Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 11:00 AM
अक्सर महिलाओं को आरक्षण देने, उनका सम्मान बढ़ाने व बेटियों के जन्म के समय गर्भपात न करने की सौगंध उठाई जाती है, लेकिन ये सभी विचार सिर्फ महिला दिवस पर ही पेश किए जाते हैं। आज महिलाओं का स्वतंत्र होकर बाजार निकलना भी मुश्किल हो गया है। छेड़छाड़,...
फिरोजपुर(जैन): अक्सर महिलाओं को आरक्षण देने, उनका सम्मान बढ़ाने व बेटियों के जन्म के समय गर्भपात न करने की सौगंध उठाई जाती है, लेकिन ये सभी विचार सिर्फ महिला दिवस पर ही पेश किए जाते हैं। आज महिलाओं का स्वतंत्र होकर बाजार निकलना भी मुश्किल हो गया है। छेड़छाड़, लूटपाट की वारदातों के बीच महिलाएं खुद को घुटन में महसूस करती हैं। पंजाब केसरी द्वारा जब नगर की महिलाओं से बातचीत की तो सभी ने एक ही स्वर में कहा कि बेटी एक नहीं दो कुलों का नाम रोशन करती है। पेरैंट्स का फर्ज बनता है कि बेटियों को खुली हवा में सांस लेने का मौका प्रदान करें और सरकार को चाहिए कि बेटियों की सुरक्षा यकीनी बनाएं।
फिरोजपुर की मातृशक्ति को सैल्यूट
मेरा लक्ष्य लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए आत्मनिर्भर बनाना है। मैं खुद एक ताइक्वांडो कोच होने के नाते बेटियों को इसकी कोचिंग देने के लिए तैयार हूूं। वर्तमान में महिलाओं की सबसे ज्यादा प्रताडऩा होती है और घर से लेकर सड़क तक ज्यादातर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। छेडख़ानी की घटनाओं से अक्सर लड़कियां तनाव में रहती हैं, जिसके लिए उन्हें असामाजिक तत्वों का मुकाबला करने के लिए ताइक्वांडो कोचिंग लेनी चाहिए और मैं उन्हें ऐसी ट्रेङ्क्षनग देने को हर समय तैयार हूं। -शिवानी सहोता, ताइक्वांडो कोच
आज की भारतीय नारी किसी के पैर की जूती नहीं। पुरुष प्रधान समाज में शुरू से ही महिलाओं पर अत्याचार होते आए हैं, लेकिन अब नारी शिक्षित होने के अलावा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी हो गई है। महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे आना चाहिए और समाजसेवा के कार्यों में हिस्सा लेना चाहिए। -बिमला जोशी, पूर्व पार्षद
सिर्फ महिला दिवस पर ही महिलाओं को सम्मान देने से यह दिन मनाने का मनोरथ पूरा नहीं होता, बल्कि महिलाओं के उत्थान के लिए हर वर्ग को आगे आना चाहिए। बेटियों को घर में रखने की बजाय उन्हें खुली हवा में सांस लेने की आजादी देने के साथ हर पेरैंट्स का कत्र्तव्य होना चाहिए कि वे अपनी बेटियों को खुद के पैरों पर स्टैंड करें। -अंजु, गृहिणी
महिलाओं की सुरक्षा को यकीनी बनाने हेतु सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। मात्र दावे करने से मंच पर सम्मान करने से महिलाओं की रक्षा होने वाली नहीं है। सड़क पर स्वतंत्र होकर चलना आज महिलाओं के लिए आसान नहीं है। -सीमा रानी, एन.जी.ओ.
वर्तमान में भारतीय नारी किसी के पैर की जूती नहीं है। महिलाओं की इज्जत सबसे पहले मन में होनी चाहिए, उसके बाद हम उनका सम्मान करें। महिला दिवस पर भाषण देना मात्र एक दिखावा है। अभिभावकों को चाहिए कि अपनी बेटियों को आजादी प्रदान करें। -प्रियंका चौरसिया, एन.जी.ओ.
एक महिला एक साथ कई रिश्तों को निभाती है और दो कुलों का नाम भी रोशन करती है। मैं महिलाओ के हित में आवाज उठाने के लिए सदा प्रयास करती रहूंगी और देश की उन सभी महिलाओं को सैल्यूट करती हूं, जो संघर्ष का सामना करते हुए खुद विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने में लगी हुई हैं। -सपना तायल, उपाध्यक्ष कैंटोनमैंट बोर्ड
इन्होंने चमकाया जिले का नाम
देव समाज कॉलेज फॉर वूमैन तारीफ के किन्हीं शब्दों का मोहताज नहीं है। वर्ष 1992 में यहां प्रिंसीपल की कमान संभालने वाली मधु पराशर ने कॉलेज को उन बुलंदियों पर पहुंचा दिया जहां शायद पहुंचने की उम्मीद किसी को नहीं थी। प्रिंसीपल ने न केवल कॉलेज का विकास किया बल्कि अपनी शिक्षा भी जारी रखी और प्रिंसीपलशिप के दौरान ही डॉक्टोरेट की डिग्री हासिल की।
डी.सी.एम. ग्रुप ऑफ स्कूल्स की संचालिका से लेकर वहां की प्रिंसीपल भी महिला है। संस्थान की महिला संचालक कांता गुप्ता की मेहनत स्वरूप ही यह ग्रुप हजारों विद्यार्थियों को ज्ञान दे रहा है। गुप्ता बताती हैं कि मातृशक्ति ही देश के उत्थान में सबसे आगे रहती है, महिलाओं को समाज में वह सम्मान मिलना चाहिए, जिसकी वे हकदार हैं।