Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Mar, 2018 01:43 PM
इसे कुदरत की मार ही कहा जाएगा कि नजदीकी गांव कोटशमीर के एक परिवार में मात्र 3 भाई-बहन हैं और वे तीनों ही नेत्रहीन हैं। इन तीनों के मां-बाप की काफी समय पहले मौत हो चुकी है जिसके कारण ये परिवार काफी दयनीय हालत में है। नेत्रहीनता के कारण उक्त परिवार के...
बठिंडा(परमिंद्र): इसे कुदरत की मार ही कहा जाएगा कि नजदीकी गांव कोटशमीर के एक परिवार में मात्र 3 भाई-बहन हैं और वे तीनों ही नेत्रहीन हैं। इन तीनों के मां-बाप की काफी समय पहले मौत हो चुकी है जिसके कारण ये परिवार काफी दयनीय हालत में है। नेत्रहीनता के कारण उक्त परिवार के किसी भी सदस्य की शादी भी नहीं हो सकी व अब सभी की शादी की उम्र भी निकल चुकी है। कमाई का कोई साधन न होने के कारण परिवार के भूखो मरने की नौबत आई हुई है। सरकार की ओर से उक्त भाई-बहनों को 250 रुपए पैंशन दी जाती है जो उनके गुजारे के लिए नाकाफी साबित हो रही है। इस नेत्रहीन परिवार के सदस्यों ने प्रशासन, सरकार तथा अन्य समाज सेवी संगठनों से मदद की गुहार लगाई है। इस परिवार के मुखी चंद सिंह की उम्र 52 साल है जबकि उससे छोटे सुखविंद्र सिंह की उम्र 37 वर्ष तथा बहन परमजीत कौर की उम्र 32 साल हो चुकी है।
मां-बाप जिंदा थे तो किसी तरह होता था गुजारा : पारिवारिक सदस्य
नेत्रहीन परिवार के सदस्यों चंद सिंह व सुखविंद्र सिंह ने बताया कि वे तीनों बचपन से ही नेत्रहीनता का संताप झेल रहे हैं। मां-बाप जब तक जिंदा थे तो किसी प्रकार घर का गुजारा चल रहा था लेकिन अब परिवार बेहद संकट में है। नेत्रहीनता के कारण तीनों ही भाई-बहन कोई काम करने में असमर्थ हैं। ऐसे में उन्हें लोगों की मदद का ही सहारा है। गांव के कुछ लोगों के अलावा कभी-कभार कुछ लोग थोड़ी-बहुत मदद कर देते हैं लेकिन उससे उनका गुजारा नहीं हो पाता। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पूरे परिवार के इस संकट को देखते हुए उनकी अलग से पैंशन लगाई जाए या उनकी पैंशन में वृद्धि करके उसे 500 रुपए किया जाए। उन्होंने बताया कि पैंशन वृद्धि के लिए वह कई बार अधिकारियों के पास चक्कर काट चुके हैं लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली।