Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Aug, 2017 08:53 AM
वैसे तो जुआ खेलना गैर-कानूनी है, लेकिन एक ऐसा भी मंदिर है, जहां यह परंपरा में शुमार है।
अमृतसरः वैसे तो जुआ खेलना गैर-कानूनी है, लेकिन एक ऐसा भी मंदिर है, जहां यह परंपरा में शुमार है। साल में एक दिन के लिए यहां पर जुआ खेलने वालों को कानून भी नहीं रोकता। इस ऐतिहासिक चविंडा देवी मंदिर में हर साल माता चिंतपूर्णी का मेला लगता है, जहां दूर-दूर से लोग जुआ खेलने के लिए आते हैं और अपनी किस्मत आजमाते हैं।
मंदिर ट्रस्ट के प्रधान खरैती दास का कहना था कि जुआ तो पांडवों के समय से चलता आ रहा है, जिसमें पांडव द्रोपदी तक हार गए थे। वहीं दीवाली जब पूरे देश में जुआ खेला जाता है तो एक परंपरा के अनुसार मंदिर में भी यह लंबे समय चला आ रहा है। सावन महीने की अष्टमी पर यह मेला लगता है। सोमवार को यह मेला बड़ी श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया।
प्रधान खरैती लाल और सैक्रेटरी दर्शन कुमार ने बताया कि ऐतिहासिक मंदिर से लोगों की अपार श्रद्धा जुड़ी हुई है। लोगों के मुताबिक मंदिर का इतिहास काफी बहुत पुराना है।
माना जाता है कि किसी समय चंडमुंड राक्षस ने काफी आतंक मचा रखा था तो मां चामुंडा देवी ने यहीं उसका वध किया था, जिसके बाद यहां मंदिर बनाया गया था।
सैक्रेटरी दर्शन कुमार का कहना है कि परंपरा के अनुसार ही लोग यहां जुआ खेलने आते हैं। किसी समय तो मुंबई, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से लोग भी यहां जुआ खेलने आते थे। पहले तो मंदिर परिसर में ही लोग जुआ खेलते थे, लेकिन बदलते समय के अनुसार और लोगों के विरोध के चलते मंदिर के अंदर खेलना मना हो गया। उन्होंने बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष और शारदीय नवरात्रों पर भी यहां मेला बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन उस दौरान जुआ बिल्कुल भी नहीं खेला जाता।