Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 12:33 PM
पी.डब्ल्यू.डी. विभाग की लापरवाही के चलते अरबों रुपए खर्च करने के बावजूद भी मिनी सचिवालय व बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य 2017 में भी पूरा नहीं हो सका।
अमृतसर(नीरज): पी.डब्ल्यू.डी. विभाग की लापरवाही के चलते अरबों रुपए खर्च करने के बावजूद भी मिनी सचिवालय व बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य 2017 में भी पूरा नहीं हो सका। जानकारी के अनुसार प्रोजैक्टों को पूर्व गठबंधन सरकार के कार्यकाल में शुरू किया गया था। गठबंधन सरकार की इच्छा थी कि इन प्रोजैक्टों को उसी के कार्यकाल में पूरा कर दिया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं हो सका। हालात ये बन गए कि 2017 में तख्ता पलट हुआ और सत्ता में कांग्रेस की सरकार आ गई, लेकिन कांग्रेस सरकार के वर्ष 2017 के कार्यकाल में भी उक्त दोनों प्रोजैक्टों का काम पूरानहीं हो सका।
मिनी सचिवालय के निर्माण में तो किसी को कोई नुक्सान नहीं हुआ, लेकिन बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट शुरू करते समय जहां हजारों पेड़ काट दिए गए, वहीं छोटे दुकानदारों को भी भारी नुक्सान हुआ, लेकिन इस प्रोजैक्ट के सारे रूट पर आज तक बस नहीं चल पाई है। अन्य राज्यों में फेल हो चुके इस प्रोजैक्ट का विपक्षी दलों से लेकर समाजसेवी संगठनों व बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा भारी आलोचना भी की गई, लेकिन पूर्व उप-मुख्यमंत्री ने इस प्रोजैक्ट पर काम शुरू करके ही दम लिया।
हालात ये हैं कि आज तक पूरे रूट पर बस नहीं चल सकी, उल्टा जगह-जगह बस के रूट में लगी लोहे की ग्रिल चोर चुरा कर ले गए हैं। गेट ऑफ अमृतसर से लेकर रेलवे स्टेशन व अन्य रूट पर चलने वाली बी.आर.टी.एस. बसें आमतौर पर खाली ही जाती हैं, इसमें नाममात्र ही सवारियां बैठती हैं। हालात ये हैं कि बस के ड्राइवर व अन्य कर्मचारियों के वेतन तक बड़ी मुश्किल से दिए जा रहे हैं। समाज सेवक संजय गुप्ता व विजय अग्रवाल का कहना है कि पूर्व गठबंधन सरकार ने 570 करोड़ रुपए बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट पर बर्बाद किए हैं, यह सारा पैसा जनता का था।
इस प्रोजैक्ट की बजाय सड़कों को खुलाकर दिया जाता, सरकारी अस्पतालों जहां छोटे बच्चों के लिए आई.सी.यू. तक नहीं है, वहां सेहत सुविधाएं दी जातीं और सरकारी स्कूलों में जहां आज भी बच्चों को दरी बिछाकर जमीन पर बैठकर पढऩा पड़ता है, वहां सुविधाएं उपलब्ध करवाई जातीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2018 में यदि इस बी.आर.टी.एस. को शुरू भी कर दिया जाता है, तब भी यह प्रोजैक्ट कामयाब नहीं होगा।
मिनी सचिवालय न होने के कारण छोटे से कमरे में गुजारा कर रहे जिलाधीश
मिनी सचिवालय के निर्माण में भी करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, जिसमें जिलाधीश के दफ्तर सहित सभी सरकारी विभागों के दफ्तर बनाए जा रहे हैं, लेकिन कई वर्ष बीतने के बाद भी इस प्रोजैक्ट का काम पूरा नहीं हो सका है। जिलाधीश के विरासती दफ्तर में आग लगने की भयंकर घटना होने के बाद खुद जिलाधीश को ही इस प्रशासनिक लापरवाही का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। विरासती दफ्तर में आग से सारा दफ्तर ही तबाह हो गया था, जिसके बाद जिलाधीश के दफ्तर को जिला परिषद स्थित दफ्तर में शिफ्ट करवाया गया।
यहां पर जिलाधीश को एक छोटे से कमरे के दफ्तर में गुजारा करना पड़ रहा है जिससे कई प्रकार की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। जिलाधीश दफ्तर की अलग-अलग ब्रांचें अब एक इमारत में न होकर अलग-अलग इमारतों में चलाकर गुजारा किया जा रहा है, जबकि इससे पहले एक ही इमारत में सभी ब्रांचें होती थीं। इस समय असला ब्रांच, एच.आर.सी. ब्रांच, डी.आर.ओ. दफ्तर तहसील काम्पलैक्स वाले दफ्तर में, जबकि एम.ए. वन ब्रांच व अन्य ब्रांचें जिला परिषद वाले दफ्तरों में चलाई जा रही हैं, जिससे डी.सी. भी इन ब्रांचों में तैनात कर्मचारियों पर नजर नहीं रख पाते हैं। यहां तक कि अलग-अलग सरकारी विभागों के अधिकारियों के साथ प्रशासनिक कामों संबंधी बैठक करने के लिए जिलाधीश को जिला परिषद स्थित दफ्तर में बैठक करनी पड़ रही है।
एक छत नीचे सभी विभागों की सुविधा देने के लिए बनाया जा रहा है मिनी सचिवालय
पूर्व गठबंधन सरकार ने एक ही छत के नीचे जनता को सभी सरकारी विभागों की सुविधाएं देने के लिए मिनी सचिवालय का निर्माण कार्य शुरू करवाया था, लेकिन जनता को एक छत के नीचे सभी विभागों की सुविधाएं नसीब नहीं हो सकीं, उल्टा जिलाधीश दफ्तर की ब्रांचें भी आग लगने की घटना के बाद अलग-अलग शिफ्ट हो गईं जिससे जनता को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
2017 विधानसभा व निगम चुनावों में व्यस्त रहे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी
कई वर्षों से चले आ रहे बड़े प्रोजैक्टों के निर्माण में ढिलमुल इसलिए भी देखने को मिल रही है, क्योंकि वर्ष 2017 में समूह प्रशासनिक पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारी चुनावों में व्यस्त रहे। पहले विधान सभा चुनाव आ गए और इसके बाद निगम चुनाव आ गए, जिसकी कई महीने पहले से हीअधिकारियों को तैयारी शुरू करनी पड़ती है। मुख्य रूप से विधानसभा चुनावों की तैयारी तो कई महीने पहले शुरू कर दी गई। इस दौरान डी.सी. सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के भी तबादले कर दिए गए। फिलहाल देखा जाए तो वर्ष 2017 चुनावों के ही भेंट चढ़ गया।
बहु मंजिला मिनी सचिवालय इमारत में डी.सी. मांग रहे एक मंजिल
मिनी सचिवालय की बहु मंजिला इमारत का प्रोजैक्ट कब पूरा होता है, इसका दावा ठोका नहीं जा सकता है, लेकिन फिलहाल डी.सी. की तरफ से संबंधित विभाग से एक मंजिल इस बहु मंजिला इमारत की मांगी जा रही है, ताकि डी.सी. दफ्तर व डी.सी. दफ्तर से संबंधित ब्रांचों को इसमें शिफ्ट किया जा सके और डी.सी. सहित आम जनता को अलग-अलग ब्रांचों से होने वाली आए दिन की परेशानी से निजात दिलाई जा सके। फिलहाल इस पर भी संबंधित विभाग की तरफ से विचार किया जा रहा है।