Edited By Updated: 22 Dec, 2015 12:26 PM
स्वाइन फ्लू से एक महिला की मौत होने की सुचना है जिसके बाद सेहत विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है।
मुक्तसरः स्वाइन फ्लू से एक महिला की मौत होने की सुचना है जिसके बाद सेहत विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। स्वाइन फ्लू 2009 में पूरी दुनिया में कहर बन कर बरपा था। यह H1N1 का वायरस अमरीका से आया था जिसका अभी तक खात्मा नहीं हो पाया है। आमतौर पर पशुओं और पालतू जानवरों को होने वाले वायरस के हमले कभी इंसानों तक नहीं पहुंचते। इसकी वजह यह है कि जीव विज्ञान की दृष्टि से इंसानों और जानवरों की बनावट में फर्क है। अभी देखा यह गया था कि जो लोग सूअर पालन के व्यवसाय में हैं और लंबे समय तक सूअरों के संपर्क में रहते हैं, उन्हें स्वाइन फ्लू होने का जोखिम अधिक रहता है।
स्वाइन फ्लू कैसे व किसे हो सकता है?
स्वाइन फ्लू एच1 एन1 वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमणजन्य रोग है जो किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। यह वायरस दूषित वातावरण, दूषित वायु एवं श्वास-प्रश्वास के माध्यम से संक्रमित होता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
संक्रमण होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, ठण्ड लगना, कंपकपी, गले में खरास, छींक आना, नाक से लगातार पानी बहना, सांस लेने में कठिनाई, थकान इत्यादि हैं।
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए 10 घरेलू उपचार
1. तुलसी की पत्तियां दोनों तरफ से धुली हुई तुलसी की पत्तियां रोज सुबह लें। तुलसी का अपना एक चिकित्सीय गुण है। यह गले और फेफड़े को साफ रखती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इसके संक्रमण से बचाती है।
2 गिलोय कई क्षेत्रों में सामान्य रूप से पाई जाती है| गिलोई की एक फुट लंबी शाखा लें इसमें तुलसी की 5-6 पत्तियां मिलाकर इसे 15-20 मिनट तक उबाल लें, जब तक कि इसमे इसके तत्व ना घुल जाएं| इसमें स्वादानुसार काली मिर्च, सेंधा नमक (यदि व्रत है तो) या काला नमक, मिश्री मिला लें| इसे ठंडा होने दें और गुनगुने का सेवन करें| इम्यूनिटी के लिए यह कारगर है| यदि गिलोई का पौधा उपलब्ध नहीं हो तो हमदर्द या अन्य किसी ब्रांड का गिलोई पाउडर इस्तेमाल कर यह काढ़ा बना सकते हैं।
3.गोली के आकार का कपूर का टुकड़ा महीने में एक या दो बार लिया जा सकता है। बड़े लोग इसे पानी के साथ निगल सकते हैं और छोटे बच्चों को यह आलू या केले के साथ मलकर दे सकते हैं क्यों कि इसे सीधा लेना मुश्किल होता है। याद रखें कपूर को रोजाना नहीं लेना है इसे महीने में एक बार ही लें।
4. जो लोग लहसुन खाते हैं वे रोज सुबह दो कलियाँ कच्ची चबा सकते हैं। यह गुनगुने पानी से लिया जा सकता है। अन्य चीजों की बजाय लहसुन से इम्यूनिटी ज्यादा बढ़ती है।
5.जिन लोगों को दूध से एलर्जी नहीं है वे रोज रात को दूध में थोड़ी हल्दी डालकर ले सकते हैं।
6.ग्वारपाठा आसानी से उपलब्ध पौधा है। इसकी कैक्टस जैसी पतली और लंबी पत्तियों में सुगंध रहित जैल होता है। इस जैल को एक टी स्पून में पानी के साथ लेने से त्वचा के लिए बहुत अच्छा रहेगा, जोड़ों का दर्द दूर होगा और साथ ही इम्यूनिटी बढ़ेगी।
7.नीम में हवा को साफ करने का गुण होता है जिससे यह वायुजनित बीमारियों के लिए कारगर है, स्वाइन फ्लू के लिए भी। आप खून को साफ करने के लिए रोज 3-5 नीम की पत्तियां चबा सकते हैं।
8.गले और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना प्राणायाम करें और जॉगिंग करें। आपको स्वस्थ रखने के साथ ही यह हर बीमारी के लिए फायदेमंद है जो कि नाक, गले और फेफड़ों से संबन्धित हैं
9.खट्टे फल और विटामिन सी से भरपूर आंवला जूस आदि का सेवन करें। चूंकि आंवले का जूस हर महीने नहीं मिलता है (खास तौर पर चार महीने) ऐसे में आप पैक्ड आंवला जूस भी ले सकते हैं।
10.अपने हाथों को रोजाना लगातार धोते रहें और साबुन लगाकर गरम पानी से 15-20 सेकण्ड्स के लिए धोये। खास तौर पर खाना खाने से पहले और किसी भी ऐसी चीज को छूने के बाद जिसमे आपको लगता है कि यहां पर फ्लू के वायरस हो सकते हैं जैसे कि दरवाजे का हैंडल या बस, ट्रेन आदि में सफर के बाद हाथ जरूर धोएँ।