Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 09:34 AM
राजस्व विभाग की तरफ से जमीन-जायदादों की रजिस्ट्रियों के दौरान एन.ओ.सी. लगाना व संबंधित कालोनियों के अप्रूव्ड होने का लाइसैंस नंबर लिखे जाने का आदेश जारी किए जाने के बाद प्रापर्टी कारोबारियों व रियल एस्टेट सैक्टर में हड़कंप मच गया है।
अमृतसर(नीरज): राजस्व विभाग की तरफ से जमीन-जायदादों की रजिस्ट्रियों के दौरान एन.ओ.सी. लगाना व संबंधित कालोनियों के अप्रूव्ड होने का लाइसैंस नंबर लिखे जाने का आदेश जारी किए जाने के बाद प्रापर्टी कारोबारियों व रियल एस्टेट सैक्टर में हड़कंप मच गया है।
हालत यह है कि पूर्व गठबंधन सरकार की रियल एस्टेट संबंधी गलत नीतियों व इन्कम टैक्स विभाग की तरफ से प्रापर्टी कारोबार पर लगातार शिकंजा कसे जाने के बाद पहले से ही दम तोड़ रहे प्रापर्टी कारोबार के तबूत का अब यह नया आदेश अंतिम कील साबित होगा, ऐसा मानना है प्रापर्टी कारोबार से जुड़े माहिरों का। क्योंकि पूर्व गठबंधन सरकार के कार्यकाल के दौरान यही एन.ओ.सी. का आदेश था जिसकी पूरे पंजाब में आलोचना की गई थी ।
हजारों की संख्या में प्रापर्टी डीलरों ने रोष प्रदर्शन करके इस आदेश का विरोध किया था, लेकिन रियल एस्टेट को राहत देने का वायदा करने वाली कैप्टन सरकार ने अपने दस महीने के कार्यकाल के बाद ही फिर से एन.ओ.सी. के आदेश को लागू करके पूरे रियल एस्टेट सैक्टर को हिला दिया है। अमृतसर के जिला माल अफसर मुकेश शर्मा का कहना है कि यह आदेश सैक्रेटरी रैवेन्यू की तरफ से जारी किया गया है और सभी तहसीलों व सब-तहसीलों में सभी तहसीलदार व नायब तहसीलदारों को इसकी पालना करना जरूरी है। इस संबंध में यदि रियल एस्टेट कारोबारियों को किसी प्रकार की समस्या है तो इसकी फीड बैक सरकार को दी जाएगी।
क्या है अवैध कालोनियों की परिभाषा, प्रशासन के पास भी नहीं है लिस्ट
अवैध कालोनियों की परिभाषा क्या है? अमृतसर जिले में कितनी कालोनियां अवैध हैं और कितनी वैध हैं, इसकी जानकारी शायद जिला प्रशासन को भी नहीं है, वैसे तो परपरा एक्ट 1995 के तहत पुडा की तरफ से अप्रूव्ड कालोनी, जिसका बाकायदा लाइसैंस नंबर होता है, उसको ही वैध कालोनी माना जाता है, लेकिन जिले में पुडा अप्रूव्ड कालोनियों पर नजर डालें तो कुछ प्रतिष्ठित कालोनाइजर्स की तरफ से पुडा अप्रूव्ड कालोनियां बनाई गई हैं। इसके अलावा शहर के 12 दरवाजों के बाहर बनी कालोनियां न तो पुडा अप्रूव्ड हैं और न ही इनके पास किसी प्रकार का लाइसैंस नंबर है। उक्त कालोनियों में लाखों लोग वर्षों से अपने आशियानें बनाकर रह रहे हैं। प्रशासन के पास भी अप्रूव्ड व अनअप्रूव्ड कालोनियों की कोई लिस्ट नहीं है, शहरी गेटों के बाहर बिना अप्रूव्ड कालोनियों की भी रजिस्ट्रियां की जा रही हैं। इन हालातों में सरकार के इस नए आदेश ने चारों तरफ हाहाकार का माहौल पैदा कर दिया है।
वर्षों पुरानी कालोनियों का कहां से आएगा लाइसैंस नंबर
शहरी इलाकों में ज्यादातर कालोनियां तीस से चालीस वर्ष पुरानी हैं और कुछ तो इससे भी पुरानी हैं। इन हालातों में इन वर्षों पुरानी कालोनियों में जमीन जायदाद की बिक्री करते समय लाइसैंस नंबर कहां से आएगा और कौन लाएगा, क्योंकि इन कालोनियों के कालोनाइजर्स तो वर्षों पहले इन कालोनियों की जमीनों की बिक्री कर चुके हैं। रजिस्ट्री करते समय एन.ओ.सी. लगाने के साथ-साथ लाइसैंस नंबर भी लिखा जाना जरूरी है। सरकार की तरफ से जारी इस नोटिफिकेशन में क्या अप्रूव्ड कालोनियों के लाइसैंस संबंधी कहा गया है या फिर अनअप्रूव्ड कालोनियों के लाइसैंस संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं, यह भी अधिकारियों को स्पष्ट नहीं है। फिलहाल एन.ओ.सी. जारी करने के आदेश ने वसीका नवीसों, प्रापर्टी डीलरों व रियल एस्टेट सैक्टर से जुड़े कारोबारियों में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया है और सरकार के इस फैसले के खिलाफ सभी में रोष पाया जा रहा है। माना जा रहा है कि सरकार के इस आदेश का आने वाले दिनों में सख्त विरोध होगा।
नवम्बर 2013 में बंद की पावर ऑफ अटार्नी, लागू की एन.ओ.सी.
एन.ओ.सी. लागू करने के आदेश व पॉवर ऑफ अटार्नी बंद करने के आदेशों ने पूर्व गठबंधन सरकार का तख्ता पलट करने में अहम भूमिका निभाई थी और गठबंधन सरकार को इन आदेशों को वापस लेना पड़ा था, लेकिन कैप्टन सरकार ने फिर से एन.ओ.सी. के आदेश को लागू कर दिया है।जानकारी के अनुसार नवम्बर-2013 में गठबंधन सरकार की तरफ से राजस्व विभाग ने आदेश जारी करके पॉवर ऑफ अटार्नी बंद कर दी और सिर्फ ब्लड रिलेशन में ही पॉवर ऑफ अटार्नी करने के आदेश जारी कर दिए।
इसके कुछ समय के बाद गठबंधन सरकार ने रजिस्ट्रियों के साथ एन.ओ.सी. लगाए जाने का आदेश जारी कर दिया, जिसको विपक्षी दलों की तरफ से मुद्दा बना लिया गया और पूरे पंजाब के प्रापर्टी कारोबारी इसके खिलाफ हो गए। आखिरकार चुनावों से पहले वर्ष 2016 में इन आदेशों को वापस ले लिया गया, लेकिन इसके बावजूद पंजाब में लाखों की संख्या में रियल एस्टेट सैक्टर से जुड़े लोगों का भारी नुक्सान हो गया, जिसका खामियाजा विधान सभा चुनाव में गठबंधन सरकार को भुगतना पड़ा।
रजिस्ट्री के साथ आधार कार्ड लगाना जरूरी
इन्कम टैक्स विभाग की दलीलों के बाद राजस्व विभाग ने एक आदेश जारी किया, जो कि कुछ महीने पहले ही जारी किया गया, उसमें जमीन की बिक्री करने वाले व जमीन खरीदने वाले व्यक्ति जब तहसील में आकर रजिस्ट्री करवाते हैं तो दोनों को अपना आधार कार्ड लगाना जरूरी है, हालांकि यह आदेश आधार कार्ड को प्रापर्टी से ङ्क्षलक करने के कानून की तरफ नहीं जा रहे हैं, लेकिन फिर भी इस नए आदेश से इन्कम टैक्स विभाग ऐसे लोगों को आसानी के साथ ट्रेस कर सकता है जो बार बार जमीन जायदाद की बिक्री करते हैं और प्रापर्टी लेनदेन का काम करते हैं लेकिन टैक्स चोरी करते हैं।
लौहरका रोड व अन्य कालोनियों में हो चुकी है करोड़ों की प्रापर्टी अटैच
इन्कम टैक्स विभाग की तरफ से रियल एस्टेट सैक्टर पर कसे गए शिकंजे की बात करें तो सिर्फ अमृतसर जिले में ही इन्कम टैक्स विभाग के बेनामी विंग की तरफ से लौहारका रोड व अन्य कालोनियों में 100 से ज्यादा प्रापर्टियों को अटैच किया जा चुका है जिसकी कीमत करोड़ों रुपयों में है। एक स्कूल मालिक की तरफ से अपने चाय बेचने वाले कर्मचारी के नाम पर 12 एकड़ जमीन किए जाने का मामला पूरी तरह चर्चा में है। फिलहाल इन्कम टैक्स विभाग के नए नए कानूनों के बाद अब पंजाब सरकार की तरफ से एन.ओ.सी. लागू करने के आदेश ने प्रापर्टी कारोबार को खत्म कर दिया है।
प्रापर्टी कारोबार खत्म होने से दर्जनों अन्य कारोबार भी प्रभावित
प्रापर्टी का कारोबार एक ऐसा कारोबार है जो प्रफुल्लित होता है तो अन्य कारोबार भी प्रफुल्लित होते हैं लेकिन इस कारोबार के डूबने से अन्य कारोबार भी डूबने की कगार पर चले जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति जमीन खरीदता है तो उसके लिए सबमर्सिबल पंप लगाता है या फिर टुल्लू पंप लगाता है इसके लिए सैनेटरी का काम बढ़ता है, जमीन पर घर बनाने के लिए ईंट व रेत खरीदता है तो ईंट भट्ठों व रेत बेचने वालों का काम बढ़ता है, घर बनाने के लिए आर्कीटैक्ट व राज मिस्त्री व मजदूरों को रोजगार मिलता है। मकान में बिजली की वायरिंग का काम करवाया जाता है, किचन से लेकर दरवाजे बनाए जाते हैं जिससे कारपेंटर को काम मिलता है, मकान में मार्बल व टाइल्स लगाई जाती है तो मार्बल कारोबार प्रफुल्लित होता है इसके अलावा कई अन्य कारोबार प्रापर्टी के कारोबार से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं जो प्रापर्टी कारोबार के पतन के बाद बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।