ऐतिहासिक यादगारों के प्रति सरकार का रवैया गैरजिम्मेदाराना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 11:09 AM

historical memories firozpur

ऐतिहासिक यादगारों की संभाल व उन्हें आकर्षक बनाने में पंजाब की कांग्रेस सरकार फेल साबित हो रही है। हालात इस कदर बने हुए हैं कि ऐतिहासिक यादगारों के प्रति आम जनता का मोहभंग हो रहा है और यहां रखे हथियार चोरी होने शुरू हो गए हैं।

फिरोजपुर(जैन): ऐतिहासिक यादगारों की संभाल व उन्हें आकर्षक बनाने में पंजाब की कांग्रेस सरकार फेल साबित हो रही है। हालात इस कदर बने हुए हैं कि ऐतिहासिक यादगारों के प्रति आम जनता का मोहभंग हो रहा है और यहां रखे हथियार चोरी होने शुरू हो गए हैं। एक साल में हैरीटेज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पंजाब को टूरिज्म हब बनाने के लिए अनेकों दावे किए गए थे, लेकिन इन सभी दावों की पोल म्यूजियम्स के  हालात देखकर खुलती है। करीब 2 वर्ष पहले गठबंधन सरकार के शासन में जिला टाऊन प्लानर कार्यालय द्वारा यादगारों के नवीनीकरण व सुधार हेतु कुछ ड्राइंग तैयार कर सरकार को भेजी गई थी।  


क्या है वर्तमान स्थिति
हालत इस कदर बदत्तर बने हुए हैं कि जहां अंग्रेज अधिकारियों व सिख नेताओं की पेंटिंग खराब हो रही है, वहीं हथियारों पर जंग लग रहा है। जून 2006 में यहां से ऐतिहासिक दो पिस्टलें चोरी हो चुकी हैं, जिसमें थाना घल्लघुर्द पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। चोरियों का मुख्य कारण चारों तरफ बाऊंडरी का टूटा होना बताया जा रहा है। बेशक सरकार द्वारा यहां एक प्राइवेट कंपनी के 5 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं, लेकिन ब्यूटीफिकेशन न होने, टूरिस्टों के बैठने के उचित स्थान की समस्या, बिजली न होने के कारण म्यूजियम अपना वजूद खोता जा रहा है।  


यादगार के बुरे हाल
फिरोजशाह गांव में स्थित युद्ध के स्थान पर बनी यादगार भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। देखरेख में तैनात सुभाष चन्द्र बताते हैं कि बहुत कम लोग ही इसे देखने के लिए आते हैं और जो आते हैं जब वे विजिटर बुक पर रिमाक्र्स लिखते हैं तो सरकार के खिलाफ खुलकर रोष प्रकट करते हैं। यादगार का स्तम्भ पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। 

युद्ध में प्रयोग आने वाले हथियार सुरक्षित
पहली तथा दूसरी लड़ाई में अंग्रेजों व सिखों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले हथियार करीब 145 बंदूकें, रिवाल्वर, कृपाणें, बरछे, बुलेट प्रूफ जैकेट, गोले तथा तोपें सुरक्षित हैं और इतिहास से अवगत करवाने में मदद करते हैं। गैलरी अटैंडैंट सुंदर लाल बताते हैं कि यहां पर रोजाना 10 से 15 लोग ही म्यूजियम को देखने के लिए आते हैं। म्यूजियम देखने के लिए पंजाब रा’य अजायबघर द्वारा 10 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट भी निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि पहले कभी स्कूलों के विद्यार्थी इस म्यूजियम को देखने आते थे, लेकिन अब कम ही लोग यहां आते हैं।

क्रांतिकारियों का ठिकाना धरोहर बनने के इंतजार में
तूड़ी बाजार सिंह क्रांतिकारियों का गुप्त ठिकाना धरोहर बनने के इंतजार में है। माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रा’य सरकार को कई बार फटकार लगाने के बावजूद उक्त बिल्डिंग की सुरक्षा की तरफ सरकार का ध्यान कम है। इतिहासकारों के मुताबिक यह वही बिल्डिंग है, जिसमें भगत सिंह ने अपने केश कटवाकर पहचान बदली थी और करीब डेढ़ वर्ष तक उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ यहां रणनीति रची थी। सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये के रोष में पंजाब स्टूडैंट्स यूनियन द्वारा 28 मार्च को पूरे रा’य में जिला स्तर पर जिलाधीश को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम बनाया है। 

ज्ञानी जैल सिंह के प्रयासों से बना था म्यूजियम
ज्ञानी जैल सिंह ने 11 अप्रैल 1973 में म्यूजियम का नींव पत्थर रखा था। इस इमारत को बनने में मात्र & वर्ष लगे थे और इसका उद्घाटन करने की रस्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने 1976 में अदा की थी।

क्या कहते हैं अधिकारी
डिप्टी कमिश्नर रामवीर ने कहा कि उक्त स्मारकों को बेहतरीन बनाने का कार्य टूरि’म विभाग द्वारा किया जाना है। फिलहाल सरकार की ऐसी कोई पॉलिसी उनके पास नहीं आई है कि उनकी स्थिति को सुधारा जा सके। 

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