Edited By Updated: 20 Feb, 2016 02:16 PM
सरकार की ओर से नैशनल फैमिली हैल्थ रिपोर्ट समय-समय पर पेश की जाती है।
नई दिल्ली/जालंधर: सरकार की ओर से नैशनल फैमिली हैल्थ रिपोर्ट समय-समय पर पेश की जाती है। जिसमें देश की जनता से उनके स्वास्थ्य से जुड़े कुछ अहम सवाल किए जाते हैं जिनके जबाव के आधार रिपोर्ट बनती है। हाल ही में इस रिपोर्ट में एक बात सामने आई है कि भारत में कम उम्र में मां बनने वाली औरतों का आंकड़ा घट गया है।
जी हां, ये एक खुशखबरी है। भारत में बहुत कम उम्र में लड़कियों की शादी करा दी जाती हैं और वे कम उम्र में मां भी बन जाती हैं। इसका एक गहरा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।
आपको बता दें कि सरकार की ओर से जनवरी में जारी की गई नैशनल फैमिली हैल्थ रिपोर्ट में एक अचछी खबर सामने आई है कि पिछले दस साल में कम उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की तादाद बड़ी तेजी से गिरी है। इसमें साथ बात ये भी है कि इसमें महिलाओं की साक्षरता दर में भी बढ़ावा हुआ है।
सरकार का ये सर्वे काफी समय बाद इतना अच्छा आया है, जिस कारण से ये रिपोर्ट पिछले की तुलना में काफी बेहतर है जबकि ताजा सर्वे 2014-15 में करवाया गया था और साल में इस तरह का यह चौथा सर्वे था। इस सर्वे में करीब 5 लाख परिवारों को शामिल किया गया था जिसमें 114 सवाल पूछे गए थे। यह डेटा 13 राज्यों और 2 केंद्र शासित राज्यों से इकट्ठा किया गया था।
15 से 19 साल की लड़कियां जो मां बन चुकी हैं या सर्वे के दौरान गर्भवती थीं, उनकी तादात एक दशक में औसत 5.26 प्रतिशत पॉइंट्स के साथ गिरी है। सबसे खराब आंकड़े त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और बिहार के थे। पर चौंकाने वाली बात ये है कि इन राज्यों में अब स्थिति की हद तक बदल गई है। 2005-6 में हुए NFHS-3 में जहां बिहार में टीनएज में मां बनने वाली महिलाओं की तादाद 25 प्रतिशत थी वहीं अब वे घटकर 12.2 प्रतिशत पर आ गई है।
इस सर्वे से अब एक बात साफ हो गई है कि देश में कम उम्र में मां बनने के कारण जिन लड़कियों की मृत्यु होती थी वो आंकड़ा भी गिरेगा।