Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 01:24 PM
बेशक बेजुबानों की सुरक्षा के लिए हमारे देश में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की सरकारों की तरफ से भी सख्त कानून उठाए गए हैं परंतु यह बहुत ही ङ्क्षनदनीय और मन्दभागी बात है कि आजकल सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए कुछ नौजवानों की तरफ से ऐसी वीडियो पोस्ट...
फरीदकोट (राजन): बेशक बेजुबानों की सुरक्षा के लिए हमारे देश में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की सरकारों की तरफ से भी सख्त कानून उठाए गए हैं परंतु यह बहुत ही ङ्क्षनदनीय और मन्दभागी बात है कि आजकल सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए कुछ नौजवानों की तरफ से ऐसी वीडियो पोस्ट की जा रही हैं जिनमें बेजुबान जानवरों पर किए जाने वाले अत्याचारों को देख कर जहां इंसानियत, हैवानीयत नजर आने लगती है वहीं यह भी स्पष्ट हो जाता है कि ऐसा करने वालों को कानून का भी कोई भय नहीं है।
यहां यह भी बताने योग्य है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए कुछ लोगों की तरफ से लगातार 4 पोस्टें डाली गई हैं जिनको देख कर इंसानियत भी शर्मसार हो रही है और आम लोगों की तरफ से इसकी सख्त ङ्क्षनदा करते हुए सम्बन्धित लोगों को सख्त से सख्त सजा देने की अपील की जा रही है। अब यदि इन बेजुबान जानवरों के लिए बनाए गए एक्ट की बात करें तो हमारे देश में जानवरों की सुरक्षा के लिए 1960 में एक्ट लागू किया गया जिसके अंतर्गत 15 कानून बनाए गए हैं और इनमें यह स्पष्ट किया गया है कि बेजुबानों पर यदि कोई किसी किस्म का अत्याचार करता है तो अत्याचारी को किस-किस सजा का भागीदार बनना पड़ सकता है। इस कानून में पहले नंबर पर भारतीय संविधान की धारा 51 (ए) के अनुसार भारत के हर नागरिक का यह मूल कत्र्तव्य है कि वह हर जीव के प्रति हमदर्दी वाला रवैया अपनाए, कानून 2 में मांस को लेकर यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी पशु (मुर्र्गी समेत) केवल बूचडख़ाने में ही काटा जाएगा और बीमार व गर्भ धारण कर चुके पशु या किसी जानवर को मारा नहीं जाएगा। वहीं किसी पशु को मारना या अपंग करना भले वह आवारा ही क्यों न हो सजायोग्य अपराध है।
इसी तरह कानून 4 में पशु को आवारा बनाने की रोकथाम के लिए यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी पशु को आवारा हालत में छोडऩे वाले को 3 महीने तक की सजा हो सकती है। कानून नंबर 5 में वाइल्ड लाइफ एक्ट के अंतर्गत बंदरों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। अब यदि कानून 6 के अंतर्गत कोई व्यक्ति प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग के साथ आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल आप्रेशन तो अमल में ला सकता है परंतु इनको मारना अपराध घोषित किया गया है। कानून नंबर 7 में जानवरों को अपेक्षित भोजन, पानी और इनको शरण देने से इन्कार करना और लंबे समय तक बांध कर रखना सजा योग्य अपराध माना गया है जिसमें जुर्माना या 3 महीनों की सजा या ये दोनों भी हो सकते हैं। कानून नंबर 8 जो पशुओं को लड़ाने से रोकने के लिए बनाया गया है, के अनुसार पशुओं को लडऩे के लिए उकसाना या फिर पशुओं की लड़ाई का आयोजन करना घोर अपराध है। कानून नंबर 10 में स्लाटर हाऊस रूल्ज 2001 मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में पशुओं की बलि देना गैरकानूनी माना गया है।
कानून नंबर 13 में पी.सी.ए. एक्ट के सैक्शन 22 (2) के अनुसार भालू, बंदर, बाघ, तेंदुए, शेर आदि को मनोरंजन के लिए ट्रेस करना या इस मंतव्य के लिए इस्तेमाल करना गैरकानूनी माना गया है। कानून नंबर 14 में पंक्षियों के अंडों को नष्ट करना या छेड़छाड़ करना, पक्षियों के घोंसले वाले वृक्षों को काटना आदि को शिकार करार दिया गया है और इसके दोषी को 7 साल की कैद या 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अब यदि कानून 15 की तरफ नजर मारें तो इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी जंगली जानवर को पकडऩा, जाल आदि में फंसाना, जहर देना दंडनीय अपराध है और इसके दोषी को भी 7 साल की कैद और 25 रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
अब यदि इंसानियत को शर्मसार करने वाली सोशल मीडिया पर पर वायरल हो रही पोस्ट पर नजर डाली जाए तो एक वीडियो में बेजुबान लंगूर को पेड़ से लटका कर उसे लाठियों से बेरहमी से पीटा जा रहा है जबकि लंगूर की चोखों का उसे पीटने वाले दरिंदे पर कोई असर नहीं होता।
एक अन्य वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल है, में दरिन्दा रूपी व्यक्ति एक कुत्ते के जिंदा बच्चे को रस्सी से बांध कर आग की लपटों पर जलाता दिखाई दे रहा है। चौथी वीडियो में एक दरिन्दा कुत्ते के गले में पटा डाल कर उसको गेंद की तरह पर उछाल कर धरती पर कई बार पटकता दिखाई दे रहा है। यहां यह भी जिक्रयोग्य है कि जानवरों की सुरक्षा के लिए बनाए गए एक्ट के अंतर्गत यदि किसी आरोपी को माननीय जज की तरफ से फैसले में सजा सुना दी जाती है तो उसकी अपील संभव नहीं है।
प्रसिद्ध समाजसेवी रूपा फरीदकोटिया और अन्य समाजसेवियों ने कहा है कि इन बेजुबान जानवरों के लिए बनाए गए सख्त कानून की पालना करना और बेजुबानों के प्रति हमदर्दी रखना हर भारतीय नागरिक का पहला फर्ज बनता है इसलिए यदि देश के किसी भी हिस्से में बेजुबान जानवरों के साथ ऐसी दिल दहला देने वाली हरकतें की जाती हैं तो उसका डट कर विरोध किया जाए। यहां यह भी जिक्रयोग्य है कि इन बेजुबानों की सुरक्षा के लिए हमारे देश में बनाए गए सख्त कानूनों के प्रति समूचे देश में बड़ी स्तर पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है।