Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 11:46 AM
सतलुज नदी किसी समय सरहदी क्षेत्र के लोगों की कृषि और आर्थिकता के लिए वरदान थी। आज बढ़ रहे जल प्रदूषण के कारण यह नदी इन लोगों के लिए अभिशाप बन चुकी है और अनेक लाइलाज बीमारियों का कारण बन रही है, इसलिए इन जल स्रोतों को प्रदूषण मुक्त करना समय की मुख्य...
फिरोजपुर(कुमार): सतलुज नदी किसी समय सरहदी क्षेत्र के लोगों की कृषि और आर्थिकता के लिए वरदान थी। आज बढ़ रहे जल प्रदूषण के कारण यह नदी इन लोगों के लिए अभिशाप बन चुकी है और अनेक लाइलाज बीमारियों का कारण बन रही है, इसलिए इन जल स्रोतों को प्रदूषण मुक्त करना समय की मुख्य जरूरत है।
उक्त विचार डा. सतिन्द्र सिंह नैशनल अवार्डी प्रिंसीपल ने सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल में विश्व जल दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सतलुज के किनारे पर बसे इस क्षेत्र में जल प्रदूषण के कारण चमड़ी रोग, हड्डियों व दांतों के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। समारोह में ईको क्लब व 100 से अधिक बच्चों ने जल बचाओ जीवन बचाओ का प्रण लिया और जल स्रोतों एवं सतलुज को प्रदूषण मुक्त करने की लोगों से अपील करते हुए एक पत्र मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को लिखकर भेजा व मांग की कि देश में कारखानों व सीवरेज का पानी नदी में डालना बंद किया जाए तथा पड़ोसी देश पाकिस्तान की ओर से कसूर की चमड़ा फैक्टरी का कैमिकल वाला जहरीला पानी बंद करने के लिए विशेष प्रयत्न किए जाएं।