Edited By Updated: 26 Oct, 2016 11:39 AM
पंजाब सरकार बेशक समूचे पंजाब में विकास के दावे कर रही हो परन्तु सीमावर्ती लोगों को उनके पिछड़े होने का एहसास सरकार तथा प्रशासन गाहे-बगाहे करवाता रहता है।
पठानकोट/बमियाल : पंजाब सरकार बेशक समूचे पंजाब में विकास के दावे कर रही हो परन्तु सीमावर्ती लोगों को उनके पिछड़े होने का एहसास सरकार तथा प्रशासन गाहे-बगाहे करवाता रहता है। इसकी ज्वंलत मिसाल सीमावर्ती इलाके में पड़ते उज्ज दरिया, तरनाह नाला, मकौड़ा पत्तन तथा रावी दरिया पर हर वर्ष बनने वाले पैंटून पुल हैं जोकि साल में सिर्फ 9 महीने सरहदी जनता की लाइफ लाइन बने रहते हैं तथा शेष 3 महीनों में इन्हें बरसात के दिनों में सुरक्षा की दृष्टि से दरिया से उठा लिया जाता है।
जानकारी के अनुसार इन पैंटून पुलों को 15 जुलाई को दरिया से उठा लिया जाता है तथा फिर बरसात का मौसम चले जाने के बाद 25 अक्तूबर तक डाल दिया जाता है परन्तु इस बार स्थिति अलग है। उक्त दरिया अभी तक पैंटून पुल से महरूम हैं जिससे दरिया के पार के गांवों की जनता विषम परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही है।
जानकारी के अनुसार इन पुलों को बनाने के लिए विभाग के पास अभी तक फंड नहीं पहुंचे हैं जिस कारण इस बार पैंटून पुल इन पत्तनों पर डालने की कवायद देर-सबेर शुरू नहीं हो पाई है। वीडियो देखने के लिए क्लिक करें