Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 01:21 PM
टी.बी. के रोगियों के लिए एक राहत भरी खबर है। स्वास्थ्य विभाग जल्दी ही जिले में डी.आर.टी.बी. की शुरूआत करने जा रहा है। इस सैंटर को खोलने के लिए विभाग ने जगह के चुनाव के काम को शुरू कर दिया है। उचित जगह मिलते ही डी.आर.टी.बी. की शुरूआत जिले में हो...
बठिंडा(विजय): टी.बी. के रोगियों के लिए एक राहत भरी खबर है। स्वास्थ्य विभाग जल्दी ही जिले में डी.आर.टी.बी. की शुरूआत करने जा रहा है। इस सैंटर को खोलने के लिए विभाग ने जगह के चुनाव के काम को शुरू कर दिया है। उचित जगह मिलते ही डी.आर.टी.बी. की शुरूआत जिले में हो जाएगी। एम.डी.आर. के मरीजों को अपने इलाज के लिए फरीदकोट मैडीकल कॉलेज नहीं जाना पड़ेगा। जिला टी.बी. आफिसर डा. रोजी ने इस बात की पुष्टि की है।
गौर हो कि टी.बी. के मरीजों को विभाग 6 से 9 माह तक की दवा मुफ्त में देता है। वहीं उसके जरूरी टैस्ट भी विभाग की तरफ से मुफ्त में किए जाते हैं। डा. रोजी ने बताया कि उनके पास 2040 मरीज इनरोल हुए हैं। वहीं शहर में मरीजों को डोर स्टैप तक स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए शहर में 72 डॉट सैंटर भी खोले हैं, जहां से मरीज अपनी दवा लेते हैं। सेहत विभाग के अनुसार पिछले साल 2017 में 2040 मरीजों ने टी.बी. की दवा स्वास्थ्य विभाग से मुफ्त में ली। सभी मरीजों का फालोअप भी विभाग की तरफ से किया जा रहा है।
यहां बताना जरूरी है कि सरकार तपेदिक मरीजों का इलाज मुफ्त में करती है। विभाग लोगों को टी.बी. की बीमारी के बारे में जागरूक भी कर रहा है। टी.बी. के एम.डी.आर. केस का इलाज फिलहाल फरीदकोट मैडीकल कॉलेज में किया जाता है। यह वह मरीज होते हैं जिन्हें रोग से छुटकारा दिलवाने के लिए मल्टी ड्रग विभाग की तरफ से दिया जाता है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार एम.डी.आर. के 21 केस जिले में हैं। इन्हें भी विभाग की तरफ से मैडीसिन मुफ्त में दी जाती है।
एक गोली की कीमत 5 हजार
विभाग एक विदेशी दवा को भी टी.बी. के मरीजों को देने की योजना बना रहा है। एक गोली की कीमत करीब 5 हजार रु पए बताई जा रही है। इस विदेशी दवा (विडाक्लाइन) से टी.बी. के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।
एक्सरे के लिए डार्क रूम नहीं
टी.बी. अस्पताल को सिविल अस्पताल के पुराने नशा छुड़ाओ सैंटर की पुरानी इमारत में फिलहाल चलाया जा रहा है। गौर हो कि अधिकांश मरीजों को एक्सरे की जरूरत पड़ती है। फिलहाल टी.बी. अस्पताल में जरूरतमंद मरीजों के एक्सरे नहीं हो पा रहे हैं। एक्सरे मशीन को डार्क रूम न होने के चलते नहीं चलाया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस संबंधी उच्च अधिकारियों को लिखा जा चुका है।