सत्ता परिवर्तन होते ही प्रधानमंत्री मोदी की ‘स्वच्छ भारत मुहिम’ ठुस्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 10:20 AM

swachh bharat campaign

भारत को स्वच्छ बनाने के सपने को साकार करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में 2 अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की गई थी जिसमें भारत के सम्पूर्ण रोड, मोहल्लों, चौराहों, कस्बों व ग्रामीण आबादी में मुकम्मल रूप से स्वच्छता...

पठानकोट/बमियाल (शारदा, राकेश): भारत को स्वच्छ बनाने के सपने को साकार करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशभर में 2 अक्तूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की गई थी जिसमें भारत के सम्पूर्ण रोड, मोहल्लों, चौराहों, कस्बों व ग्रामीण आबादी में मुकम्मल रूप से स्वच्छता लाने का लक्ष्य रखा गया था जोकि महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती को 20 अक्तूबर 2019 तक पूरा करने का प्रण लिया गया था। 

इस मुहिम में सर्वप्रथम देश को खुले में शौच पर पूरी तरह अंकुश लाने हेतु 12 मिलियन टॉयलेट बनाने का लक्ष्य निश्चित किया गया था जिसमें केंद्र सरकार द्वारा 1.96 करोड़ की लागत राशि निर्धारित की गई थी तथा इसके अलावा सरकार द्वारा सभी राज्यों के लिए अलग-अलग स्कीमें में भी लागू की गई थीं परंतु दुख की बात यह है कि वर्ष 2014 में शुरू किए गए इस लक्ष्य के मुताबिक अभी भी पंजाब प्रांत किसी भी कोण से स्वस्थ मुहिम के टारगेट के आस-पास छूता नजर नहीं आ रहा है। रही-सही कसर करीब 11 महीने पहले राज्य में सत्ता परिवर्तन यानि कांग्रेस सरकार आने के चलते पूरी हो गई। सत्ता परिवर्तन होते ही राज्य में प्रधानमंत्री मोदी की ‘स्वच्छ भारत मुहिम’ ठुस्स हो गई। 

गौर रहे कि अप्रैल 1999 में कांग्रेस सरकार द्वारा भी स्वच्छ भारत की तर्ज पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के दिशा निर्देश अनुसार स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की गई थी जिसमें भी भारत को टोटल सैनिटेशन कैम्पेन द्वारा स्वच्छ बनाने की एक विशेष कोशिश की गई थी परंतु दुख की बात है कि तत्कालीन कांग्रेस की यू.पी.ए. सरकार ने भी उस समय इस लक्ष्य को अमलीजामा नहीं पहनाया। ङ्क्षचता की बात यह है कि इस समय कांग्रेस सरकार भी स्वच्छता को भारतीय जनता पार्टी का पॉलिटिकल स्टंट समझ कर अनदेखा कर रही है बल्कि कांग्रेस सरकार को चाहिए कि वह भी स्वच्छ भारत में अपना योगदान डालकर पूर्ण भारत को स्वच्छ करने का प्रयास करे।

विचार योग्य है कि स्वच्छ भारत अभियान द्वारा रखा गया लक्ष्य पंजाब प्रदेश में अभी तक अधूरा नजर आ रहा है जिसके परिणाम के चलते पंजाब के अधिकतर गांव में गंदगी का आलम दिख रहा है, वहीं कस्बों में भी स्थिति सुखद नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकतर गांव में गंदगी के ढेर, डिस्पोजल वेस्ट के ढेर तथा खुले में शौच जैसा प्रचलन अब भी कायम है जो सूबे को स्वच्छ भारत की ओर अग्रसर होने नहीं दे रहा है। इसके अलावा पंजाब के बहुत सारे सरकारी संस्थानों में भी गंदगी का आलम देखना आम बात है जिससे साबित होता है कि पंजाब सरकार के प्रशासनिक अधिकारी भी स्वच्छ भारत के प्रति सचेत नहीं है।

स्वच्छता अभियान महज सियासी दलों के लिए पॉलिटिकल स्टंट
पंजाब में कांग्रेस पार्टी द्वारा सत्ता संभालने के बाद भाजपा नेताओं के साथ-साथ सरकारी अमले द्वारा भी पंजाब में स्वच्छता की तरफ कुछ खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे साबित हो जाता है कि स्वच्छता अभियान महज सियासी दलों के लिए पॉलिटिकल स्टंट था जिसके चलते राजनीतिक लोग पंजाब में अकाली-भाजपा के सरकार समय जगह-जगह पर सफाई अभियान चलाकर अपने हाईकमान नेताओं के सामने अपनी छवि को को अच्छा साबित करते थे परंतु दुख की बात है कि पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार जाने के बाद नेताओं का रुख स्वच्छ अभियान की तरफ बिल्कुल नहीं दिख रहा है।

लोग आए दिन अलग-अलग स्थानों पर सफाई अभियान चलाते थे, अभी मूकदर्शक बनते नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही अगर सरकारी विभागों की बात की जाए तो आए दिन अलग-अलग स्थानों पर सफाई अभियान चलाने वाले शासनिक अधिकारी अभी स्वच्छता की तरफ कुछ खास रुचि नहीं दिखा रहे जिसके चलते यह साबित होता है कि देशभर के लोग स्वच्छ भारत को लेकर इतने ङ्क्षचतित नहीं है बल्कि स्वच्छ भारत को एक राजनीतिक आदेश समझ कर माना जाता रहा है। 

स्वच्छ भारत हेतु कोई खास कदम नहीं उठा रही मौजूदा सरकार
इसके अलावा बात अगर पंजाब की मौजूदा सरकार की की जाए तो वह भी स्वच्छ भारत हेतु कोई खास कदम नहीं उठा रही है क्योंकि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के 1 साल तक अभी तक कांग्रेस सरकार द्वारा स्वच्छता के प्रति कोई भी विशेष कदम नहीं उठाया गया है तथा न ही पार्टी के आदेश अनुसार कार्यकर्ताओं द्वारा कोई स्वच्छ अभियान चलाया गया।

क्या कहता है विपक्ष
वहीं इस संबंधी भारतीय जनता पार्टी के नेता तथा सीमावर्ती हलका की पूर्व विधायक सीमा कुमारी का कहना है कि हम सब आज भी स्वच्छ भारत अभियान के साथ पूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं तथा समय-समय पर सफाई अभियान कर रहे हैं । उन्होंने आह्वान किया कि इसे पॉलिटिकल स्टंट न समझ कर हर व्यक्ति को स्वच्छता की तरफ ध्यान देना चाहिए तथा उन्होंने कांग्रेस पार्टी से निवेदन किया कि वह भी इस अभियान में अपना योगदान निश्चित करे क्योंकि स्वच्छता आज भारत की एक अहम जरूरत है।

क्या कहते हैं हलका विधायक
वहीं हलके के मौजूदा विधायक जोगिन्द्र पाल ने कहा कि सूबा सरकार अन्य योजनाओं के साथ स्वच्छता पर भी पूरा फोकस कर रही है। विकास के साथ इस हलके को सूबे का मॉडल हलका बनाया जाएगा तथा इसके लिए फंडों की भी कोई कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।

ऐसे महत्वपूर्ण पहलू जिन पर पंजाब सरकार लगाए पूर्ण रूप से अंकुश
*हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पंजाब सरकार द्वारा बीते समय में पंजाब में पॉलीथिन पर पूर्ण रूप से बैन लगाया गया था परंतु ङ्क्षचता का विषय है कि अभी भी पंजाब में जगह-जगह पर छोटी से लेकर बड़ी दुकान पर पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल खुलेआम हो रहा है तथा संबंधित विभाग मूक दर्शक बनकर देख रहे हैं।

*शहरों के विपरीत ग्रामीण इलाकों में गलियों नालियों में स्वच्छता बनाना अति मुश्किल लक्ष्य है क्योंकि पंचायत को उपलब्ध फंड्स के आधार पर हर गांव में डस्टबिन का इस्तेमाल करना तथा गंदगी के ढेरों को साफ कर गांव से बाहर निकालना बहुत महंगा कार्य है जिसके चलते अक्सर पंचायतें गांव में सफाई रखने में सक्षम नजर नहीं आ रहीं सरकार को चाहिए कि सैनिटेशन संबंधी अलग से विभाग बनाकर गांव में कूड़ेदान उपलब्ध करवाए जाएं।

*इसके साथ-साथ देशभर में गंदगी फैलाने में डिस्पोजल काफी दिख रहा है। हर विवाह शादी में डिस्पोजल समान का अति प्रयोग होने कारण देश डिस्पोजल गंदगी का आलम पैदा कर रहा है जिसके चलते प्रशासन को चाहिए कि डिस्पोजल पर भी पूर्ण रूप से ध्यान लगा देना चाहिए।

*इसके साथ-साथ गंदगी में सबसे खतरनाक पाया जाने वाला बायो मैडीकल वैस्ट जोकि अपनी गंदगी के साथ अधिकतर लोगों की सेहत खराब करने में अति योगदान रखता है जिसके संबंधी प्रशासन रत्ती भर भी सचेत नहीं है ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे मैडीकल प्रैक्टिशनर तथा छोटे हॉस्पिटल आदि में व्यस्त होने वाला डिस्पोजल अक्सर सड़कों पर बिखरा नजर आता है जोकि लोगों की सेहत के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा है।

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