Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Mar, 2018 12:00 PM
कपास पट्टी में इस बार फिर से गुजराती बी.टी. कॉटन बीजों का साया मंडराने लगा है। गुजरात की विभिन्न बीज कंपनियां मालवा पट्टी के किसानों को भरमाने लगी हैं। किसान भी गुजरात की उक्त कंपनियों के झांसे में आकर गुजरात से बीज खरीद कर लाने लगे हैं। उक्त खुलासा...
बठिंडा(परमिंद्र): कपास पट्टी में इस बार फिर से गुजराती बी.टी. कॉटन बीजों का साया मंडराने लगा है। गुजरात की विभिन्न बीज कंपनियां मालवा पट्टी के किसानों को भरमाने लगी हैं। किसान भी गुजरात की उक्त कंपनियों के झांसे में आकर गुजरात से बीज खरीद कर लाने लगे हैं। उक्त खुलासा कृषि विभाग द्वारा की जा रही चैकिंगों के दौरान हुआ है। जिला प्रशासन तथा कृषि विभाग ने गुजराती बी.टी. कॉटन बीजों को रोकने के लिए कमर कसी हुई है। इस संबंध में जहां सख्ती का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं किसानों को गुजराती बीजों से सचेत रहने की अपील भी की जा रही है।
सफेद मक्खी का डर दिखाकर भरमा रही कंपनियां
2015 के दौरान कपास की फसल पर सफेद मक्खी का बड़ा हमला हुआ था जिससे किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा था। उक्त हमले के बाद अगले 2 सालों के दौरान किसानों का गुजराती बीजों के प्रति रुझान कुछ कम रहा लेकिन इस बार गुजरात की बीज कंपनियां किसानों को सफेद मक्खी के हमले का डर दिखाकर बीज बेच रही हैं। कंपनियां दावा कर रही हैं कि उनके पास बी.टी. कॉटन बीजों की ऐसी किस्में हैं जिन पर सफेद मक्खी का हमला नहीं होता। ऐसा करके किसानों को महंगे बीज बेचे जा रहे हैं। इन कंपनियों के झांसे में आकर कुछ किसान इनसे बीज खरीद भी रहे हैं।
कृषि विभाग तैयार कर रहा एक्शन प्लान
कपास की बिजाई में कुछ समय ही बाकी रह गया है व किसानों ने बीजों की खरीद शुरू कर दी है। ऐसे में जिला प्रशासन तथा कृषि विभाग भी जहां सफेद मक्खी के हमले को रोकने के लिए प्रयारसरत है, वहीं गुजराती बीजों को रोकने के लिए भी एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। इसके तहत जहां बाहर से आने वाले बीजों को सख्ती से रोका जाएगा, वहीं किसानों को भी जागरूक किया जाएगा। किसानों को जागरूक करने के लिए क्लबों की मदद भी ली जा रही है जबकि ग्रामीण इलाकों में पम्फलैट्स, फ्लैक्स, कैंप आदि लगाकर गुजराती बीजों से गुरेज करने को प्रेरित किया जा रहा है। ट
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी
मुख्य कृषि अधिकारी डा. गुरदित्ता सिंह सिद्धू ने कहा कि किसानों को सिफारिश किए हुए बीजों से ही कपास की बिजाई करनी चाहिए क्योंकि उन किस्मों पर कीटों के हमले का डर कम होता है। किसानों को गुजरात से बीज लेकर आने से भी गुरेज करना चाहिए व कंपनियों के झांसे में नहीं आना चाहिए।
क्या कहते हैं डिप्टी कमिश्नर
डिप्टी कमिश्नर दीपर्वा लाकरा ने कहा कि गुजरात से आने वाले बीजों को रोका जाएगा जबकि साथ ही किसानों को भी जागरूक किया जाएगा। इस संबंध में पुलिस प्रशासन व खेतीबाड़ी विभाग को जरूरी दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। किसानों को गुमराह करने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटा जाएगा।