Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 09:39 AM
: नगर निगम के मेयर, पार्षद सहित अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वर्ष 2016-17 मुश्किलों से भरा रहा। ज्यादातर पार्षद और अधिकारी शहरवासियों की उम्मीदों पर खरे न उतरने के कारण अपनी छाप नहीं बना सके, जिसके चलते हाल में हुए निगम चुनावों में अकाली-भाजपा...
अमृतसर(वड़ैच): नगर निगम के मेयर, पार्षद सहित अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए वर्ष 2016-17 मुश्किलों से भरा रहा। ज्यादातर पार्षद और अधिकारी शहरवासियों की उम्मीदों पर खरे न उतरने के कारण अपनी छाप नहीं बना सके, जिसके चलते हाल में हुए निगम चुनावों में अकाली-भाजपा की जगह कांग्रेसी उम्मीदवारों को जिताया गया।
यहां तक कि पिछली सरकार दौरान मेयर रहे बख्शी राम अरोड़ा करीब 1500 और ट्रस्ट के चेयरमैन रहे सुरेश महाजन करीब 3 हजार मतों के अंतर से चुनाव में हार गए। पिछले वर्ष में निगम में फंडों की भारी कमी के कारण ज्यादातर वार्डों के पार्षद विकास नहीं करवा सके। सीवरेज और वाटर सप्लाई की मुश्किलों की भरमार रही। निगम की टीमें हमेशा की तरह टारगेट पूरे करने में फेल रहीं। विकास कार्य तो दूर की बात सरकार निगम कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में कामयाब नहीं हो सकी।
भगतांवाला डम्प का मुद्दा गर्माया रहा
पिछले वर्ष दौरान अलग-अलग राजनीतिक दलों ने भगतांवाला डम्प पर जमकर राजनीति की। बार-बार डम्प बंद होने से शहर कई बार कूड़े से भरा रहा। हर रोज करीब 600 टन कूड़ा डम्प पर पहुंचने से शहर अनेक बार बदबू से भरा। मैनेजमैंट आफ सॉलिड वेस्ट रूल 2000 के अंतर्गत हाईकोर्ट ने भी निगम प्रशासन को 6 माह में प्लांट लगाने का निर्देश दिया था। निगम की 25 एकड़ जमीन में बने भगतांवाला डम्प पर प्लांट लगाने के लिए 5 विभागों ने एन.ओ.सी. भी निगम को दे दी, परन्तु कांग्रेसी नेताओं द्वारा भगतांवाला डम्प को शहर से बाहर करने के भरोसे पर इलाकावासियों ने विधानसभा व निगम चुनाव में कांग्रेसियों का साथ दिया, परन्तु आज भी डम्प का मामला वहीं का वहीं है।
होटलों के अवैध निर्माण का शोर-शराबा
श्री हरिमंदिर साहिब के आस-पास होटल, सराय, गैस्ट हाऊस के गैर कानूनी निर्माण का शोर-शराबा चलता रहा। इस संबंध में 125 होटलों की रिट पटीशन 2010 में दायर की गई थी, जिसमें 88 इमारतों को बिना मंजूरी के बनाने, 35 इमारतों का रिहायशी और कमॢशयल नक्शा पास करवा कर उसकी जगह गैस्ट हाऊस, होटल, सराय बनाए गए थे। गठबंधन सरकार की तरफ से होटलों संबंधी वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी बनाने के बावजूद भी होटल, गैस्ट हाऊस, सरायं का मामला पिछले वर्ष में पूरी तरह छाया रहा।
टारगेट से पिछड़े विभाग
पिछले वर्षों की तरह बीते वर्ष में भी अलग-अलग विभाग निर्धारित टारगेट पूरा करने में पूरी तरह फेल रहे। वाटर सप्लाई और सीवरेज, विभाग, प्रॉपर्टी टैक्स, लैंड विभाग, लाइसैंस फीस, विज्ञापन विभाग सहित अन्य विभाग टारगेट पूरा नहीं कर सके। आर्थिक पक्ष से पिछड़े निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को समय पर पैसे नहीं मिले, एल.आई.सी. किस्तें जमा नहीं हुईं। कर्मचारियों की वेतन और अन्य मांगें एक तरफ रहीं, पार्षदों के मान भत्तों का समय पर भुगतान नहीं हुआ।
हाऊस में गठबंधन होता रहा तार-तार
जो काम विरोधी पार्टी ने करना होता है वह काम गठबंधन के पार्षद आपस में करते रहे। कहने को तो गठबंधन की सरकार थी, परन्तु निगम हाऊस में अकाली-भाजपा पार्षद एक-दूसरे पर आरोप लगाते और गरजते देखे गए। किसी समय भाजपा पार्षदों ने अकालियों को नशा बढ़ाने का जिम्मेदार बताया, उधर अकाली पार्षदों ने चोर रास्ते निगम में व्यक्ति रखवाने, टाइल फैक्टरी और नॉर्थ में काम करवाने और बाकी हलकों को अनदेखा करने के दिन-दिहाड़े आरोप लगाए। अनेक छोटी-बड़ी बैठकों में नाम का गठबंधन तार-तार होता देखा गया।
अवैध होर्डिंग्ज ने कानून की उड़ाई धज्जियां
राजनेताओं और निगम अधिकारियों की देख-रेख में लगाए जाते रहे होर्डिंगों ने कानून की धज्जियां उड़ा दीं, परन्तु कानून के रखवाले सब देखते हुए भी चुप रहे। सीनियर डिप्टी मेयर रहे अवतार सिंह ट्रकांवाला ने कई बार नाजायज होर्डिंगों पर चिंता जाहिर करते कहा था कि एक तरफ निगम आर्थिक पक्ष से कमजोर नजर आ रहा है, परन्तु निजी स्वार्थ को देखते कई राजनेता व अधिकारी दो नंबर की कमाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। होर्डिंग की अनियमितताओं और हाईकोर्ट के आदेश को भी लागू नहीं किया गया।
बोलियों वाले काम भी रहे अधूरे
मेयर, कमिश्नर और निगम अधिकारियों की देख-रेख में करवाई जातीं रही बोलियां भी अधूरी साबित हुईं। पार्किंग स्टैंड और स्केटिंग रिंग की 16 स्टैंडों में बोली नहीं हो सकी। दुकानों और निगम की अन्य प्रॉपॢटयों सहित निगम के वाहनों की पूरी तरह बोली करवाने में विभाग कामयाब नहीं हो सके।
नाजायज कब्जों ने किया परेशान
सड़कों के किनारे नाजायज खोखों, कब्जों ने पूरे शहर में डेरा जमाए रखा, जो अभी भी जारी है। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही नॉर्थ हलके मजीठा रोड से सिर्फ कुछ खोखे ध्वस्त किए, परन्तु बाकी शहर में नाजायज कब्जों की भरमार ने लोगों के लिए मुसीबतें खड़ी की हुई हैं।
मेयर मंत्री ने मोड़ा मुंह
पूर्व मंत्री अनिल जोशी और मेयर बख्शी राम अरोड़ा की आपस में ताल के साथ ताल देखने को नहीं मिली। एक शहर के दोनों नेताओं की आपसी खटपट का नुक्सान जनता का भी हुआ क्योंकि एक ही पार्टी के दोनों नेता एक टेबल पर बैठ कर मुश्किलों के हल के लिए आपसी विचार-विमर्श करते नहीं देखे गए, जिसके चलते पब्लिक को नुक्सान भी हुआ और दोनों नेता अपनी चुनावों में भी हार गए।