Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 12:37 PM
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों पर जहां बच्चियों की सुरक्षा के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर बेटियों का बढिय़ा पालन-पोषण कर उन्हें बढिय़ा शिक्षा दिलवाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं गत रात्रि एक महिला अपनी करीब डेढ़...
अबोहर(भारद्वाज): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों पर जहां बच्चियों की सुरक्षा के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर बेटियों का बढिय़ा पालन-पोषण कर उन्हें बढिय़ा शिक्षा दिलवाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं गत रात्रि एक महिला अपनी करीब डेढ़ वर्षीय बच्ची को आर्थिक तंगी के चलते रेलगाड़ी में लावारिस हालत में छोड़ गई। जी.आर.पी. पुलिस ने उक्त बच्ची को बाला जी मानव सेवा समिति व प्रशासनिक अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रेम नगर निवासी एक महिला गत रात्रि अपने 4 बच्चों में से एक सबसे छोटी डेढ़ वर्षीय बच्ची को रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी में लावारिस छोड़कर खुद बच्चों के साथ बठिंडा चली गई। बच्ची को गाड़ी में रोता-बिलखता देख यात्रियों ने इसकी सूचना जी.आर.पी. पुलिस को दी, जिन्होंने बच्ची को अपने संरक्षण में लेकर इसकी सूचना बाला जी मानव सेवा समिति सदस्यों को दी, जिन्होंने बच्ची के परिजनों का पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए और बच्ची को गौशाला रोड स्थित डा. फुटेला के अस्पताल में दाखिल करवा दिया और पूरी रात उसकी देखभाल की।
आज सुबह जब उक्त महिला बठिंडा से वापस आई तो रेलवे स्टेशन पर तैनात पुलिस कर्मचारियों ने शक के आधार पर उक्त महिला को पूछा कि कल तुम अपनी बच्ची को यहां क्यों छोड़ गई तो उसने बताया कि यह बच्ची उसी की है लेकिन वह उसको पालने में असमर्थ है, इसलिए वह उसको यहां छोड़ गई थी जिस पर जी.आर.पी. कर्मचारियों ने इसकी सूचना प्रशासनिक अधिकारियों को दी। जिस पर उपमंडल अधिकारी पूनम सिंह अस्पताल में पहुंचीं व उक्त महिला से पूछताछ की और इस बात की सूचना बाल सुरक्षा अधिकारी रितु रानी व रणवीर कौर को दी, जिस पर वे भी अस्पताल में पहुंच गईं। बच्ची की मां ने प्रशासनिक अधिकारियों को बताया कि उसकी एक बेटी उसकी दादी के पास है, एक बेटा मौसी के पास रहता है तथा दूसरे बेटे व इस छोटी बच्ची के साथ वह किराए के मकान में रहती है। घर की आॢथक स्थिति कमजोर होने के कारण ही उसने इस बच्ची को लावारिस छोड़ा है। महिला ने प्रशासनिक अधिकारियों से उसकी छोटी बच्ची को गोद देने की बात कही तो कानूनी प्रक्रिया के चलते एक बार उपमंडल अधिकारी ने इसके लिए 4 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी, जिसमें उपमंडल अधिकारी, पुलिस उपकप्तान, अस्पताल के प्रभारी व तहसीलदार शामिल हैं।