विदेशी दूतावास भी परेशान हैं जी.एस.टी. से, कर छूट का दर्जा बदला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Oct, 2017 12:15 AM

foreign embassies are also troubled by gst from

नई दिल्ली में तैनात विदेशी राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह उनके पहले के विशेषाधिकारों का सम्मान करे। उन्होंने विदेश मंत्रालय में शिकायत की है कि जी.एस.टी. की नई व्यवस्था ने विदेशी दूतावासों के कर...

नई दिल्ली(विशेष): नई दिल्ली में तैनात विदेशी राजनयिकों ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह उनके पहले के विशेषाधिकारों का सम्मान करे। उन्होंने विदेश मंत्रालय में शिकायत की है कि जी.एस.टी. की नई व्यवस्था ने विदेशी दूतावासों के कर छूट के स्तर को बदल दिया है। विदेश मंत्रालय द्वारा हाल ही में आयोजित एक वर्कशाप में विदेशी राजनयिकों के स्तर और अन्य मामलों को हल करने का प्रयास किया गया क्योंकि राजदूतों ने शिकायत की थी कि जी.एस.टी. व्यवस्था ने राजनयिकों की प्रवृत्ति के विश्वास को खतरे में डाल दिया है।

 

सुधार के कदम
जी.एस.टी. से पहले भारत में तैनात राजनयिकों को वस्तुओं की खरीद पर कर छूट का अधिकार प्राप्त था। जी.एस.टी. के लागू होने के बाद कर छूट का स्तर बदल गया है क्योंकि अब मिशनों को पहले कर अदा करना होगा और बाद में भारत सरकार से उसे रिफंड का दावा करना होगा। माली नियानकोरो के राजदूत वाह समेक ने कहा कि इस प्रक्रिया से कार्यालय का काम बढ़ गया है और बहुआयामी खर्चा भी बढऩे की आशंका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजनयिक मिशनों के कर छूट का दर्जा पूर्व व्यवस्था का ही एक हिस्सा है क्योंकि विदेश में भारतीय मिशनों को भी ऐसी छूट प्राप्त है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में सुधारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

 

जी.एस.टी. के आयुक्त उपिन्द्र गुप्ता द्वारा 10 अक्तूबर को वर्कशाप आयोजित की गई जिसमें विदेश मंत्रालय के चीफ ऑफ प्रोटोकाल संजय वर्मा डोमिनिकन रिपब्लिक के एम्बैसेडर हंस डैनवर्ग भी मौजूद थे। वर्कशाप में राजदूतों ने जी.एस.टी. लागू होने के बाद उनके समक्ष पेश होने वाली कठिनाइयों की जानकारी दी। बैठक में मिशनों और बहुआयामी एजैंसियों की तरफ से राजनयिक के समक्ष यूनीक आइडैंटिफिकेशन नंबर (यू.आई.एन.) पर आधारित नई व्यवस्था पेश की गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया किया कि यू.आई.एन. आधारित व्यवस्था के तहत भारतीय क्षेत्र के बाहर या भीतर से आपूॢत के लिए कर छूट नहीं होगी जिसका अर्थ है कि विदेशी मिशनों को खरीदारी पर पहले जी.एस.टी. अदा करना होगा और बाद में वे रिफंड ले सकते हैं। हंस ने कहा कि वर्कशाप में उठाए गए प्रश्नों में से रिफंड भी एक मामला था जिस पर अधिकारियों ने विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने विदेश मंत्रालय द्वारा वर्कशाप आयोजित करने के लिए उनकी सराहना की। 


दूसरे देशों में भारतीय मिशनों को सुविधा
नाम नहीं बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ राजदूत ने कहा कि जी.एस.टी. के तहत बहुमिशनों वाले देशों को यू.आई.एन. व्यवस्था के तहत वस्तुओं और चीजों के आयात पर दोगुना खर्च करना होगा। एक देश को दूतावास के साथ वाणिज्य दूतावास के लिए विभिन्न यू.आई.एन. प्राप्त करने होंगे। पहले मुम्बई और कोलकाता में स्थित वाणिज्य दूतावास महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की बंदरगाह के लिए गुड्स का आयात कर सकता था और वहां से दिल्ली के अपने दूतावास भेज सकता था। 

 

राजदूत ने कहा कि अब 2 अलग राष्ट्रों के लिए अलग-अलग यू.आई.एन. एक ही प्रक्रिया के दौरान अपडेट करने होंगे। उन्होंने कहा कि यू.आई.एन. व्यवस्था ने राजनयिक प्रक्रिया के विश्वास और भारत में तैनात विदेशी राजनयिकों की निजता का भी उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि जी.एस.टी. परिषद और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के मामलों को सुलझाने में कोई मदद नहीं मिली क्योंकि प्रक्रिया अभी जारी है। माली के राजदूत ने कहा कि हम आशा करते हैं कि भारत सरकार तीव्रता के साथ विदेशी मिशनों की समस्याओं को दूर करेगी क्योंकि विदेशों में भारतीय मिशनों को हम भी ऐसी ही सुविधा दे रहे हैं।    

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!