ग्राम पंचायत कलानौर में अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ 2.64 करोड़ का गबन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 11:13 AM

scam of 2 64 crore

अतिरिक्त जिलाधीश विकास जगविन्द्रजीत सिंह संधू ने बताया कि ग्राम पंचायत कलानौर में विभाग अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले 10 वर्षों के दौरान विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 15.61 करोड़ रुपए के किए खर्चे की जांच की गई। इससे 2.64...

गुरदासपुर(विनोद, दीपक): अतिरिक्त जिलाधीश विकास जगविन्द्रजीत सिंह संधू ने बताया कि ग्राम पंचायत कलानौर में विभाग अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले 10 वर्षों के दौरान विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 15.61 करोड़ रुपए के किए खर्चे की जांच की गई। इससे 2.64 करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया है। इससे पूर्व भी अतिरिक्त जिलाधीश संधू ने बटाला के बी.डी.पी.ओ. कार्यालय में हुए करोड़ों रुपए के गबन का पर्दाफाश किया था।
 

अतिरिक्त जिलाधीश विकास ने बताया कि उनके ध्यान में आया था कि ग्राम पंचायत कलानौर में विभाग अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले लम्बे समय से ग्राम पंचायत को प्राप्त फंडों का बड़े स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा है। उक्त शिकायतों की जांच उनकी अपनी अध्यक्षता में अधिकारियों की गठित कमेटी ने की जिसमें परमपाल सिंह उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद गुरदासपुर, सुरेश कुमार ब्लाक विकास व पंचायत अधिकारी दोरांगला तथा गुरप्रीत सिंह ब्लाक विकास व पंचायत अधिकारी कलानौर शामिल थे।

 

इनके सहयोग से ग्राम पंचायत कलानौर का पिछले 10 वर्षों के दौरान उपलब्ध रिकार्ड का गहराई से निरीक्षण किया गया। रिकार्ड की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ग्राम पंचायत को पिछले 10 वर्षों के दौरान विभिन्न साधनों जैसे कि प्राप्त ग्रांट, शामलाट जमीन की आमदन, ग्राम पंचायत की दुकानों के किराए की आमदन, पैट्रोल पम्प, बस अड्डे का किराया व बैंक के बयान की पिछले 10 वर्षों के दौरान ग्राम पंचायत को कुल 2612.73 लाख रुपए की आमदन हुई थी। 

 

ग्राम पंचायत द्वारा पिछले 10 वर्षों के दौरान 2404.13 लाख रुपए की राशि खर्च की गई। ग्राम पंचायत को शामलाट जमीन से पिछले 10 वर्षों दौरान 2461.53 लाख रुपए की आमदन हुई थी परंतु इसमें से बैंक में केवल 2197.08 लाख रुपए की राशि जमा हुई थी और बकाया बचती 264.44 लाख रुपए की राशि का सीधे तौर पर गबन कर लिया गया। इस गबन के लिए उस समय तैनात ब्लाक विकास व पंचायत अधिकारी, पंचायत सचिव व सरपंच जिम्मेदार हैं क्योंकि इनकी जिम्मेदारी थी कि ग्राम पंचायत की बोली के समय हुई आमदन की सारी राशि बैंक में जमा करवाते और यदि इसमें किसी तरह की दिक्कत थी तो यह मामला अपने उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते परंतु इनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया। 


बोली के पैसे जमा करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई जिससे सिद्ध होता है कि इनकी गबन में पूरी तरह मिलीभगत थी और इसलिए इस गबन के सीधे तौर पर अधिकारी, कर्मचारी व सरपंच जिम्मेदार हैं जिनमें बी.डी.पी.ओ. मेला राम, पंचायत सचिव देस राज, सरपंच हरकीरत सिंह, बी.डी.पी.ओ. रणजीत कुमार कटारिया, गुरमीत सिंह काहलों, गुरमीत सिंह चाहल, राम लुभाया, पंचायत सचिव हरजीत सिंह, राम लुभाया, प्रेम सिंह, अशोक कुमार सेवामुक्त हो चुका है और भगवान सिंह, सुरजीत सिंह, परगट सिंह, गुरप्रीत सिंह, पंचायत सचिव सुरजीत सिंह, पंचायत सचिव दलबीर सिंह व पंचायत जय सिंह शामिल हैं।

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