Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Feb, 2018 12:18 PM
पंजाब के औद्योगिक क्षेत्र में बङ्क्षठडा रिफाइनरी सबसे बड़े उद्योग के रूप में उभरा है जिससे पंजाब सरकार का खजाना भी लबालव हुआ।
बठिंडा (विजय): पंजाब के औद्योगिक क्षेत्र में बठिंडा रिफाइनरी सबसे बड़े उद्योग के रूप में उभरा है जिससे पंजाब सरकार का खजाना भी लबालव हुआ। हजारों लोगों को रोजगार के साधन भी प्राप्त हुए। इस उद्योग पर कुछ राजनीतिक माफिया की नजर पिछले 10 वर्षों से पड़ रही है और लालच में आकर अपनी जेब भरने के लिए रिफाइनरी को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है।
‘गुंडा टैक्स’ के नाम पर ट्रांसपोर्टरों से अवैध वसूली का सिलसिला जारी है इसमें कई ऐसे सफेदपोश शामिल हैं जिनकी खादी पर अब इसके छींटों के दाग पडऩे शुरू हो गए। रिफाइनरी में अब दूसरे चरण में पैट्रोकैमीकल लगाया जा रहा है जिस पर निवेश पूर्ण रिफाइनरी जितना ही किया जा रहा है, जैसे ही राजनीतिक माफिया को इसकी भनक लगी तो उन्होंने रिफाइनरी के आस-पास अपने तम्बू लगा दिए। यहां तक कि नाके लगाकर किसी भी भारी व हल्के वाहन को बिना टैक्स दिए नहीं गुजरने दिया जाता।
अगर कोई हिम्मत कर चला जाए तो मारपीट के अलावा उसकी गाड़ी की तोडफ़ोड़ व कई गुना जुर्माना भी वसूल किया गया, ऐसे कई मामले पुलिस के पास भी दर्ज हैं, जिन्हें लेकर पुलिस प्रशासन व राजनीतिक माफिया के विरुद्ध धरने प्रदर्शन भी हुए। धीरे-धीरे इसकी गूंज मुख्यमंत्री के कानों तक पड़ी और उन्होंने सख्ती से इसे बंद करने का ऐलान भी किया यहां तक कि डी.जी.पी. पंजाब को फोन पर ही कार्रवाई के निर्देश दिए।
बावजूद इसके ‘गुंडा टैक्स’ बंद नहीं हुआ तो इसकी गूंज विधानसभा तक पहुंची। विपक्षी पार्टियों ने जोर-शोर से मुद्दा उठाया यहां तक कि पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किए और इसमें शामिल राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के चेहरे से नकाब भी उतारा लेकिन सब कुछ नाकाम रहा। अब यह मामला दिल्ली दरबार तक पहुंच गया है, वहां के कई ठेकेदारों ने ‘गुंडा टैक्स’ की अवैध वसूली को लेकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री तक को शिकायतें भेंजी।
पी.एम. हाऊस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और पंजाब सरकार को पत्र लिखकर इस पर कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए। ङ्क्षहदोस्तान पैट्रोलियम व उच्च घराने के उद्योगपति लक्ष्मी नारायण मित्तल के अधिकारियों की संयुक्त बैठक नोएडा के कार्पोरेट कार्यालय में हुई व ‘गुंडा टैक्स’ पर चिंता व्यक्त की गई। ‘गुंडा टैक्स’ को रोकने के लिए पत्र लिखकर केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री कार्यालय को भेजा जिसमें इस अवैध वसूली को तुरंत बंद करवाने अथवा पैट्रोकैमीकल शिफ्ट करने की भी चर्चा की गई।
यहां तक कि रिफाइनरी में काम करने वाले अशोक बांसल ठेकेदार ने भी प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति तक को भी ‘गुंडा टैक्स’ बारे शिकायत भेजी। यह एक ठेकेदार का मामला नहीं, जितने भी ठेकेदार रिफाइनरी से जुड़े हुए हैं, सभी अवैध वसूली से परेशान हैं यहां तक कि कई ठेकेदारों ने रिफाइनरी ठेका लेने से इसलिए मना कर दिया कि यहां ‘गुंडा टैक्स’ देना पड़ता है।
आखिर रिफाइनरी अधिकारियों ने पैट्रोकैमीकल के उद्योग का एक बड़ा ठेका देश की सबसे बड़ी कम्पनी ई.आई.एल. को दिया, जिसने अभी तक काम शुरू नहीं किया और केवल सर्वे कर रही है। दिल्ली दरबार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उचित कदम उठाने का आश्वासन अधिकारियों को दिया। केंद्र की भाजपा सरकार पैट्रोकैमीकल संयंत्र को भाजपा शासित राज्य में तबदील करने पर भी विचार कर रही है। एच.एम.ई.एल. के प्रबंधक लक्ष्मी नारायण मित्तल के निर्देश पर इस बड़े उद्योग को पंजाब की बजाय गोवा में लगाना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के आश्वासन के बाद गुरु गोङ्क्षबद सिंह तेल शोधक कारखाने में लगाने पर सहमति हुई। मामला फिर वहीं अटका, लाख प्रयत्न के बाद भी ‘गुंडा टैक्स’ बंद नहीं हुआ। अब तो इसकी शाखाएं और फैलने लगीं।
अवैध वसूली बनाम ‘गुंडा टैक्स’ रुकने की बजाय बढ़ता जा रहा है। छोटी- बड़ी गाडिय़ों से भी अब यह टैक्स वसूला जा रहा है। रिफाइनरी में अपनी पहुंच का रौब दिखाकर राजनीतिज्ञों ने वहां बेनामी ठेके हासिल कर लिए । करोड़ों रुपए कमाने शुरू कर दिए। इसमें रिफाइनरी के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता। वह दबाव में या लालच में उनका साथ दे रहे हैं। राजनीतिक माफिया अब प्रवासी मजदूरों को भी निशाना बना रहा है।
300-400 दिहाड़ी पाने वाले मजदूर से 50 रुपए प्रति व्यक्ति वसूली की जा रही है। रिफाइनरी में काम करने वाले अधिकतर मजदूर बिहार व उत्तर प्रदेश से हैं जिन्होंने बताया कि जैसे ही वे गेट से बाहर आते हैं तो वहां बैठे लोग पैसे के लिए उन्हें परेशान करते हैं। उन्होंने बताया कि इन ‘गुंडा टैक्स’ ठेकेदारों ने बड़े-बड़े बक्से लगा रखे हैं, हर मजदूर को इसमें 50 रुपए डालने के लिए दबाव बनाया जाता है। टैक्स मामले में रिफाइनरी में राजनीतिक माफिया की सामानांतर सरकार चल रही है।
पैट्रोकैमीकल पर 22 हजार करोड़ का निवेश
गुरु गोबिंद सिंह तेल शोधक कारखाना सरकारी व गैर-सरकारी संस्थानों का सांझा उपकरण कम्पनियों की मिलीभगत से 2004 से इसका निर्माण शुरू हुआ था जबकि 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी आधारशीला रखी थी। इस परियोजना पर 18 हजार करोड़ का निवेश हो चुका है। पैट्रोकैमीकल एक अलग से उद्योग स्थापित किया जा रहा है जिस पर 22 हजार करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है, ऐसे में कुल 40 हजार करोड़ की यह बड़ी परियोजना बङ्क्षठडा शहर के लोगों के किस्मत के दरवाजे भी खोल देगी। सरकार का तो खजाना भरेगा ही साथ में दुकानदारों, व्यापारियों, मालिक मकानों, होटलों, रैस्टोरैंटो सहित अन्य कारोबारियों को भी लाभ होगा।
राजनीतिक नेताओं को बदनाम करने की साजिश
रिफाइनरी के बाहर गुंडा टैक्स की वसूली को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं लेकिन इनके पीछे कौन लोग हैं, कोई नहीं जानता। सियासी नेताओं की मानें तो इसके पीछे कांग्रेस के विधायक व कांग्रेस नेताओं का हाथ बताया जा रहा है जबकि कांग्रेस नेता इससे पल्ला झाड़ रहे हैं और जिला प्रशासन को कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। मामले को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने रिफाइनरी व आसपास के क्षेत्रों के कुछ कांग्रेसी नेताओं से बैठकर चर्चा भी की थी परंतु सभी नेताओं ने इस मामले से अपना हाथ होने से इंकार किया।
नेताओं ने मुख्यमंत्री को आश्वासन भी दिया कि ऐसे में कांग्रेस की बदनामी हो रही है, वह ऐसा कदम क्यों उठाएंगे जबकि इनके पीछे नकाबपोशों के चेहरे को नंगा करना जरूरी है। आम आदमी पार्टी, अकाली-भाजपा गठबंधन, सी.पी.आई., बसपा, दलित सेना, शिव सेना, विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने गुंडा टैक्स के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की। यहां तक कि धरने भी दिए और जी भरकर कांग्रेस को कोसा। अभी तक किसी भी कांग्रेसी नेता का इस मामले में सीधा हाथ होने का सबूत किसी को नहीं मिला। माना जा रहा है कुछ लोग पिछले 10 वर्षों से इस धंधे से जुड़े हैं। अब वे सत्ताधारी पाॢटयों के नेताओं का संरक्षण लेकर गुंडा टैक्स को जारी रखे हुए हैं। मामला अतिगंभीर है परन्तु इसके पीछे कौन-सा माफिया काम कर रहा है, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो सका, लेकिन गुंडा टैक्स वसूला जाने की चर्चाएं जोरों पर हैं।