आर्गैनिक कृषि को अपना कर 2 हजार परिवार खा रहे हैं जहर मुक्त सब्जियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 12:06 PM

2 thousand families are eating poison free vegetables

फसलों पर प्रयोग किए जा रहे जहर के कारण धरती माता को अपने ही पुत्रों से सबसे अधिक खतरा है, इसी कारण धरती को बचाने के लिए कई संस्थाएं किसानों, फल व सब्जी उत्पादकों को जहर मुक्त फसलों की पैदावार करने के लिए उत्साहित कर रही हैं। भले ही पंजाब के हर जिले...

फरीदकोट (हाली): फसलों पर प्रयोग किए जा रहे जहर के कारण धरती माता को अपने ही पुत्रों से सबसे अधिक खतरा है, इसी कारण धरती को बचाने के लिए कई संस्थाएं किसानों, फल व सब्जी उत्पादकों को जहर मुक्त फसलों की पैदावार करने के लिए उत्साहित कर रही हैं। भले ही पंजाब के हर जिले में लोग आर्गैनिक व कुदरती कृषि के प्रति उत्साहित होते हैं मगर इस तरह की फल, सब्जियां व जिनसें कम मिलने के कारण यह लोगों की पहुंच से दूर हैं।

जिला फरीदकोट व आर्गैनिक कृषि 
फरीदकोट में आर्गैनिक व कुदरती कृषि के लिए कृषि विरासत मिशन किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस मिशन द्वारा किसानों को सिर्फ फसलें ही नहीं बल्कि फल व सब्जियां भी जहर मुक्त पैदा करने के लिए उत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा घरों में रोजाना प्रयोग के लिए सब्जियां भी घरेलू बगीची द्वारा ही पैदा करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

जिले अंदर 125 के करीब किसान आर्गैनिक व कुदरती कृषि को अपना चुके हैं। वह अपनी वार्षिक फसलें गेहूं, चावल, नरमा, कपास के अलावा अन्य फसलें गन्ना, मक्की, बाजरा व सरसों भी इस विधि से पैदा करके अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। विरासत मिशन के आंकड़ों अनुसार फरीदकोट जिले में 2 हजार के करीब परिवार ऐसे हैं जो गत 12 वर्षों से अपनी घरेलू बगीची द्वारा पैदा की सब्जियां ही खा रहे हैं। किसानों व आम लोगों को आर्गैनिक कृषि प्रति उत्साहित करने के लिए लगातार वर्कशापें लगाई जा रही हैं।

घरेलू नुस्खे बचाते हैं कीड़ों से  
जहर मुक्त सब्जियां, फल व जिनसों को बीमारियों से बचाने के लिए ये किसान व घरेलू उत्पादक किसी भी तरह की दवाई का इस्तेमाल नहीं करते। वे अधिक पैदावार व कीड़े मकौड़ों को खत्म करने के लिए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करते हैं। पानी में नीम, धतूरा, अक्क व खट्टी लस्सी का घोल बनाकर अलग-अलग समय में जरूरत मुताबिक छिड़काव कर किसान अपनी फसलों को कीड़ों से बचाते हैं।

क्या कहते हैं मिशन प्रमुख 
जिले के गांव चैना में जहर मुक्त खेेती के लिए बाकायदा नुमाइशी प्लांट लगाए जाते हैं व यहां से तैयार की सब्जियां, फल व अन्य जिनसें जहां लोगों को दिखाई जाती हैं, वहीं फरीदकोट जिले के कृषि दफ्तर में एक स्टाल लगाकर रोजाना सस्ते भाव में बेची भी जाती हैं। यहां से लोग जहर मुक्त सब्जियों के साथ-साथ आटा, दालें, सरसों का तेल व मसाले भी खरीदकर खुश होते हैं। मिशन के प्रमुख उमिन्द्र दत्त के अनुसार उनके साथ जुड़े किसान सिर्फ कुदरती कृषि व आर्गैनिक जिनस ही पैदा नहीं करते बल्कि उन्हें जिंदगी में धैर्य रखकर काम करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

उन्होंने दावा किया कि उनके साथ जुड़े किसी भी किसान ने आज तक खुदकुशी वाला कदम नहीं उठाया। उन्होंने किसानों, फल व सब्जी उत्पादकों से अनुरोध किया कि वे कुदरती कृषि की ओर आएं व अपने मुनाफे  के अलावा धरती को बचाने सहित मनुष्यों की सेहत तंदुरुस्त रखने की ओर कदम बढ़ाएं।

जो किसान इस मुहिम के साथ जुड़े हैं 
इस काम में फरीदकोट जिले के गांव चैना के अमरजीत शर्मा, सुक्खनवाला के जगसीर सिंह, मराढ़ के राम सिंह, मोरांवाली के जगदीप सिंह, पिन्डी बलोचां के हरप्रीत सिंह, बाजाखाना के रूप सिंह व डोड गांव के जीत सिंह सहित सैंकड़ों किसान लगे हुए हैं। इनमें से रूप सिंह द्वारा जहर मुक्त पैदा किए जाते करेलों की इस क्षेत्र में भारी मांग रहती है। कृषि विरासत मिशन के साथ बाजाखाना के वासदेव शर्मा भी जुड़े हुए हैं जोकि स्वयं भी थोड़ी जगह में फूल, फल व सब्जियां पैदा कर लोगों को अचंभित कर रहे हैं। 
 

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