खेलों से मुंह मोड़ कर स्मार्ट फोन और इंटरनैट की ओर आकर्षित हो रहे हैं बच्चे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Dec, 2017 03:01 PM

how will the next generations join the games

पिछले कुछ सालों से बच्चों और नौजवानों में नशों के अलावा मोबाइल, इंटरनैट आदि का प्रयोग का लगातार बढ़ रहा रुझान एक बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। बेशक बच्चों को बुराइओं की दलदल में से निकाल कर उनको रचनात्मक कामों की तरफ मोडऩे के लिए सरकार की तरफ से...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पिछले कुछ सालों से बच्चों और नौजवानों में नशों के अलावा मोबाइल, इंटरनैट आदि का प्रयोग का लगातार बढ़ रहा रुझान एक बड़े खतरे का संकेत दे रहा है। बेशक बच्चों को बुराइओं की दलदल में से निकाल कर उनको रचनात्मक कामों की तरफ मोडऩे के लिए सरकार की तरफ से खेलों को उत्साहित करने के कई दावे किए जा रहे हैं, परन्तु यदि अलग-अलग गांवों, शहरों और कस्बों की कालोनियों और मोहल्लों की असली तस्वीर देखी जाए तो बच्चों को खेलों के साथ जोडऩे के किए जा रहे प्रबंधों की स्थिति बद से बदतर नजर आती है।

रिहायशी और खेती वाली जमीनों पर लगातार बन रही इमारतों ने आज ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि बच्चों को खेलने के लिए घरों के नजदीक जगह ही नजर नहीं आती। इस कारण बच्चों में या तो खेलों के प्रति रुचि पैदा ही नहीं होती और या फिर वे गलियों, मोहल्लों, खाली पड़े छप्पड़ों जैसे स्थानों पर खेलने के लिए मजबूर हैं। 

स्कूलों की स्थिति और भी बदतर
चाहे सरकार की तरफ से निर्धारित किऐ गए नियमों के अंतर्गत हरेक सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल में खेल मैदान होना लाजिमी है परन्तु विद्या के हो रहे व्पारीकरण के चलते अनगिनत स्कूल ऐसे हैं जिनके पास बच्चों के खेलने के लिए कोई भी खेल मैदान ही नहीं है। यहां तक कि कई स्कूलों में 10 मरले खुली जगह भी नहीं है जहां बच्चे क्लास रूम्स में से निकल कर खुली हवा ले सकें। 

हैल्थ जिम्स पर राजनीतिज्ञों का कब्जा
चाहे पिछली सरकार ने गांवों में खेलों का सामान बांटा था जिसके अंतर्गत कई गांवों में जिम बनाए गए हैं परन्तु वास्तविकता यह है कि बहुत से गांवों में जिन कमरों में यह समान रखा है, वहां राजनीतिक रंजिशों के कारण हर कोई आ-जा नहीं सकता। 

ग्रामीण स्टेडियम्स की हालत भी खस्ता
सरकार की तरफ से कुछ गांवों में बनाए गए खेल स्टेडियम्स भी शायद ही कभी खेल के लिए इस्तेमाल किए गए होंगे क्योंकि कई स्थानों पर स्टेडियम पराली रखने के अलावा जानवरों को बांधने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। कई स्थानों पर तो नाजायज कब्जों ने ऐसे स्थानों का अस्तित्व खत्म कर दिया है। 

शहरों की हालत और भी दयनीय
गुरदासपुर शहर में मुख्य तौर पर लैफ. नवदीप सिंह खेल स्टेडियम सरकारी कालेज और जिम्नेजियम हाल ही प्रमुख 2 स्थान हैं जहां खिलाड़ी जाकर रिहर्सल कर सकते हैं। इसी तरह एक-दो और कोचिंग सैंटर भी चल रहे हैं परन्तु इन सभी सैंटरों में ज्यादातर वही खिलाड़ी जाते हैं जो पहले ही शिक्षित हैं। बाकी चाहे 2-3 पार्क भी हैं परन्तु उनमें कुछ कालोनियों के बच्चे ही आते हैं। 
 

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