Edited By Updated: 12 Mar, 2016 10:29 AM
पंजाब विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन कांग्रेस ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की बेअदबी का मुद्दा उठाया जिसके बाद फिर से हंगामा हुअा अौर कांग्रेस ने वॉकअाऊट कर दिया।
चंडीगढ़ (भुल्लर): पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को कांग्रेसी व अकाली विधायक बरगाड़ी में हुई श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मुद्दे पर भिड़ गए व सदन में एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
विधायक बैंस बंधुओं व मुख्य संसदीय सचिव विरसा सिंह वल्टोहा ने तो एक-दूसरे को खुलकर ललकारा। भारी हंगामे के बीच सदस्यों को नियंत्रित नहीं कर पाने को लेकर स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल और उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के बीच भी तकरार हो गई। इस सारे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पूरी तरह चुप रहे।
शून्यकाल शुरू होते ही कांग्रेसी विधायक अजीतइंद्र सिंह मोफर ने कहा कि कई माह बाद भी बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब के पन्ने फाडऩे के दोषी नहीं पकड़े गए। न ही बहबल कलां पुलिस फायरिंग में 2 सिख युवकों की मौत के मामले में किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
इसी दौरान स्पीकर अटवाल ने मोफर को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि सरकार ने जांच आयोग गठित किए हैं परंतु नेता विपक्ष चरणजीत सिंह चन्नी सहित अन्य कांग्रेसी सदस्य भी खड़े होकर शोर-शराबा करने लगे और नारेबाजी करते हुए स्पीकर के आसन के सामने पहुंच गए।
चन्नी ने कहा कि जांच आयोग को सिर्फ बेअदबी के कुछ मामले ही दिए गए हैं। पुलिस फायरिंग का मामला नहीं दिया। उप-मुख्यमंत्री ने दखल देते हुए कहा कि सी.बी.आई. जांच जारी है। इस पर कांग्रेस सदस्य और गुस्से में आ गए। इसी बीच, अकालियों की तरफ से विरसा सिंह वल्टोहा भी खड़े हो गए। उन्होंने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि 1984 के दंगों में सिखों को गलों में टायर डालकर जलाया गया था। कांग्रेस के राज में ही अकाल तख्त पर टैंकों से केंद्र ने हमले किए थे। अब बेअदबी का मामला उठाकर कांग्रेसी सिखों से हमदर्दी का दावा कैसे कर सकते हैं। वल्टोहा के साथ देसराज धुग्गा, सिकंदर सिंह मलूका आदि भी खड़े होकर कांग्रेसियों को चुनौती देने लगे। दोनों पक्षों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ खूब कटाक्ष व नारेबाजी हुई। कांग्रेस के तिरलोचन सिंह, सुखजिंद्र सिंह रंधावा, कुलजीत नागरा, बलबीर सिंह सिद्धू आदि ने वल्टोहा के खिलाफ नारे लगाए।
जब कांग्रेसी शून्यकाल की कार्रवाई का बायकाट कर सदन से वाकआऊट करके चले गए तो आजाद विधायक बलविंद्र सिंह बैंस व सिमरजीत सिंह बैंस ने वल्टोहा पर हमला बोलते हुए आरोप लगाए कि 1984 के दंगों के नाम पर वह गुरु ग्रंथ साहिब की
बेअदबी के मामले को सही ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। इस पर वल्टोहा भड़क उठे। उनके साथी अकाली विधायक हरमीत सिंह संधू भी खड़े होकर बैंस बंधुओं को सीधा ललकारने लगे। उधर बैंस बंधुओं ने भी तीखे प्रहार करते हुए उसी अंदाज में चुनौती देते हुए जवाब दिए।
इसी बीच, संसदीय कार्य मंत्री मदन मोहन मित्तल ने खड़े होकर कहा कि पंजाब में बड़ी मुश्किल से शांति स्थापित हुई है। ऐसे मुद्दे नहीं उठाने चाहिएं।
शून्यकाल में ही सुनील जाखड़ ने उनके क्षेत्र में एक नटवर लाल पैदा होने का मामला उठाते हुए कहा कि नेचर हाइट नाम की एक कम्पनी ने लोगों को फ्लैट दिलवाने के सपने दिखाकर उनसे 800 करोड़ रुपए हड़प लिए। पीड़ित उनके साथ डी.जी.
पी. से मिले थे जिन्होंने जांच के आदेश दिए थे। जाखड़ ने आरोप लगाया कि एक मंत्री के दखल के कारण जांच का कार्य आगे नहीं बढ़ा। इस पर उप-मुख्यमंत्री सुखबीर ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच करवाकरकार्रवाई की जाएगी।
शून्यकाल में ही अकाली दल के डा. दलजीत सिंह चीमा व कांग्रेस के अजीतइंद्र सिंह मोफर के बीच एक टी.वी. चैनल की बहस के दौरान एस.वाई.एल. के मुद्दे पर हुई टिप्पणियों को लेकर तकरारबाजी हुई। कांग्रेसी सदस्य अश्विनी सेखड़ी ने उनके क्षेत्र के लिए मंजूर 16 करोड़ रुपए की ग्रांट का मामला उठाया जिस पर मंत्री अनिल जोशी ने जवाब देते हुए आश्वासन दिया कि पूरी राशि दी जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो इससे ज्यादा भी दे देंगे।