जब देश के लिए शहीद भगत सिंह को कुर्बान करने पड़े थे केश

Edited By Updated: 28 Sep, 2016 03:06 PM

shaheed bhagat singh

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का फिरोजपुर से गहरा नाता रहा है। शहर के तूड़ी बाजार में अाज भी उनकी यादें संजोए पुराना मकान है।

फिरोजपुरः शहीद-ए-आजम भगत सिंह का फिरोजपुर से गहरा नाता रहा है। शहर के तूड़ी बाजार में अाज भी उनकी यादें संजोए पुराना मकान है। इस मकान में शहीद ने वतन के नाम अपने केश कुर्बान किए थे। यही नहीं शहीद होने के बाद भगत सिंह के शव का अंतिम संस्कार भी फिरोजपुर के हुसैनीवाला में ही किया गया था। 


28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान पंजाब के लायलपुर जिले के गांव बंगा में देशभक्त सिख परिवार किशन  सिंह व माता विद्यावती के घर भगत सिंह का जन्म हुआ था। आजादी की लड़ाई के लिए भगत सिंह फिरोजपुर के तूड़ी बाजार में 1150 वर्ग फीट में बने चार कमरों के मकान में अपने साथियों सहित रहे थे। 29 अप्रैल 1929 को उन्होंने असेंबली में बम फैंकने से पहले यहां वतन के नाम अपने केश कुर्बान किए थे। उस समय गज्जू नाई ने उनके बाल काटे थे। इसका जिक्र ब्रिटिश सरकार के गवाह संख्या-295 में भी दर्ज है।

 
इतिहासकार राजन व मोहल्ला निवासी बुजुर्ग सुखदर्शन बताते हैं कि  भगत सिंह 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं के साथ आजादी की लड़ाई में कूद गए थे। भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की बगावत देख ब्रिटिश सरकार डर गई थी जिसके बाद उन्हें 1931 को फांसी दे दी गई थी।
 
हुसैनीवाला स्थित समाधी स्थल 1960 से पहले पाकिस्तान के कब्जे में था। हालांकि तीनों शहीदों की समाधि स्थल को लेने के लिए 1950 में ही कवायद शुरू हो गई थी। 10 साल की कसरत के बाद फाजिल्का के 12 गांव और सुलेमान की हेड व‌र्क्स पाकिस्तान को देने के बाद यह शहीदी स्थल भारत को मिला था।
 

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