सिखों में भय, अफगानिस्तान छोड़ने को मजबूर

Edited By Updated: 24 Jun, 2016 01:34 PM

sikhs fear forced to leave afghanistan

काबुल शहर के बीच जगतार सिंह लगमनी अपनी देसी दवाईयों की दुकान पर बैठा हुआ था कि एक आदमी उनके पास आया अौर चाकू निकाल कहने लगा या तो मुसलमान बन जाअो या फिर वह उसका गला काट देगा।

गुरदासपुरः काबुल शहर के बीच जगतार सिंह लगमनी अपनी देसी दवाईयों की दुकान पर बैठा हुआ था कि  एक आदमी उनके पास आया अौर चाकू निकाल कहने लगा या तो मुसलमान बन जाअो या फिर वह उसका गला काट देगा।

राहगीरों और दूसरे दुकानदारों ने उसकी जान बचाई। इस महीने के शुरू में घटी यह घटना अफगानिस्तान से कम हो रही सिखों और हिंदुअों की आबादी पर ताजा हमला है । कोई समय था जब अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुअों की चोखी आबादी थी परन्तु अब मुट्ठी भर सिख तथा हिंदु परिवार वहां रह गए हैं। बेहद लोग भेदभाव और असहनशीलता कारण अफगानिस्तान से दूसरे देशों को चले गए हैं।

अफगानिस्तान में चाहे बहुत से मुसलमान ही बसते हैं परन्तु तालिबान सरकार को 2001 में सत्ता से हटाने के बाद बनाया संविधान अल्पसंख्यकों को स्वतंत्रा की गारंटी देता है। काबुल के गुरूद्वारे में एक अन्य सिख अवतार सिंह ने बताया कि अच्छे दिन खत्म हो गए हैं । उसने बताया कि सरकार बीच वाले लोगों खासकर सेनापतियों ने हम से आजादी छीन ली है। हम धमकियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों हेलमंड सूबे में से दर्जनों हिंदु और सिख परिवार वहां से चले गए।

काबुल के बाहरी कलाचा इलाके में भी तनाव बना हुआ है जहां सिखों और हिंदुअों का ऊंची दीवारों वाला शमशान घाट है। पिछले कुछ सालों दौरान शहर की आबादी बढ़ी है और कई मुस्लिम लोग बाहर जाकर शमशान घाट के नजदीक मकान बना कर रहने लगे  हैं जो अब शमशान घाट में साशओं का दाह संस्कार  करने का विरोध कर रहे हैं | 

8 वर्षीय जसमीत सिंह ने स्कूल जाना छोड़ दिया है क्योंकि उसका कहना है कि उसे हर रोज परेशान किया जाता है। वह और भाईचारे के दूसरे बच्चे निजी स्कूलों या गुरूद्वारे के अंदर पढ़ाई करते हैं । जसमीत सिंह ने बताया कि वह जब स्कूल होता है तो दूसरे बच्चे उसका मजाक उड़ाते हैं। वह उसकी पगड़ी उतार देते हैं और उसे हिंदु और काफिर कहते हैं ।  

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