महिलाओं के हक,आजादी व समानता के संघर्ष का प्रतीक है वूमैन-डे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 10:25 AM

women s day

हर वर्ष 8 मार्च को विश्व स्तर पर अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। संसार के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान,प्रशंसा व प्यार प्रकटाते हुए यह दिन महिलाओं के लिए एक त्यौहार की तरह होता है। 8 मार्च 1857 को शुरू किया महिला दिवस...

संगरूर (विवेक सिंधवानी,यादविन्द्र): हर वर्ष 8 मार्च को विश्व स्तर पर अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। संसार के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान,प्रशंसा व प्यार प्रकटाते हुए यह दिन महिलाओं के लिए एक त्यौहार की तरह होता है। 8 मार्च 1857 को शुरू किया महिला दिवस अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार 18 मार्च 1911 को मनाया गया जोकि बाद में 8 मार्च को पक्के तौर पर अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा आज महिला दिवस पर जिला संगरूर से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं से बात करके उनके विचार लिए गए। 

महिला प्रति अपनी नकारात्मक सोच को बदलें 
डा. किरणजोत कौर बाली सिविल सर्जन ने कहा कि महिला समाज की निर्माता है। यदि महिला है तो हम हैं। हमें महिलाओं विरुद्ध हर तरह के भेदभाव व अन्याय को खत्म करने के लिए कंधे से कंधा जोड़कर चलना चाहिए। इस महिला दिवस मौके हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि हम महिला प्रति अपनी नकारात्मक सोच को बदलें।

महिलाओं को बनते हक मिलें
यदि महिला को परिवार व समाज का साथ मिले तो महिला हर मंजिल को आसानी से ही पार कर सकती है। डा.अंजली वर्मा ने कहा कि महिलाओं को अपने हक पहचानने की जरूरत है। महिला अबला नहीं सबला है व आज की महिला अपने परिवार व समाज के साथ सब कुछ करने में समर्थ है समय आ गया कि महिला को उसका बनता हक दियाजाए। 

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