Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Feb, 2018 02:17 PM
नशों के सेवन के लिए शूरवीरों व योद्धाओं की धरती कहा जाता पंजाब आज दुनिया भर में चर्चा मेंं है और आए दिन पंजाब की जवानी नशों की भेंट चढ़ इस संसार को अलविदा कह रही है। ऐसे में नशों की रोकथाम के लिए ङ्क्षचतक, संस्थाएं, बुद्धिजीवी सिवाय इनका प्रयोग न...
संगरूर/सन्दौड़ (बेदी/ रिखी): नशों के सेवन के लिए शूरवीरों व योद्धाओं की धरती कहा जाता पंजाब आज दुनिया भर में चर्चा मेंं है और आए दिन पंजाब की जवानी नशों की भेंट चढ़ इस संसार को अलविदा कह रही है। ऐसे में नशों की रोकथाम के लिए ङ्क्षचतक, संस्थाएं, बुद्धिजीवी सिवाय इनका प्रयोग न करने प्रति जागरूक करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते परन्तु शराब जिसकी बिक्री लाइसैंस धारकों के लिए मंजूरशुदा है को अपने नगर में इसकी दुकान को न खुलने के लिए ग्राम पंचायतों के पास एक अधिकार है जिस तहत वह अपने गांव मेंं शराबबन्दी के प्रस्ताव डालकर नशों पर काबू डाल सकते है। ऐसा महान कार्य पंजाब में 15 जिलों की 59 पंचायतों ने कर दिखाया है लेकिन इस मामले में पंजाब भर की पंचायतों को जागरूक होने की जरूरत है।
इस साल कौन से जिलों ने डाले हैं कितने प्रस्ताव
पंजाब भर में वर्ष 2017-18 के लिए कुल 59 प्रस्ताव डाले गए हैं जिनमें से संगरूर जिसको ‘साडा नी कसूर साडा जिला संगरूर’ से कमैंट किया जाता है ने सबसे अधिक संजीदगी दिखाते 16 प्रस्ताव डाले हैं, पटियाला ने 10, फिरोजपुर ने 6, लुधियाना ने 4, गुरदासपुर ने 4, फरीदकोट ने 3, होशियारपुर ने 3, रूपनगर ने 3, मोगा ने 2, बङ्क्षठडा 2, एस.ए.एस. नगर ने 2, पठानकोट ने 1, मानसा 0, जालंधर ने 1 और बरनाला की 1 पंचायत ने प्रस्ताव पास कर अपने गांव में खुलने वाले शराब के ठेके 2018-19 के लिए बंद करवा दिए हैं।
गत वर्ष की यदि बात करें तो पंजाब भर में ठेके बंद करने के लिए कुल 92 प्रस्ताव डाले गए थे जिनमें से 81 प्रस्ताव स्वीकार कर ठेके बंद किए गए थे व बाकी 6 ठेके गांवों से बाहर खुले थे। 5 प्रस्ताव रिजैक्ट किए गए थे तथा इनमें से संगरूर ने 22 प्रस्ताव डाले थे जिनमें से 21 स्वीकार और 1 गांव की हद से बाहर किया गया था।
क्या कहता है शराबबंदी के लिए एक्ट
शराब के ठेकों के खिलाफ गत वर्षों से पंजाब भर में मुहिम चला रहे साइंटिफिक अवेयरनैस फोरम के प्रधान डा. ए.एस. मान का कहना है कि पंचायती राज एक्ट 1994 की धारा 40 (1) अधीन हर ग्राम पंचायत के पास अधिकार हैं कि वे अपने क्षेत्र में सरकार द्वारा खोला जाने वाला शराब का ठेका 2/3 के साथ प्रस्ताव पास करके बंद करवा सकते हैं। इस अधिकार का प्रयोग हर ग्राम पंचायत को करके नशों में डूब रहे पंजाब को बचाने में अपना योगदान डालना चाहिए।