गर्भवती को प्रसव के लिए नहीं किया दाखिल, बच्चे की मौत, जच्चा गंभीर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Feb, 2018 11:07 AM

new born died

सरकारी अस्पतालों में जच्चा-बच्चा की जान सुरक्षित नहीं है।

अमृतसर(दलजीत): सरकारी अस्पतालों में जच्चा-बच्चा की जान सुरक्षित नहीं है। सरकारी अस्पताल मानांवाला के डाक्टर और स्टाफ की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला प्रसव के दर्द से तड़पती रही, परन्तु उसे दाखिल करने की बजाय अगले दिन अस्पताल में आने की नसीहत दे दी गई। गर्भवती की हालत इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि मरीज के वारिसों ने मजबूरन उसे एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाया, जहां प्रसव दौरान मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ। महिला की एक प्राइवेट अस्पताल में उपचाराधीन है और उसकी हालत नाजुक बनी हुई है, जिस देख सरकार की जच्चा-बच्चा सुरक्षा योजना फ्लॉप होती नजर आ रही है। 

जानकारी के अनुसार रमनप्रीत कौर पत्नी अमरजीत सिंह निवासी मेहरबानपुरा नजदीक जंडियाला गुरु 9 महीनों से सरकारी अस्पताल मानांवाला में अपना चैकअप करवा रही थी। ‘पंजाब केसरी’ सब-आफिस पहुंचे मरीज के पति अरमजीत सिंह ने मामले संबंधी जानकारी देते बताया कि तीसरे महीने रमनप्रीत कौर के अस्पताल की गायनी विभाग की डाक्टर द्वारा बताए गए सभी टैस्ट करवाए गए जबकि अल्ट्रासाऊंड दुबुर्जी स्थित एक प्राइवेट सैंटर से करवाने के लिए खास निर्देश दिया गया। अल्ट्रासाऊंड व अन्य टैसिं्टग रिपोर्ट देखने के बाद उनको 6 महीने चैकअप के लिए बुलाया गया जिस में जच्चा-बच्चा ठीक होने की डाक्टर द्वारा पुष्टि की गई और 2 महीने बाद फिर बुलाया गया।

अमरजीत ने बताया कि जब 8 महीने हो गए तो उन्होंने रमनप्रीत कौर के पेट में दर्द होने की डाक्टर को बात बताई तो डाक्टर ने दोबारा उक्त प्राइवेट सैंटर से अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए कहा। रिपोर्ट देखने के बाद 22 जनवरी को प्रसव के लिए दाखिल होने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि डाक्टर द्वारा बताई तिथि को जब वह मरीज को अस्पताल लेकर आए उस समय पर प्रसव पीड़ा शुरू हो चुकी थी। डाक्टर द्वारा मरीज को दाखिल करने की बजाय पहले 24 व फिर 26 जनवरी को बार-बार बुलाकर चैकअप कर 29 जनवरी को दाखिल होने के लिए कहा गया। 29 जनवरी को जब वे डाक्टर को 11 बजे मिलने आए तो उन मुलाकात दोपहर 2 बजे के बाद हुई। 

डाक्टर ने दोबारा प्राइवेट सैंटर से अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए भेज दिया। वह टैस्ट की रिपोर्ट लेकर करीब 3.30 बजे आए तो डाक्टर कमरे में नहीं था। स्टाफ को पूछा गया तो पता चला कि डाक्टर साहिब चले गए हैं। अमरजीत ने बताया कि स्टाफ द्वारा डाक्टर को प्रसव के लिए बुलाने की बजाय एक टीका लिख कर बाहर के स्टोर से लगवाने के लिए कहा गया। उसने पूछा कि आप खुद क्यों नहीं टीका लगाते तो उन्होंने ढंग से बात नहीं की। मरीज की हालत गंभीर होती जा रही थी, कहने पर भी डाक्टर और स्टाफ नहीं आ रहा था।

स्टाफ द्वारा बताया टीका जब लगवाया गया तो मरीज की हालत गंभीर हो गई। सरकारी स्टाफ द्वारा दाखिल न करने पर उनको मजबूरन प्राइवेट अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा, जहां मृत बच्चे ने जन्म लिया। उन्होंने कहा कि डाक्टर व स्टाफ की लापरवाही कारण उनके बच्चे की मौत हुई है और अभी उसकी पत्नी जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। यदि समय पर उसकी पत्नी का इलाज हो जाता तो उनका बच्चा भी जीवित होता।

प्राइवेट अल्ट्रासाऊंड सैंटर पर मेहरबान डाक्टर
मरीज के परिवार के सदस्यों के साथ आए आर.टी.आई. एक्टिविस्ट जय गोपाल लाली ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकारी अस्पतालों को खास आदेश दिए गए हैं कि गर्भवती मरीजों के अल्ट्रासाऊंड केवल सरकारी केंद्र से मुफ्त में करवाए जाएं और 9 महीनों में एक या दो जरूरत अनुसार अल्ट्रासाऊंड करवाए जाएं, परन्तु मानांवाला अस्पताल में विभाग के आदेश की धज्जियां उड़ा प्राइवेट सैंटर से धड़ल्ले से अधिक से अधिक अल्ट्रासाऊंड करवा कर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। अस्पताल के कामों को देखकर जाहिर होता है कि सैंटर के साथ डाक्टरों की खास सैटिंग है। 

इंसाफ की मांग 
आर.टी.आई. एक्टीविस्ट जय गोपाल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और पंजाब सरकार को उक्त मामले में पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाना चाहिए। पीड़ित परिवार रमनप्रीत कौर का प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाने में असमर्थ है, अब तक 70 हजार रुपए ब्याज पर लेकर अस्पताल की फीस जमा करवा चुका है। संबंधित डाक्टर और स्टाफ की लापरवाही को देखते हुए सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। 

माता-पिता को थी अनेक उम्मीदें
रमनप्रीत कौर के पति अमरजीत सिंह ने बताया कि यह उनका पहला बच्चा था। उसकी पत्नी ने 9 महीने दर्द सहन कर अपने होने वाले बच्चे से कई उम्मीदें लगाई थीं। उनके परिवार में बच्चे के जन्म को लेकर काफी खुशी थी, परन्तु डाक्टर और स्टाफ ने उन की खुशियों और उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, वह मानांवाला अस्पताल की कारगुजारी देख कर तौबा करते हैं कि अब कभी भी उक्त अस्पताल में नहीं जाएंगे। 

मामले की होगी जांच : अस्पताल के इंचार्ज 
इस संबंधी अस्पताल के इंचार्ज डा. सुमित सिंह ने कहा कि उक्त घटना संबंधी वह सभी तथ्य इकट्ठा करेंगे और संबंधित डाक्टर और स्टाफ से बातचीत की जाएगी। जो भी जांच में सामने आया उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। उधर डाक्टर ने उक्त मामले के संबंध में अज्ञानता जताई। उन्होंने कहा कि उक्त परिवार उन पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। 

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