Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 03:08 PM
दिल्ली से फिरोजपुर तक रेलवे लाइन पर झांजरों के बोरों की तरह बिजली की तारों में छन-छन की आवाजें सुनाई देंगी क्योंकि रेलवे विभाग अगले वर्ष मार्च-अप्रैल माह तक रेल गाडिय़ों को बिजली के साथ चलाने की अंतिम तैयारियों में लगा हुआ है। इस समय गाडिय़ों को...
मानसा(मित्तल): दिल्ली से फिरोजपुर तक रेलवे लाइन पर झांजरों के बोरों की तरह बिजली की तारों में छन-छन की आवाजें सुनाई देंगी क्योंकि रेलवे विभाग अगले वर्ष मार्च-अप्रैल माह तक रेल गाडिय़ों को बिजली के साथ चलाने की अंतिम तैयारियों में लगा हुआ है। इस समय गाडिय़ों को बिजली से चलाने के लिए तारें डालने का काम काफी हद तक मुकम्मल हो चुका है। जानकार सूत्रों के अनुसार इसके लिए 10 जनवरी से पहला ट्रायल किया जा रहा है। इस बारे में रेलवे के उच्च अधिकारी लगातार नजरसानी कर रहे हैं।
मानसा शहर से निकलने वाली मुख्य गाडिय़ां
फिरोजपुर, बङ्क्षठडा, मानसा, जाखड़ व दिल्ली रूट पर स्थित मानसा शहर का रेलवे स्टेशन काफी अहमियत रखता है। इस रेलवे स्टेशन पर आभा उड़ान तूफान एक्सप्रैस, डिबरूगढ़-लालगढ़ गुवाहाटी, पंजाब मेल, जनता एक्सप्रैस, इंटरसिटी एक्सप्रैस, ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सुविधा के लिए मुसाफिर गाड़ी (डिब्बा) के अलावा हफ्ते में 2 दिन शताब्दी एक्सप्रैस गाडिय़ों का आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा माल गाडिय़ां भी इसी रेलवे स्टेशन से गुजरती हैं। शहर वासियों ने कहा कि इस स्टेशन पर मुसाफिर गाडिय़ों के अलावा अन्य डी.एम.यू. गाडिय़ां चलाने की जरूरत है।
10 वर्षों से कैंटीन बंद
रेलवे स्टेशन पर 10 वर्षों से खाने-पीने वाली कैंटीन बंद पड़ी है। रेलवे विभाग इस कैंटीन को चलाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा जिस कारण रेलवे स्टेशन पर आने वाले मुसाफिरों को कोई अपेक्षित वस्तु लेने के लिए स्टेशन से बाहर जाना पड़ता है। इस बारे में कई बार मांग उठ चुकी है परन्तु कोई रेलवे अधिकारी लोगों की बात सुनने को तैयार नहीं है।
क्या कहना है स्टेशन मास्टर का
स्टेशन मास्टर आर.सी. मीना का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर आने वाली मुश्किलों को हल करने के यत्न जारी हैं। इसके साथ रेलवे स्टेशन को आदर्श रेलवे स्टेशन बनाने के लिए रेलवे प्लेटफार्म-1 को ऊंचा करने व माल गोदाम की सड़क की मुरम्मत करने की योजना विचाराधीन है।
प्लेटफार्म पर बना पुल अधूरा
रेलवे स्टेशन मानसा प्लेटफार्म-1 को प्लेटफार्म-2 के साथ मिलाने के लिए बना पुल भी अधूरा है। रेलवे विभाग ने सेफ के तौर पर इसके अंदर जाली तो लगा दी है परन्तु इसे शहर के दूसरे हिस्से के साथ जोडऩे के लिए और बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि मुसाफिरों को शहर के दूसरे तरफ से आने पर काफी लम्बा चक्कर काटना पड़ता है। प्लेटफार्म-2 ऊंचा होने के कारण दूसरी तरफ जाते समय मुसाफिर गिर पड़ते हैं।
रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का अभाव
मानसा शहर के रेलवे स्टेशन का सफाई के पक्ष से बुरा हाल है। इसके दोनों प्लेटफार्म तो साफ दिखाई देते हैं परन्तु उनके आसपास गंदगी फैली रहती है। रेलवे रिहायशी क्वार्टरों में भी कोई खास साफ-सफाई नहीं है। इस रेलवे स्टेशन के पुरुष शौचालयों पर ताले लगे हुए हैं। जिले का रेलवे स्टेशन होने के बावजूद सैंकड़ों मुसाफिरों के लिए स्टेशन के प्लेटफार्म-1 पर सिर्फ सवारियों के बैठने के लिए एक शैड है जबकि प्लेटफार्म-2 पर सवारियों के बैठने हेतु बनाए शैड काफी छोटे हैं। गर्मियों में मुसाफिरों को काफी दिक्कत आती है। इसके अतिरिक्त रेलवे चौकी रेलवे पार्सल रूम अंदर चल रही है। मानसा जिला बनने के बावजूद रेलवे पुलिस को लंबे समय से रेलवे चौकी के लिए जगह नसीब नहीं हो सकी। इस पार्सल रूम में बनी चौकी में अपराधियों को रखने के लिए कोई बैरक नहीं है और न ही कोई खास सुविधाएं हैं।