Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Mar, 2018 03:43 PM
नगर निगम बठिंडा के हाऊस की आम बैठक 8 मार्च को रखी गई थी जिसे किन्हीं कारणों से अब 12 मार्च का स्थगित कर दिया गया है। बैठक में हंगामा होने के पूरे आसार को देखते हुए अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए क्योंकि पहले शहर में 35 करोड़ के विकास कार्य करवाने के...
बठिंडा(विजय): नगर निगम बठिंडा के हाऊस की आम बैठक 8 मार्च को रखी गई थी जिसे किन्हीं कारणों से अब 12 मार्च का स्थगित कर दिया गया है। बैठक में हंगामा होने के पूरे आसार को देखते हुए अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए क्योंकि पहले शहर में 35 करोड़ के विकास कार्य करवाने के लिए हरी झंडी दी गई थी परन्तु अब वह सिमटकर 5 करोड़ तक अटकी।
इस बैठक में कुल 156 विकास कार्यों के एजैंडे रखे गए हैं जिनमें सबसे अहम 136 किराएदारों को मालिकाना हक देने का था। बेशक नगर निगम की किराए की कुल 401 दुकानें मात्र कुछ ही रुपए पर चल रही हैं परन्तु निगम ने खजाना भरने के लिए पंजाब सरकार की मंजूरी लेकर इनका मालिकाना हक देने का प्रस्ताव रखा था जिसे मंजूरी तो मिल चुकी है। पहले चरण में कुल 136 दुकानदारों को मालिकाना हक दिया जाना था जिससे निगम को लगभग 40 करोड़ रुपए आय होने की संभावना थी। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष हाऊस टैक्स के नाम पर इकट्ठे होने थे। लेकिन नए प्रस्ताव अनुसार निगम ने किराएदारों को छत देने से इंकार कर दिया जिसे लेकर किराएदारों ने मालिकाना हक लेने से ही इंकार कर दिया।
उनका मानना है कि ऐसे में तो एकमुश्त इकट्ठे पैसे देने मुश्किल हैं, वैसे भी वह 200 रुपए से लेकर मात्र 2000 रुपए तक किराया दे रहे हैं, उन्हें मालिक बनने की जरूरत ही नहीं। किराएदार एसो. का कहना है कि अगर निगम सरकारी दरों अनुसार छत भी साथ में देगी तभी वे मालिकाना हक लेंगे क्योंकि वे उसको 2 या 3 मंजिल बनाकर अपने कारोबार को बढ़ा सकते हैं। एसो. अध्यक्ष सुनील सिंगला का कहना है कि नोटबंदी व जी.एस.टी. के बाद वैसे ही व्यापार नाम मात्र रह गया। अगर उन्हें दुकान के इकट्ठे पैसे देने पड़े तो बैंक ही उनका एक मात्र सहारा हैं, लेकिन बैंक घोटालों के चलते बैंकों ने भी अब कर्ज देने से अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए। उनका कहना है कि सरकार हर कदम पर अपना फैसला बदल लेती है, ऐसे में वे किसी भी प्रकार के विवाद में नहीं फंसना चाहते।