Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jan, 2018 11:45 AM
शहर में केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वे कीटीम ने 16 जनवरी को आने की आधिकारिक घोषणा की है। यह तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, उसी तरह शहर को स्वच्छ बनाने का काम भी तेजी पकडऩे लगा है क्योंकि अब की बार सर्वे में काफी कम्पीटिशन है, लेकिन जल्दबाजी के...
बठिंडा (विजय/ आजाद): शहर में केंद्र सरकार की स्वच्छता सर्वे कीटीम ने 16 जनवरी को आने की आधिकारिक घोषणा की है। यह तारीख ज्यों-ज्यों नजदीक आ रही है, उसी तरह शहर को स्वच्छ बनाने का काम भी तेजी पकडऩे लगा है क्योंकि अब की बार सर्वे में काफी कम्पीटिशन है, लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में अभी तक नगर निगम का ध्यान हाई बोल्टेज तारों की तरफ नहीं गया। शहर के अनेक आवासीय इलाकों के निकट से गुजरने वाली तारें बेतरतीब ढंग से लटक रही हैं जो मौत को खुलेआम दावत दे रही हैं। शहर का हर गली-मोहल्ला बेतरतीब तारों से जूझता दिखाई दे रहा है। इसका कारण यह है कि इन तारों का ठीक तरह से प्रबंधन नहीं किया गया। इन हाई वोल्टेज तारों से की वजह से शहर की खूबसूरती पर भी दाग लगता है।
देशभर में हर साल नंगी तारों से लगभग 10000 होती हैं मौतें
हाई वोल्टेज तार की समस्या सिर्फ बठिंडा शहर की समस्या नहीं है बल्कि यह समस्या राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश भर में आवासीय इलाकों से गुजरने वाली बिजली की हाईटैंशन नंगी तारों और झूलती तारों के परिणाम स्वरूप लगने वाले करंट से साल 2015 में ही 9986 लोगों की मौत हुई जबकि 2014 में यह आंकड़ा 9606 था। इन तारों की चपेट में आने से अनेक लोग अपंग हो रहे हैं।
पोल की आड़ में फल-फूल रहा अवैध व्यापार
हाईवोल्टेज पोल के नीचे अवैध व्यापार बहुत ही तेजी से फल-फूल रहा है। रेहड़ी व सब्जी वाले इन्हीं पोलों के नीचे खाली जगह पर अपनी दुकानें लगा लेते हैं। शहर में जगह-जगह लगे ट्रांसफार्मर हादसों को दावत दे रहे हैं। विभागीय लापरवाही के चलते ट्रांसफार्मर वाले एरिया को कवर नहीं किया गया है जिसके चलते ट्रांसफर्मर में खराबी आ जाती है। घनी आबादी वाले क्षेत्र में ऐसे खुले ट्रांसफार्मर बच्चों के लिए भी खतरा बने हुए हैं।
इन इलाकों में है हाईवोल्टेज तारों से खतरा
शहर की पुरानी बस्ती रेलवे स्टेशन के आस-पास का एरिया अमरीक सिंह रोड धोबी बाजार, बस स्टैंड, सब्जी मंडी, हाजीरतन आदि इलाकों में स्थित कई मकानों के ऊपर से हाई बोल्टेज के तार है, जिससे स्थानीय लोगों में हर वक्त यह भय बना रहता है कि कहीं उनके बच्चे छतों में खेलते वक्त तारों को छू न लें। कई बार जर्जर तारों ने ऐसा कहर ढाया है कि कुछ लोग समय से पहले ही काल के गाल में समा गए तो कई हमेशा के लिए अपंग हो गए।
बिना सर्वे लाइन लगाने से आती है दिक्कत
शहर में बिजली विभाग ने बिना सर्वे के ही हाई वोल्टेज के तार दशकों पहले लगा दिए। जहां खाली जमीन मिली वहीं से तार के खंभे लगाकर बिजली आगे बढ़ा दी गई। यह जानने की भी कोशिश नहीं की गई कि इसका क्या परिणाम निकलेगा। अब जब जनसंख्या बढ़ी तो शहरों में तेजी से इमारतें बनने लगीं, मगर उतनी तेजी से तारों का रिपलैस नहीं किया गया। इसी कारण आज शहर में लगभग 30 प्रतिशत जर्जर तारों को बदलकर नई तारें लगाई जा रही हैं।
पीड़ित मुआवजे के हैं हकदार
अगर करंट की चपेट में आकर किसी की मौत होती है तो सबसे पहले एफ.आई.आर. दर्ज करनी चाहिए, इसके बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई करवाने के बाद आवेदन अपने एरिया के बिजली विभाग के अभियंता के यहां देना चाहिए। आवेदन देने के बाद पारिवारिक सूची विभाग को देनी होगी। आवेदन के संबंध में विभाग स्थानीय जांच के लिए 2 अधिकारियों को भेजता है, अधिकारी घटना के निरीक्षण करने के दौरान यह देखते हैं कि गलती किसकी है। अगर विभाग की गलती से हादसा हुआ है, तो उसे मुआवजा मिलेगा, लेकिन जांच के दौरान विभाग की गलती नहीं आती तो मुआवजे की राशि नहीं मिलेगी।