Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 01:07 PM
मॉडल कहलाए जाने वाले गुरु की नगरी के रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी अपर्याप्त हैं। रेल मंत्रालय अमृतसर रेलवे स्टेशन को अति आधुनिक बनाने के प्रति प्रयासरत है, वहीं यहां का स्टेशन प्रशासन यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं...
अमृतसर (जशन): मॉडल कहलाए जाने वाले गुरु की नगरी के रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी अपर्याप्त हैं। रेल मंत्रालय अमृतसर रेलवे स्टेशन को अति आधुनिक बनाने के प्रति प्रयासरत है, वहीं यहां का स्टेशन प्रशासन यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने में नकारा सिद्ध हो रहा है। इसका मुख्य प्रमाण है सामान्य टिकट घर। कहने को तो यहां पर 6 टिकट खिड़कियां हैं, परंतु रेल यात्रियों को एक टिकट खरीदने के लिए भारी जद्दोजहद करनी पड़ती है। इसके अलावा रेलवे प्रशासन ने यात्रियों को सुविधा देने के लिए यहां पर टिकट वैंङ्क्षडग मशीनें लगाई हैं, परंतु ये मशीनें सफेद हाथी साबित हो रही हैं।
मशीन में फंस जाते हैं पैसे
रेल यात्रियों की यह शिकायत भी स्टेशन प्रशासन को मिल रही है कि यात्री टिकट के लिए इन मशीनों में पैसे डालता है तो उसे टिकट नहीं मिलती और उसका पैसा भी मशीन में फंस जाता है जिसे वापस पाने के लिए यात्रियों को कई अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर काटने पड़ते हैं।
स्लो चलता है कम्प्यूटर सिस्टम
वहीं दूसरी ओर वर्तमान में अमृतसर स्टेशन पर टिकट काटने प्रति कम्प्यूटर सिस्टम स्लो होने के कारण एक मिनट में मात्र 2-3 टिकटें ही काटता है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यात्रियों की संख्या के अनुरूप जहां टिकट विंडो की संख्या में और वृद्धि करनी चाहिए, परंतु स्टेशन प्रशासन अभी तक इन मात्र 6 टिकट विंडो पर ही आश्रित है, जोकि यात्रियों के बढ़ते लोड के अनुसार नाकाफी ही सिद्ध हो रही हैं।
अधिकारी बताते हैं कर्मचारियों की कमी
इस प्रति रेलवे के उज्जाधिकारियों का एक ही रटा-रटाया उत्तर है कि अभी स्टाफ की काफी कमी है और ऊपर से रेलवे बोर्ड नई भर्ती नहीं कर रहा है, परंतु इस का खामियाजा तो रेलवे यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। टिकट खिड़की पर पूरा दिन लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं जिसके कारण कई यात्रियों की टिकट लेने दौरान ही ट्रेन छूट जाती है।
यात्रियों को नहीं है इनकी पूरी जानकारी
इसका कारण एक तो यह है कि इन मशीनों को चलाने की यात्रियों को जानकारी नहीं है, दूसरा स्टेशन प्रशासन ने इनको आप्रेट करने के लिए किसी रेलवे कर्मी की ड्यूटी नहीं लगाई है। यदि रेलवे का कोई उज्जाधिकारी यहां दौरे पर आता है तो उस दौरान के लिए स्टेशन प्रशासन इन मशीनों पर किसी रेल कर्मी को तैनात कर देता है, उसके बाद मशीनें फिर से खाली हो जाती हैं।
गलत व्यवहार करते हैं टिकट काटने वाले कर्मी
रेल यात्रियों ने दो टूक कहा कि यहां पर टिकट काटने वालों रेल कर्मियों का व्यवहार भी ठीक नहीं है। वे यात्रियों से काफी दुव्र्यवहार करते हैं। ये कर्मी कई बार टिकट काटने के बाद 3-4 रुपए छुट्टे न होने का बहाना बनाकर वापस नहीं देते। अगर कोई यात्री इस प्रति पूछता है तो ये कर्मी टिकट वापस लेकर उसे खुले पैसे लेकर आने को कहते हैं। यात्रियों ने मांग की है कि स्टेशन प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए उचित कदम उठाए।
लाइन में सहनी पड़ती है धक्का-मुक्की
टिकट लेने के लिए काफी समय से खड़े यात्रियों महिन्द्र सिंह, निखिल खन्ना, ज्योति स्वरूप, जोबनजीत सिंह व कुछ अन्यों ने कहा कि यहां से एक टिकट हासिल करना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। एक टिकट पाने की खातिर काफी धक्का-मुक्की सहनी पड़ती है। यहां पर टिकट काऊंटर बढ़ाने की बजाय इनको और कम कर दिया है, जिससे इस समस्या ने अब गंभीर रूप धारण कर लिया है।