Edited By Updated: 16 Nov, 2015 01:00 AM
इंटरनैट के जरिए चोरी करने वाले गिरोहों से आमजन को सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि अब इंटरनैट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
जलालाबाद: इंटरनैट के जरिए चोरी करने वाले गिरोहों से आमजन को सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि अब इंटरनैट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नैट बैंकिंग से लेकर सर्फिंग करने वालों की तादाद अब महज शहर तक ही सीमित नहीं रही है, यह गांवों में भी तेजी से लोकप्रिय हुआ है। कम्प्यूटर पर इंटरनैट का इस्तेमाल करने वाले तमाम लोगों को साइबर सुरक्षा से जुड़े कम्प्यूटर वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि भारत में एक वायरस से फिशिंग हमला होने का अंदेशा है। यह वायरस लोगों के निजी ई-मेल और बैंकों से जुड़ी जानकारी को चुरा सकता है।
गोलरोटेड के रूप में पहचाना गया यह ट्रॉजन श्रेणी का एक खतरनाक कम्प्यूटर वायरस है। खतरनाक बात यह है कि यह वायरस अपने मूल स्वरूप को बड़ी आसानी से छिपा लेता है। यही वजह है कि आम लोगों को यह आम सी चीज लगता है, अगर आपके मेल से अटैचमैंट के रूप में यह आपके कम्प्यूटर तक पहुंचता है तो आप इसे एग्जीक्यूटेबल (ई.एक्स.ई.) फाइल के रूप में पहचान नहीं पाएंगे क्योंकि यह अटैचमैंट में अपना फाइल एक्सटैंशन बदल कर किसी और रूप में आपके कम्प्यूटर तक आता है।
कम्प्यूटर एमरजैंसी रिस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सी.ई.आर.टी.एन.) ने घरेलू इंटरनैट उपभोक्ताओं के लिए जारी किए गए एक परामर्श में कहा है कि गोलरोटेड के रूप में नए परिवार के मालवेयर (वायरस) के फैसले की खबर है। गोलरोटेड वायरस में जासूसी करने वाले गुण हैं। यह मालेवयर कई तरह की जिप फाइलों वाले फिशिंग मेल या माइक्रोसॉफ्ट आफिस के डॉक्यूमैंट फीचर या हटाए जा सकने वाली ड्राइव इत्यादि के माध्यम से अपनी पहुंच बना सकते हैं। ध्यान रहे कि सी.ई.आर.टी.एन. भारतीय क्षेत्र के इंटरनैट की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने हैकिंग और फिशिंग से निपटने की नोडल एजैंसी है। सी.ई.आर.टी.एन. का कहना है कि एक बार वायरस जब आपके कम्प्यूटर को पूरी तरह से प्रभावित करने में सफल हो जाता है तो यह आपके कम्प्यूटर की व्यक्तिगत पहचान वाली सूचनाएं, कम्प्यूटर का नाम, स्थानीय तारीख और समय, इंटरनैट प्रोटोकॉल एड्रैस चुराने में कामयाब हो जाता है।
यह वायरस विशेष तौर पर बैंक से जुड़ी जानकारियां चुरा पाने में सक्षम है, जिससे अंतत: आपके बैंक खाते से पैसे गायब होने का खतरा है। एजैंसी का कहना है कि अब तक इस वायरस के 2 प्रकारों की पहचान की जा सकी है।
एजैंसी का कहना है कि इससे बचने के लिए लोग फिशिंग ई-मेल कम्प्यूटर सिस्टम में एंटी वायरस अपडेट रख्ें। वैसे तो इस प्रकार के गैर कानूनी धंधे से जुड़े लोग कभी भी धोखा कर सकते हैं परन्तु वे इस तलाश में भी रहते हैं कि आखिर संबंधित खाताधारक किन दिनों में अधिक व्यस्त रहता है।
आखिर कैसे बचें धोखे से
अगर आपके ई-मेल पर किसी बड़ी और मशहूर संस्थान के नाम पर या आकर्षक फोटो भी ई-मेल इनबॉक्स या स्पैम में दिखे तो उन्हें खोलने से परहेज करें। इस तरह की ई-मेल भेजने वालों को स्पैम कर दें, अगर संभव हो तो उस संस्थान या व्यक्ति को इसकी जानकारी दें, जिसके नाम पर ई-मेल भेजी गई है।