के ही एक कमरे में बंद कर दिया गया था
मोहालीः इराक के समुंदर में हर तरफ पानी ही पानी न कोई बात सुनने वाला, न कोई मददगार। मुझे तीन महीने तक शिप के ही एक कमरे में बंद कर दिया गया था। न हवा, न पानी। सांस लेना भी मुश्किल। सोचा था विदेश में कमाकर घरवालों को बेहतर भविष्य दूंगा लेकिन हालात ऐसे हो गए कि कई बार मन हुआ समुंदर में कूद कर जान दे दूं।
यह आप बीती है मोहाली के बलबीर सिंह की। उसको हाल ही में एक एन.जी.ओ. हैल्पिंग हैप्लेस की मदद से छुड़ाया गया है। बलबीर ने बताया, ‘एक साल पहले मैं शिप पर काम करने के लिए इराक गया था। काम करने के बाद मैंने अपनी सैलरी मांगी थी, बस इतना ही कसूर था मेरा। मुझे शिप से अगवा कर लिया गया और एक कमरे में बंद कर दिया गया। मैं मुंबई के एजैंट बबलू के जरिए शिप पर काम करने गया था। होशियारपुर के दो लड़के और साथ थे। शुरू के तीन महीने तक तो खाली बिठाए रखा। फिर शिप पर काम करने के लिए भेजा गया। कई महीने तक काम करवाने के बाद भी सैलरी नहीं दी।
जब पैसे मांगे तो शिप के ही एक ऐसे कमरे में डाल दिया गया, जहां न हवा आती थी, न रोशनी। पीने के लिए पानी तक नहीं था। इस कमरे में हफ्ते में एक-आधा बार खाने का पैकेट फैंका जाता था। कभी यह पैकेट मैंने एक दिन में खत्म कर दिया, कभी सात दिन भी चलाया। उस बंद कमरे में न तो किसी की शक्ल देख सकते थे, न किसी से बात कर सकते थे। आसपास सिर्फ पानी ही पानी नजर आता था। कई बार मन किया इसी पानी में कूदकर जान दे दूं।’
उसने आगे बताया, ‘एक दिन हमारी शिप के पास एक और शिप नजर आया। उसमें कुछ पंजाबी युवक नजर आए। इन्हीं में से एक युवक का फोन लेकर मैंने अपने घरवालों से कॉन्टैक्ट किया। इसके बाद घरवालों ने एन.जी.ओ. हेल्पिंग हैप्लेस से संपर्क किया और मैं छूट सका।’
कई भारतीयों को विदेश से वापस ला चुकी है एनजीओ
मोहाली में एन.जी.ओ. हैल्पिंग हैप्लेस को अमनजोत कौर चला रही हैं। यह एनजीओ पहले भी विदेशों में फंसे कई भारतियों को वापस ला चुकी है। अमनजोत कौर ने बताया कि जब उनके पास बलबीर के घरवाले अाए तो उन्होंने एंबेसी से बात करके बलबीर को वापस लाने की प्रकिया शुरू की और प्रयास करते हुए बलबीर को वापस लाया गया।